Posts Tag: नायक जी के मुक्तक 45 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 27 Feb 2024 · 1 min read कवि सूर्य भी निष्तेज-सा यदि आप कवि, बन बढ़े, हिंसा छटे, तुम प्रेम छवि। कहें 'नायक' चेत गह निज राष्ट्र का प्राण - धन सह सत्य का संदेश कवि। कवि वही... Hindi · नायक जी के मुक्तक 2 470 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read छिपी हो जिसमें सजग संवेदना। राष्ट्रहित गह दिव्यता, दे चेतना। छाॅंट दे जो सहज में जन -वेदना। वही रचना देश का सम्मान है। छिपी हो जिसमें सजग संवेदना। पं बृजेश कुमार नायक Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 1 178 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read प्रदूषण-जमघट। सुकवि भी अब समूहों में बॅंट गए हैं। ज्ञान-सूरज जग-धुऑं-सम भट हुए हैं। कौन सोए राष्ट्र को नव जागरण दे? विशारद मन, प्रदूषण-जमघट हुए हैं। पं बृजेश कुमार नायक Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 1 242 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read स्वाधीनता के घाम से। शुभ-सु हिंदुस्तान हूॅं, देखो मुझे आराम से। गुलामीं के निशाॅं, दर्दीले जवाॅं पैगाम से। घाव गहरे दिए पर मुस्कान का आलोक गह। प्रकाशित हो मिल गया स्वाधीनता के घाम से।... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 232 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read जागी जवानी जोश को यदि होश की दें दिशा ज्ञानी। फैल जाए रोशनी,तम की कहानी। खतम हो, अब तक न हमने टेक ठानी। राष्ट्र विकसित वह जहाॅं जागी जवानी। पं बृजेश कुमार... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 314 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read शुभ धाम हूॅं। हुस्न की मुझको पहचान है, किंतु मैं। प्रेमी उत्कर्ष के शीर्ष का घाम हूॅं। इन निगाहों के आकर्ष से न खिंचू। पास आओ मुहब्बत का शुभ धाम हूॅं। धाम=तीर्थ स्थान/देव... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 308 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read दिल सचमुच आनंदी मीर बना। जब सात रंग मिल एक हुए, जल गई फाॅंस मन धीर बना। उड़ता गुलाल भी थिरक-थिरक, ऋतुनाथ-नेह गह हीर बना। रोमांच रोंगटे खड़े हुए,तन सुह्रद -रंगमय चमन हुआ। अनुपम प्रहलाद-प्रीति... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 167 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read खींचो यश की लम्बी रेख। 'नायक' अपनी छवि को देख। लिखो आप मानवता लेख। छोड़ ईर्षा-भ्रम का थैला। खींचो यश की लम्बी रेख। पं बृजेश कुमार नायक Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 1 157 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read अमर काव्य लेखन वह,जो राष्ट्रहित सजग चेतनाकाश- देकर,बने सु प्रीति सह मातृभूमि उल्लास। सहजरूप गह, दिव्यता का छू ले उत्कर्ष। अमर काव्य हर हृदय को दे सद्ज्ञान-प्रकाश। पं बृजेश कुमार नायक Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 220 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read विभेद दें। आत्मशुद्धिमय सजग सिपाही बनकर युवजन लक्ष्य भेद दें। बिना जागरण के स्वदेश को,भार और तम द्वंद्व खेद दें। समझ न सकें राष्ट्र की पीड़ा, कैसे कह दें सद्ज्ञानी हैं। सुप्त... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 1 198 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read ढल गया सूरज बिना प्रस्तावना। जनम लेकर,खेल सह सद्भावना। युवावस्था प्यार की संभावना। बुढापे में ज्ञान आया,तन झुका। ढ़ल गया सूरज बिना प्रस्तावना। पं बृजेश कुमार नायक Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 223 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read दिव्य बोध। जो जाग्रत वह ज्ञान गहेगा, सुप्त क्रोध को। बनकर मन का दास,पाल मत दुख -अबोध को। सहजरूप गह गर्दभ से भी ज्ञान मिलेगा। कह 'बृजेश' सच,पकड़ो अनुपम दिव्य बोध को।... