“अपराध का ग्राफ”
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यूँ ही नही बढ़ता
अपराध का ग्राफ
बच्चा भी समझता है
हर एक बात
जो बुजुर्गों की आँखों में
साफ-साफ झाँकता है,
बच्चा तो बच्चा ठहरा
वो उसी धुन पर नाचता है।
यही बात बाल मन में
अपना चेहरा दिखाती है,
किसी द्रव की भाँति
गड्ढों को देख कर
बस वहीं ठहर जाती है।
मेरी प्रकाशित 46 वीं काव्य-कृति :
‘वक्त की रेत’ से,,,,
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
सुदीर्घ एवं अप्रतिम साहित्य सेवा के लिए
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त
हरफनमौला साहित्य लेखक।