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30 Apr 2018 · 1 min read

** यह टूटती शाखाऐं है **

यह उस पेड़ की टूटती हुई शाखाऐं है
वृद्ध हो चुका है वह जीर्ण हो चुका है
यह शाखाऐं
छोड़ती हुई नज़र आती है उसे
अपने में समाये रखने की सामर्थ्य
अब उसमें नही है
जो बढ़ रहा है प्रदूषण
प्राकृतिक और सामाजिक) उसमें
स्वयं को भी
सुरक्षित नहीं रख पायेंगा वह
यह टूटती शाखाऐं कभी पूजी जाती थी
जब तलक
अस्तित्व इनका उस पेड़ के साथ था
विलग हुई जब उससे तो
जलाने कोई ले गया
अस्तित्व संकट में पड़ गया
बिन साये उस बूढ़े पेड़ के
यह टूटती शाखाऐं
खोने चली चैन अपना
होकर उससे विलग
थी कभी उसी संग-समाहित
यह टूटती शाखाऐं है यह टूटती शाखाऐं है।।
मधुप बैरागी

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