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20 Feb 2024 · 1 min read

मुस्की दे प्रेमानुकरण कर लेता हूॅं।

बैरी से भी ज्ञान ग्रहण कर लेता हूॅं।
अमल भाव में चार चरण कर लेता हूॅं।
दुख में भी है बोध,सजग ‘नायक’ बनकर।
मुस्की दे प्रेमानुकरण कर लेता हूॅं।

पं बृजेश कुमार नायक

1 Like · 257 Views
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