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1 Feb 2024 · 1 min read

बोये बीज बबूल आम कहाँ से होय🙏🙏

जीवन है अनमोल प्यारे 🙏

☘️🍀☘️🍀☘️🍀

खेलो कूदो मस्त रहो ??
अभी नहीं तो कभी नहीं
पढ़ोगे लिखोगे होओगे

खराब खेलोगे कूदोगे
एक दिन बनोगे नबाब
पढ़ने वाला घूम निट्ठले

समय निज बर्बाद करता
खाओ पियो दूजे छिन
झूठा खिला जूठन नहीं

दया धर्म का समय नहीं
मतलब से मतलब रखो
औरों से सरोकार नहीं

कहते चलो सुनो नहीं
मन जो चाहे करो वही
रौब दिखा बर्दाश्त नहीं

नतमष्तक छोटे लक्षण
ऊंचा मष्तक बड़े होते
बड़े छोटे का रखो भेद

सीना तान बढ़े चलना
विनम्रता से रहना दूर
उम्र लिहाज जरूरत नहीं

जाति पाति का रहे ज्ञान
अकड़ में पकड़ बना कर
झुको नहीं झुकाना सीखो

दर्प घमण्ड से जीना सीखो
छीन हँसी से हँसना सीखो
ऐसा बीज ज्ञान देता जो .

भाव भावना से ग्रसित नव
विकृत संस्कार पनपती बीज
विकसित पाति बबूल गाछ़ी

पर्ण नुकीले कष्टों की डाली
बिखर विस्तृत चुभन जहरीले
कर्म पथ भर देता कांटों से

नव पल्लव भरी नव डाली
भूतल जीवन पथ दर्द चुभन
पक फल जहरीले बन जाते

भावहीन दम्भभरी शान ए
शौकत छनभंगुर जगत में
वक्त बदल देता है सब कुछ

ऐसी अज्ञान भरी शिक्षा का
काल खण्ड दुःख सागर बनता
ऐसे को प्रतिपत कहते जग जन

बोये बीज बबूल आम कहां से होय

सत्य इंसानियत नेक विचार मान
सम्मान दया धर्म सद्कर्म सद्बुद्धि

सद्ज्ञान सद् व्यवहार कर्त्तव्य पथ
सच्चा राही इसे अपनाने में है भलाई

🌹🌷🍀☘️🌹🌷🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण

Language: Hindi
80 Views
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