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 195 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read प्रेम जीवन धन गया। बुढ़ापा अनुभव से सीखा,हॅंसा ज्ञानी बन गया। नहीं सीखा,भ्रमित हो, माया में निश्चय सन गया। सीख लेते वही जन नायक बनें "नायक बृजेश" जो न सॅंभले, दुख में डूबे, प्रेम... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 239 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read सदा बढ़ता है,वह 'नायक' अमल बन ताज ठुकराता। जो नर-मन खुशमिजाजी का सुघड़ अंदाज बन जाता। उसी जीवन में आनंदी भरा गुणराज आ जाता। न जाने आगे-पीछे का, निरंतर आज में रहकर। सदा बढ़ता है वह 'नायक' अमल... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 178 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read मुस्की दे प्रेमानुकरण कर लेता हूॅं। बैरी से भी ज्ञान ग्रहण कर लेता हूॅं। अमल भाव में चार चरण कर लेता हूॅं। दुख में भी है बोध,सजग 'नायक' बनकर। मुस्की दे प्रेमानुकरण कर लेता हूॅं। पं... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 1 210 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read कहाॅं तुम पौन हो। निज गिरेवाॅं झाॅंक, जानो कौन हो। अहंकारी या सहजता गोन हो। सूत्र कहता स्वयं को पहचान कर, जो बढ़ोगे, फिर कहाॅं तुम पौन हो। पं बृजेश कुमार नायक Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 301 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read ज्ञानमय नहीं मोह-ग्रस्त बन। चेत-सूर्य मस्त बन। आत्मा को जानकर। ज्ञान -प्रेम भक्त बन। बोध की सु गोन है। सहज और मौन है। 'नायक' वह ज्ञानमय। कहीं से न पौन है।... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 208 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read सुबुधि -ज्ञान हीर कर रो मत जग-पीर पर। सुबुधि -ज्ञान हीर कर। आत्म-सुख लिखो स्वयं, निज उर - तकदीर पर। पं बृजेश कुमार नायक Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 184 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read फूल राष्ट्रहित सु नेक बन। दिव्य ज्ञान -टेक बन। भारत -उद्यान के, फूल हॅंसें एक बन। नेहरूप चूल हूॅं। आनंदी मूल हूॅं। जागरण सु तूल बन, हॅंसूं, क्यों कि फूल हूॅं।... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 159 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read कर्म -पथ से ना डिगे वह आर्य है। सजग कर दे राष्ट्र को आचार्य है। गुरु वही जो आत्मपथमय कार्य है। रीढ़ वह ही लोक की बनता सदा। कर्मपथ से ना डिगे वह आर्य है। पं बृजेश कुमार... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 237 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read प्रकाश एवं तिमिर राष्ट्रहित के ज्ञान का आकाश बन। प्रेमरूपी प्रवलता की प्यास बन। लिखे तेरी जीवनी इतिहास नव। जागरण गीतों को गा प्रकाश बन। तिमिर में अनचेतना का भूप है। मन प्रकाशित,दिव्यता... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 178 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read ज्ञान -दीपक सूर्य डरता ना कभी भी, बदलियों के राज से। कुछ समय तक छिपे पर वह,पुनि उगेगा नाज से। मग के पत्थर रोक सकते न कभी आलोक-डग। ज्ञान -दीपक जगमगाते, हर्ष... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 197 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read माॅं मातु प्रियताभाष में सद्भाव का संगीत है। आत्मसत् की निकटता से भरा स्वर औ गीत है। हृदय-धड़कन से बना, शुभ पालना सद्प्रेम का। मातु तुझसे उच्च ,जग में नहीं देखा... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 199 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read हृदय को ऊॅंचाइयों का भान होगा। सहजता के आवरण को अब सम्हालो। मद का सारा मैल धोकर के निकालो। दिव्यता की कसौटी पर निज को कसकर। सत्आत्मा की सबल लौ दिल में जगा लो। तभी तो... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 238 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read उल्लास रोक सकते हो मुझे,तो रोक लो। बढ़ रहा हूॅं, चेतना -आलोक लो। काट डालो तुम हमारे अस्त्र सब। किंतु गह सद्ज्ञानरूपी लोक लो। चेतना-सद्ज्ञान में ना त्रास है। सो गए... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 1 188 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read दुखों का भार राष्ट्र पर अब भी दुखों का भार है। दिल गरीबी की वजह से क्षार है। दिख रही शोषण -अशिक्षा की कसक। कहें कैसे, अब न अत्याचार है? पं बृजेश कुमार... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 1 248 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read आह राष्ट्र के निर्धन हृदय में,आह यदि रह जाएगी। कहें कैसे,हिंद हिय को दुख नहीं पहुचाॅंएगी। एक नर के रक्त में भी यदि कहीं पीड़ा है तो। दिव्य भारत-भाल को वह... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 1 197 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read व्यंग्य आपको सिखलाएगा व्यंग्य आपको सिखलाएगा, यदि सद्ज्ञानी हो। द्वंद्व -अचेतन दर्श,समझ लो तुम मन-मानी हो। स्वसद्वोधालोक -प्रदाता,बनकर करे विकास। गुरु-सम मानो उसे, तभी तुम चेतन प्राणी हो। पं बृजेश कुमार नायक Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 193 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read जो विष को पीना जाने जो विष को पीना जाने वह ही तो मीरा है। मूरख के आगे अक्ली की बोली तीरा है। कड़क वाक् से, सीख ग्रहण कर लेता जो तज ताप। सहज बने... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 248 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read हिंदी निज रुधिर में हिंदी बसी,उर भाव देता ध्यान का। कुछ भी कहो,हम ना सहेंगे,बोझ अब अज्ञान का। संस्कृति हमारी विश्व को करती सु चेतन, दीप्ति है। प्रगतिमय सद्कोश भारत,मानव सुगति... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 1 203 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read कलम लिख दे। कलम लिख दे,गीत गाए भारती। आम-जन दौड़े -उतारे आरती। दिव्यता देती मनुज को प्रीति कब? जब निशा ज्ञानग्नि से जल हारती। नर तभी यश-मान का शुभ भाल है। सजगता के... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 187 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Feb 2024 · 1 min read तरुण तरुण वह जो भाल पर लिख दे विजय। शरम से ऑंखें झुकाता है प्रलय। जाग, सद्नायक बने औ बना दे। राष्ट्र-तम पर अरुण-आभा का निलय। जाग जाएं जन,तभी बलवान बन।... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 184 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 9 Jun 2022 · 1 min read 🚩पिता 🧿 पितु,पोषक सद्ज्ञान 1️⃣ठाँव है। नवजीवन-उत्थान 2️⃣पाँव है। जगत्-सिंधु के पास आप,तब। बोध-सूर्य की धूपछाँव है। 🧿 पितु दुलार है,सफल प्यार है। खुशियों की पोषक बयार है। संस्कारों की दिव्य... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · नायक जी के मुक्तक 9 9 982 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 21 Sep 2018 · 1 min read वक्त अब कलुआ के घर का ठौर है कबड्डी खो -खो का बीता दौर है | गाँव में अब जुआड़ियों का शोर है | सूना मुखिया-द्वार सूनी डेहरी | वक्त अब कलुआ के घर का ठौर है |... Hindi · नायक जी के मुक्तक 2 792 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 28 Mar 2018 · 1 min read सद्ज्ञानमय प्रकाश फैलाना हमारी शान है। 