■ हाल-बेहाल...
■ एक कुंडली..... 【प्रणय प्रभात】 "रोज़-रोज़ संत्रास हैं, रोज़-रोज़ अपमान। शिव के प्रिय-जन कर रहे, बेनागा विष-पान। बेनागा विष-पान बने विष-पायी सारे, सब के सब मदमस्त हुए अभ्यस्त बिचारे। कहे...
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