भूरचन्द जयपाल Tag: कविता 232 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * डार्लिग आई लव यू * कल रात मैं चैन से सोया था अचानक खटिया हिलने लगी मैंने सोचा भूकम्प आ गया… मगर आँखे खोली तो देखा….. मेरी बीबी मुझ अदने से आदमी पर….. चढ़ाई कर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 100 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * क्या मुहब्बत है ? * क्या मुहब्बत है ? कभी हमने तुमसे की कभी तुमने हमसे की ना जाने कब प्यार के सागर में ज्वार आया और क्रोधरूपी हलाहल निकला ……….. मैं शिव तो नहीं... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 94 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * बचपन * गांव बचपन का भला या गांव का बचपन भला कौन जाने कब -कब किस ने किसको नहीं *** छला खेलते थे जब उछलकर पेड़ की डाली से हम बन्दरों को... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 103 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * भीम लक्ष्य ** भीम लक्ष्य था उस महा मानव का जिसने झेली तिरस्कार-पीड़ाएं और खोया अपनों को मानवहित खातिर हम आज किये हैं वाद अपने हित।। मित सीमित है स्वार्थ आज अपने विश्व... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 179 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * तेरी आँखें * आज भी मेरे अक्स को संभाले है ये तेरी आँखें देख शीशे में अपनी आँखों में आंखे डालकर नज़र आयेगी तुम्हारी आँखों में हमारी आँखें जिस्म की दूरियां भी नजदीकियां... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 102 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * बस एक तेरी ही कमी है * अब मैं अपनी बर्बादियों से क्या कहूं वो आबाद रही जीवनभर मैं भागता रहा जीवनभर और सलीका मुझे जीने का कब था मैं यूंही राहे-जिंदगी में आ गया वो मुझको... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 88 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * फर्क दिलों-जिस्म में हो ना * ** फ़िजा में आज घुली है जमाने-भर की आबे-बू कुछ क्षण गुस्ल कर लूं प्यार की बारिश में यूं।। खुदा की खुदाई आये मेरे आँचल में चुपके से मुझे ना... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 92 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * रात्रि के बाद सुबह जरूर होती है * निशा आती है दिनभर की थकान के बाद अँधेरा धीरे धीरे घना होता जाता है पर फिर भी थके हारे श्रमिक के मन को भाती है क्योकि वह दिनभर की... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 104 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * मुस्कुराते हैं हम हमी पर * मुस्कुराते हैं हम हमी पर कभी थे हम आसमां पर आज भी हैं हम जमीं पर कल क्या हो सरजमीं पर।। मुस्कुराते हैं हम हमी पर कभी थे हम आसमां... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 113 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * आख़िर भय क्यों ? * मौत के तांडव से आख़िर भय क्यों ? जिंदा इंसान कब था मरे से भय क्यों ? क्या मौत आने से ही मरता इंसान ? फिर आज ग़म-ग़मगीन इंसान क्यों... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 144 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * बडा भला आदमी था * काफिला चला जा रहा था मै उसके संग चलने की कोशिश कर रहा था वो बढ़ता ही जा रहा था मुझे पीछे छोड़ते हुए किसी एक ने भी पीछे मुड़कर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 153 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * सागर किनारे * सागर किनारे खड़ी इक नदी सदी से इंतज़ार कर रही है मिलन हो ना पाया सागर से अब तक मैं तड़पूंगी कब तक अब सागर किनारे उठती है लहरे