इंसानियत का वजूद
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झूठ का बोलबाला है ,
सच बोलने वाले का मुंह काला है ,
दर परत झूठ की परतों में सच्चाई को
छुपाया जाता है ,
बार-बार झूठ सुनने से सच सा ही
लगने लगता है ,
झूठ के पास दौलत और रसूख़ की
ताकत है ,
झूठ का साथ देने वालों के लिए सच बोलना
हिमाकत है ,
झूठ की आंधी के सामने सच
एक टिमटिमाता दिया है ,
सच्चाई का साथ देने वालों ने इसे कभी
बुझने ना दिया है ,
ये वो रोशनी है जो भटकों को सच्चाई की
राह दिखाती है ,
उन्हें कुफ़्र से बचाती है उनका
मुस्तक़बिल सँवारती है ,
जिस दिन झूठ की आंधी के ज़ोर से
सच का दिया बुझ जाएगा ,
समझो उस दिन इंसानियत का वजूद खत्म हो
हैव़ानियत का निज़ाम क़ायम हो जाएगा।