भैया दूज (हिंदी गजल/गीतिका)
यह कब जान पाता है एक फूल,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
बोये बीज बबूल आम कहाँ से होय🙏🙏
स्त्री-देह का उत्सव / MUSAFIR BAITHA
मिटे क्लेश,संताप दहन हो ,लगे खुशियों का अंबार।
तुम हकीकत में वहीं हो जैसी तुम्हारी सोच है।
अगहन कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के
बदल जाएगा तू इस हद तलक़ मैंने न सोचा था
" अधरों पर मधु बोल "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
ख्वाब देखा है हसीन__ मरने न देंगे।
सूरज दादा ड्यूटी पर (हास्य कविता)
बढ़ने वाला हर पत्ता आपको बताएगा
मिलना अगर प्रेम की शुरुवात है तो बिछड़ना प्रेम की पराकाष्ठा
वो बाते वो कहानियां फिर कहा
आज की सौगात जो बख्शी प्रभु ने है तुझे