“UG की महिमा”
उठि कै तड़के भोर से,
रहे प्याज खुदवाय।
मस्त मगन मन झूमि कै,
खुरपी रहे चलाय।।
धीरे-धीरे करि जतन,
साबुत प्याज निराय।
खोदि बाल्टी भरि लिहे,
लेहु तनिक सुस्ताय।।
प्रेम दिवानी शायरा,
तुरतहिं मैसेज पाय।
गुमटी पै जल्दी मिलौ,
रहे चाय बनवाय।।
नोस्टैल्जिक हम ह्वै रहे,
याद बुलाकी आय।
वाहू की मशहूर थी,
अदरक वाली चाय।।
UG की महिमा अनत,
बरबस मन हरषाय।
जियरा धक-धक ह्वै रह्यौ,
इँजन साँस चलाय।।
कछु राँझा कछु हीर की,
देहौँ कथा सुनाय।
उरहिँ तराने छिड़ि रहे,
जोइ-सोइ कछु गाय।।
धन्य प्रीत की रीत जग,
फिरि फिरि मन कौ भाय।
सोई”आशा”, फिरि जगी,
केतो मन बिसराय..!
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