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28 May 2023 · 2 min read

सेंगोल जुवाली आपबीती कहानी🙏🙏

सेंगोल की जुबानी आपबिती कहानी ?

भारतवंशी राजदंड नीति दंड
शंकु शंख सनातन धर्मदंड
संपदा संपन्न प्रतीक न्यायदंड
तमिल सेम्मई शब्द सेंगोल हूं मैं

चोल मौर्य गुप्त वंश शक्ति
शासन राजदंड प्रतीक हुं
चोल वंश ने अपनाया मुझे
सत्ता स्थानांतरण प्रक्रिया

एक बडा दायित्व दे मुझे
मान सम्मान बढ़ाया मेरा
राजा राजकुमारों शासन
शासकों का शक्ति दंड

शीर्ष पर नंदी बिराजे
सुंदर गोल पृथ्वी संसार
गले तमिल मंत्रों से साजे
तिरंगा दंड एक देश दंड
जन गण मन भावे

पांच फीट ऊंची मशाल
चांदी स्वर्ण मंडित राजदंड
शासन परिवर्तन स्वर्णदंड
नीतिदंड शक्तिभुज दंड हुं मै

स्वतंत्रता सत्ता हस्तांतरण के
अवसर पर अंतिम वायसराय
लार्ड माउंटबेटन ने समिति से
पूछा दस्तावेज तो हुआ पूरा

पर कोई चिन्ह नहीं प्रतीक नहीं
हस्तांतरण सत्ता का मूल्य नहीं
स्वतंत्रता का कोई मतलब नहीं
घबराए पंडित नेहरु को दक्षिण
राजगोपालाचारी राजाजी ने

सेंगोल सुझाव से सुलझाया
राजा साहव के आदेश पर
तमिलनाडु के प्राचीन मठ
थिरुवावदुथुराई के बीसवें

गुरुमहा महासन्निधानम श्री
लाश्री अंबलवाण देसिगर
स्वामी ने प्रसिद्ध जौहरी
वुम्मिडी बंगारू से बनवा

रात वायुयान से दिल्ली भेज

देसीगर के डिप्टी श्रीकुमार स्वामी
तम्बिरन ने लॉर्ड माउंटबेटन को चौदह
अगस्त उन्नीस सौ सैंतालिस रात पौने
बारह वायसराय माउंटबेटन को सौंप
स्वामी ने अपनी भार उतारा

गंगा जल से शुद्ध किया सेंगोल
थेवरम भजन उस्ताद टी . एन .
राजरथिनम से नादस्वरम बजबा
पंडित नेहरू के माथे पर तिलक

लगा तम्बिरन ने मुझ सेंगोल को
सौंप चैन भरा एक सकून पाया
कलांतर इलाहाबाद संग्राहालय में
रहकर अपनी मर्यादा बचा रखा
अट्ठइस मई दो हजार तेइस को

लोकतंत्र की जननी नई संसद
उदघाटन पर स्पीकर आसन
साथ ही मैं भी आसनारूड़ हो
चमक दमक स्वर्णदंड राजदंड

देश परंपरा का उत्तम अंग दंड
उभरते भारत का भारतवंशी
सत्य न्याय नीतिदंड सेंगोल हुं मैं
स्वर्णिम भारत भविष्यदंड जनहित
निष्पक्ष न्याय सत्य अहिंसा लोकतंत्र
संसद विधि विधान धर्मदंड सेंगोल हुं

अतीत खूब चमकता मैं था
कल धुमिल मलीन छिपा कोने
सालों बाद निकल बाहर आज
अभिमान से चमक रहा हुं मैं

भव्य दिव्य संसद के आंगन में
मेरा परिचय इतना इतिहास यही
देशवासियों श्रमजीवियों का मानदंड
इक राजदंड इक शक्तिदंड संगोल हुं मैं

मेरा संसद मेरा अभिमान जन गण
मन ऐहसास कराने वाला आसदंड
ऐतिहासिक भारतवंशी संगोल हुं मैं

कविः –
तारकेश्वर प्रसाद तरूण

Language: Hindi
3 Likes · 368 Views
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