'नायक' बनकर जिऊँ हरदम,आज में, यह भान है। इसलिए ही अधर हर्षित,बाँटें शुभ, मुस्कान हैं। स्व हृदय में रखता सदा मैं, सूर्य-सम अंदाज को। सद्ज्ञानमय प्रकाश फैलाना हमारी शान है।... Hindi · नायक जी के मुक्तक 574 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 2 Sep 2017 · 1 min read इसी से सद्आत्मिक -आनंदमय आकर्ष हूँ छोड़ कर जग-द्वंद, मैं शुभ मुहब्बत गह हर्ष हूँ । दिल गलाऊँ ,मोमबत्ती-सम जलूँ , आदर्श हूँ । हिंद पावन औ सदा ही प्यारमय अतिशय सघन इसी से सद् आत्मिक-आनंदमय... Hindi · नायक जी के मुक्तक 1 1 548 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 2 Sep 2017 · 1 min read शुभ गगन-सम शांतिरूपी अंश हिंदुस्तान का तिरंगा बन गया लेकिन लट्ठ गह सद्ज्ञान का। इसी से ही उच्चता औ विवेकी धन ध्यान का मिला,फहराया अमन बन,विश्व के कल्याणहित। शुभ गगन-सम शांतिरूपी अंश हिंदुस्तान का। ....................................................... ✓मेरी... Hindi · नायक जी के मुक्तक 1k Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 9 Apr 2017 · 1 min read जल रहे अज्ञान बनकर, कहेें मैं शुभ सीख हूँ श्रेष्ठ ,ईर्ष्यमाण बन जाए, मैं नीचे ठीक हूँ। उच्चता सद्भाव सह फनकार की तकनीक हूँ। हँस रहा सद्ज्ञान उन पर,जो हृदय काला किए। जल रहे अज्ञान बनकर ,कहें मैं शुभ... Hindi · नायक जी के मुक्तक 508 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 8 Apr 2017 · 1 min read जगत कंटक बिच भी अपनी वाह है | पुरस्कारों की, न मुझको चाह है। खिलखिलाहट से हमारा ब्याह है। माँग ना यश की, रहाआनंद में जगत् -कंटक बिच भी अपनी वाह है। बृजेश कुमार नायक "जागा हिंदुस्तान चाहिए"... Hindi · नायक जी के मुक्तक 648 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 4 Apr 2017 · 1 min read इसलिए कठिनाईयों का खल मुझे न छल रहा। दीप बनकर मैं, घनी- काली निशा में जल रहा। ज्ञानमय पावन सुपथ सह जागरण बन चल रहा। आप सब के नेह ने, मुझको दिया है हौसला, इसलिए कठिनाईयों का खल... Hindi · नायक जी के मुक्तक 908 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 2 Apr 2017 · 1 min read समल चित् -समान है/प्रीतिरूपी मालिकी/ हिंद प्रीति-गान बन (1) समल चित् -समान है ........................... सजगताभिमान है। सुबुधि गह महान है। भाव बिन सदैव नर। समल चित्-समान है। चित्=चित्त (2) प्रीतिरूपी मालिकी ......................... ईश-पथ का जाम पी, बनो ज्ञान... Hindi · नायक जी के मुक्तक 633 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 10 Mar 2017 · 1 min read अहं का अंकुर न फूटे,बनो चित् मय प्राण धन मर न जगमय मौत,हँस गह अमऱता का ज्ञान कन। जूझ मत, यह जिंदगी, सचमुच सजग आनंद पन। मुसकराना सीखकर भय मुक्त बन, लेकिन कभी, अहं का अंकुर न फूटे ,... Hindi · नायक जी के मुक्तक 565 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 5 Mar 2017 · 1 min read तुम-सम बड़ा फिर कौन जब, तुमको लगे जग खाक है? संत औ महंत वह है,चित् जिसका हर दम पाक है। अर्चन सु चोला, बुधि जगत् में, यही दुख का आँक है । निष्काम कर स्व कर्म को, सद् प्रेम बन... Hindi · नायक जी के मुक्तक 902 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 18 Feb 2017 · 1 min read वह फूल हूँ देश वीरों के चरण की शुभ-सुपावन धूल हूँ। मातृ-क्षित के अति सुहावन सुपथ हित की भूल हूँ। मुझे रौंदो,मैं मरूँ, जन्मूँ अनंतों बार भी। फिर मरूँँ, पद-घाव मरहम बन हँसू,... Hindi · नायक जी के मुक्तक 428 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 17 Feb 2017 · 1 min read जीवनी स्थूल है/सूखा फूल है जीवनी स्थूल है ़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़ ईश्वर पत्थर में पर पाते सदा वह फूल है। आचरण का बल तथा जित ज्ञान-प्रेमी तूल है। उसी दर पर लोग आएंगे सदा सद्बोधहित। चले जो... Hindi · नायक जी के मुक्तक 622 Share