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23 Dec 2023 · 1 min read

आज मानवता मृत्यु पथ पर जा रही है।

आज मानवता मृत्यु पथ पर जा रही है।
सम्मुख अन्याय देख कर के भी लाज कहां आ रही है?

मन तो निरंतर मलीन हो रहा है,
हर जीव मनुष्य के कारण रो रहा है।

कोई रोकता नहीं इन दरिंदों को ,
नोच लेते हैं समाज के गिद्ध उड़ते परिंदों को।

आज भेड़िए मूखोटा पहनें हैं इंसान का
कर रहे हैं पाप, डर बचा नहीं भगवान का

आज मानवता मृत्यु पथ पर जा रही है,
लालच की भूख अब मानव को ही खा रही है।

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