हिय-सागर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 56 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * अरुणोदय * मेट स्याह रातों की कालिख रवि उदित होता देखो कवि-हृदय- प्रकाश देखो रश्मिरथी सूरज को देखो धीरे-धीरे आता है वह सागर के तट से उबर- उबर कर किरणें फैलाता अपनी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 88 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 1 min read ** मैं शब्द-शिल्पी हूं ** मैं शब्द-शिल्पी हूंउ शब्दो को जोड़ता हूं मैं विध्वंसक नहीं जो दिलों को तोड़ता है /हूं फिर भी लोग मुझे इल्ज़ाम दिये जातें हैं मैं मोम-सा कोमल पत्थर किये जाते... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 122 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 1 min read *. ईश्वर वही है * ईश्वर वही है जिसे हमने बनाया ईश्वर ने हमें नहीं बनाया क्योकि हमीं अपना ईश्वर तय करते हैं उसका रूप रंग आकृति सब कुछ लेकिन फिर भी वह हम पर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 65 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 1 min read * मैं अभिमन्यु * हर रोज चक्रव्यूह भेद निकलता हूं हर रोज महाभारत भेद निकलता हूं मैं अभिमन्यु सीखा नहीं माँ के उदर में ना खेद परिस्थितियां -पाशविक सिखलाती है मैं अभिमन्यु ना मैदान... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 128 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 1 min read ** हूं रूख मरुधरा रो ** हूं रूख मरुधरा रो केर नाम है म्हारो विषम सूं विषम टेम में भी मैं ऊभो रहूं ***** अकास म्हारी ओर देखे है टुकुर-टुकुर अर सोचे मन में ओ बिरखा... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 74 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 1 min read *होंश खोकर जिंदगी कभी अपनी नहीं होती* मत कर खत्म जिंदगी की महक महखाने में जाकर लौट कर जब तलक आयेगा चूमेंगे तुम्हारा वदन गली के सब श्वान मिलकर महक का आभास लेंगे गिरकर गली के उस... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 105 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 2 min read * एक ओर अम्बेडकर की आवश्यकता * एक ऐसा शख़्स जो अभावो में पला यह नहीं कह सकते हम क्योंकि वह अभावों को ठेलता हुआ आगे निकला वक्त का सीना चीरते समाज-ए-चिराग सा वक्त के सघन अँधेरे... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 85 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 1 min read * यह टूटती शाखाऐं है * *** यह उस पेड़ की टूटती हुई शाखाऐं है वृद्ध हो चुका है वह जीर्ण हो चुका है यह शाखाऐं छोड़ती हुई नज़र आती है उसे अपने में समाये रखने... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 76 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 2 min read * ये संस्कार आज कहाँ चले जा रहे है ? * ** ये संस्कार आज कहाँ चले जा रहे है हम आज ख़ुद-ब-खुद छले जा रहे हैं पाते संस्कार शाला-परिवार पा रहे हैं सुसंस्कार – कारखाने कहां जा रहे हैं।। *****... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 119 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 1 min read * शब्दों की क्या औक़ात ? * शब्दों की क्या औकात वक्त बोलता है वक्त का मारा कहां-कहां नहीं डोलता है आदमी जुबां कब खोलता है बेचारा नपा-तुला ही बोलता है ।। वक्त मज़बूत कर देता आदमी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 85 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 1 min read * चतु-रंग झंडे में है * चतु-रंग झंडे में है तीन जिसमें अहम चौथा रंग रहा गौण इनको बड़ा अहम विकास-चक्र चलता वह नील- रंग है रंगों-रंग पिसता-घिसता नील है अहम।। वह अशोक-चक्र सबका का करता... