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4 Aug 2023 · 1 min read

सोच

सोच ही जीवन में मन‌ की रहती हैं।
जीवन जीते धन‌ के साथ भाव रहते हैं।

पल भर के लम्हें में सोच बदलती हैं।
हां सच मन भावों के जीवन बदलता हैं।

मोह माया संग सोच हम सबकी रहती हैं।
मन के साथ-साथ हम सभी समझते हैं।

सोच हमारी मानवता के रंगमंच से होती हैं।
धन दौलत शोहरत सब संसारिक होता हैं।

ईर्ष्या स्वार्थ और फरेब की सोच रखते हैं।
बस मन भाव के साथ हम सभी समझते हैं।

सच केवल एक सोच ही हमारी रहतीं हैं।
मन भावों में हम मानवता कहां मानते हैं।

सोच हमारी आर्थिक स्तर से बनती हैं।
मन भावों में धन संपत्ति का अहम रहता हैं।

सच हां सोच मन भावों की कल्पना होती हैं।
कुदरत और विधि जीवन का सच होती हैं।

नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

Language: Hindi
1 Like · 227 Views
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