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 76 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 1 min read ऐ पत्नी ! ऐ पत्नी ! तुम अज़ब ग़ज़ब हो रहता पास जब मैं तेरे तो, तुम ज़ुल्म ढहाती हो जुबां से तुम कनफोड़वा-सी कान फोड़ती ।। ऐ पत्नी ! तुम ग़ज़ब ढहाती... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 148 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 1 min read * मेरी पत्नी * मेरी पत्नी आज-कल बहुत पढ़ती है मन ही मन बहुत कुछ,कुछ गढ़ती है नाख़ुश जो आजकल मुझसे रहती है कविता मेरी ही रटरट बहुत पढ़ती है।। गढ़ती है मन में... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 166 Share भूरचन्द जयपाल 2 May 2021 · 1 min read ये मौत का ताण्डव ये मौत का ताण्डव फिर भी तुम नहीं सुधरे अधर-धरे ज़हर-प्याला विश-ज्वाला हरे विश्वास वायू ।। फिर कौन बचाये हर हवाला विश पी गये हर, हरि ने किया छल बताओ... Hindi · कविता 864 Share भूरचन्द जयपाल 21 Apr 2021 · 1 min read आख़िर भय क्यों ? मौत के तांडव से आख़िर भय क्यों ? जिंदा इंसान कब था मरे से भय क्यों ? क्या मौत आने से ही मरता इंसान ? फिर आज ग़म-ग़मगीन इंसान क्यों... Hindi · कविता 3 495 Share भूरचन्द जयपाल 1 Apr 2021 · 1 min read ऐ पत्नी ! ऐ पत्नी ! ........ ऐ पत्नी ! तुम अज़ब ग़ज़ब हो रहता पास जब मैं तेरे तो, तुम ज़ुल्म ढहाती हो जुबां से तुम कनफोड़वा-सी कान फोड़ती ।। ऐ पत्नी... Hindi · कविता 1 584 Share भूरचन्द जयपाल 30 Jul 2020 · 1 min read मेरी पत्नी मेरी पत्नी आज-कल बहुत पढ़ती है मन ही मन बहुत कुछ,कुछ गढ़ती है नाख़ुश जो आजकल मुझसे रहती है कविता मेरी ही रटरट बहुत पढ़ती है।। गढ़ती है मन में... Hindi · कविता 4 2 877 Share भूरचन्द जयपाल 8 May 2020 · 1 min read लॉकडाउन लॉकडाउन अच्छी बात है कीजिए मगर ..जनता को तो जीने दीजिए ! कब तक आखिर कब तक घरों में रोकोगे बेकाम बेबश जनता...कोरोना को रोकोगे ? लॉकडाउन अच्छी बात है... Hindi · कविता 3 1 450 Share भूरचन्द जयपाल 21 Jan 2020 · 1 min read बडा भला आदमी था काफिला चला जा रहा था मै उसके संग चलने की कोशिश कर रहा था वो बढ़ता ही जा रहा था मुझे पीछे छोड़ते हुए किसी एक ने भी पीछे मुड़कर... Hindi · कविता 4 1 480 Share भूरचन्द जयपाल 21 Jan 2020 · 1 min read रात्रि के बाद सुबह जरूर होती है निशा आती है दिनभर की थकान के बाद अँधेरा धीरे धीरे घना होता जाता है पर फिर भी थके हारे श्रमिक के मन को भाती है क्योकि वह दिनभर की... Hindi · कविता 3 557 Share भूरचन्द जयपाल 21 Jan 2020 · 1 min read फूल झरते हो फूलों की खुशबू से भी महीन सुरभि है मेरे यार की ज़रा उस दीवार के पीछे झांककर तो देखो । फूलों से भी नाजुक जिस्म है उनका नफासत से सहेजकर... Hindi · कविता 2 568 Share भूरचन्द जयपाल 19 Jan 2020 · 1 min read सागर किनारे सागर किनारे खड़ी इक नदी सदी से इंतज़ार कर रही है मिलन हो ना पाया सागर से अब तक मैं तड़पूंगी कब तक अब सागर किनारे उठती है लहरे हिय-सागर... Hindi · कविता 1 2 699 Share भूरचन्द जयपाल 31 Dec 2019 · 1 min read प्रेम प्रेम समर्पण है प्रेम आदर है प्रेम विश्वास है प्रेम चाहत है है नहीं प्रेम दिल बस घायल प्रेम खोजता चाहत आहत है ।। मधुप बैरागी Hindi · कविता 1 1 679 Share भूरचन्द जयपाल 2 Apr 2019 · 1 min read फूल की पंखुड़ियाँ अब मुरझाने लगी है फूल की पंखुड़ियाँ अब मुरझाने लगी है न जाने कौन-सी आग झुलसाने लगी है सताने लगी जाने मन की बात अब कौन मन-छोड़ भँवरे पुरातन अब आग लगी है।। कौन... Hindi · कविता 1 500 Share भूरचन्द जयपाल 25 Jan 2019 · 1 min read चतु-रंग झंडे में है चतु-रंग झंडे में है तीन जिसमें अहम चौथा रंग रहा गौण इनको बड़ा अहम विकास-चक्र चलता वह नील- रंग है रंगों-रंग पिसता-घिसता नील है अहम।। वह अशोक-चक्र सबका का करता... Hindi · कविता 2 448 Share भूरचन्द जयपाल 20 Jan 2019 · 1 min read दोगलों की दुनियां दोगलों की दुनियां है दोगले लोग यहां अंदर कुछ और बाहर कुछ लोग यहां कहते हैं यहां इंसां के अंदर ओर इंसां निभाने -रिस्ते जीते हैं कुछ लोग यहां।। मधुप... Hindi · कविता 1 630 Share भूरचन्द जयपाल 28 Dec 2018 · 1 min read शब्दों की क्या औक़ात शब्दों की क्या औकात वक्त बोलता है वक्त का मारा कहां-कहां नहीं डोलता है आदमी जुबां कब खोलता है बेचारा नपा-तुला ही बोलता है वक्त मज़बूत कर देता आदमी वर्ना... Hindi · कविता 2 376 Share भूरचन्द जयपाल 1 Nov 2018 · 1 min read ** कहानी माँ की ** माँ तो केवल माँ होती है कभी धूप तो कभी छाँव होती है कभी कठोर तो कभी नम खुद तपती धूप को सहकर हमें आँचल में छुपाती है आप गीले... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 7 65 739 Share भूरचन्द जयपाल 31 Jul 2018 · 2 min read ये संस्कार आज कहाँ चले जा रहे है ? ये संस्कार आज कहाँ चले जा रहे है ? ******* ****** **** ***** *** ये संस्कार आज कहाँ चले जा रहे है हम आज ख़ुद-ब-खुद छले जा रहे हैं पाते... Hindi · कविता 1 393 Share भूरचन्द जयपाल 12 Jun 2018 · 1 min read ** अरुणोदय ** मेट स्याह रातों की कालिख रवि उदित होता देखो कवि-हृदय- प्रकाश देखो रश्मिरथी सूरज को देखो धीरे-धीरे आता है वह सागर के तट से उबर- उबर कर किरणें फैलाता अपनी... Hindi · कविता 1 516 Share भूरचन्द जयपाल 1 Jun 2018 · 1 min read ** मैं गीत कहूं या कथा कहानी ** यह केवल मेरे भावों का सायास अंकन ना होकर अनायास अंकन है शायद .................. १.६.१६ ,प्रातः८.१५ *********** ग़ज़ल कहूं या गीत कहूं ये रीत पुरानी आई है कहता आया हूं... Hindi · कविता 1 443 Share भूरचन्द जयपाल 1 May 2018 · 1 min read ** हम हिन्दू हैं ? ** हम हिन्दू हैं कहते सभी इंसानियत की अहमियत नहीं जाति है क्या इन्सां से बड़ी इन्सां से बड़ी जाति क्या होगी समझा नहीं यह मर्म कभी कर्म सबसे पहले करते... Hindi · कविता 1 470 Share भूरचन्द जयपाल 1 May 2018 · 1 min read भोर हुए वो जाती है भोर हुए वो जाती है सूनी उजाड़ गलियों से मजदूरिन थी वो नहीं थी कसबिन जाती थी भोर मजदूरी के लिए नहीं आ जाये उसकी जगह कोई ओर भूखे ना... Hindi · कविता 1 308 Share भूरचन्द जयपाल 30 Apr 2018 · 1 min read ** यह टूटती शाखाऐं है ** यह उस पेड़ की टूटती हुई शाखाऐं है वृद्ध हो चुका है वह जीर्ण हो चुका है यह शाखाऐं छोड़ती हुई नज़र आती है उसे अपने में समाये रखने की... Hindi · कविता 1 271 Share भूरचन्द जयपाल 30 Apr 2018 · 1 min read * ख़तरा नहीं मोल लेते हैं वो लोग * ख़तरा नहीं मोल लेते हैं वो लोग जो ज़िन्दगी को तराजू में तोल लेते हैं नीतिज्ञ,राजनीतिज्ञ सभी दूर रहकर थोड़ी बहुत मीठी बातें बोल लेते हैं कुर्सी अपनी बचने के... Hindi · कविता 1 268 Share भूरचन्द जयपाल 30 Apr 2018 · 1 min read इम्पोर्टेन्स ऑफ लव लव इज लाइफ़ ओनली लव एबल डू नॉट लव रिफ्यूज लव टू लिविंग बेस्ट लाइफ़ लव इज प्लीजेंट लाइफ़ लव मैक्स एम्फेसिज़ेड एम्स लोविंग लाइफ़ इज बेस्ट लाइफ़ ।। मधुप... Hindi · कविता 1 262 Share भूरचन्द जयपाल 30 Apr 2018 · 1 min read लिविंग बेस्ट लाइफ़ लाइफ़ इज डिफिकल्ट डू नॉट लाइफ़ लॉन्ग लाइफ़ इज शॉर्ट टाइम डू नॉट लाइफ़ एस्टेब्लिस्ट लाइफ़ इज ऑलवेज वॉकिंग लव मेक इज ब्रेव मैन ओनली ब्रेव मैन लिविंग इज गुड... Hindi · कविता 1 274 Share भूरचन्द जयपाल 12 Apr 2018 · 1 min read जलता कफ़न है भीतर ही भीतर जलता कफ़न है जिंदा हूँ मगर सपने दफ़्न है फ़र्क करना नामुमकिन है जलता क़फ़न है या मन ज़ाहिर है जलता कफ़न तो ना होता दफ़्न मझधार... Hindi · कविता 1 292 Share Page 1 Next