डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 578 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 7 Next डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 8 Oct 2018 · 1 min read ग़ज़ल काफ़िया-आन रदीफ़-ए जाने ज़िगर 2122 2122 2122 212 मान से ज़्यादा मिला सम्मान ए जाने ज़िगर। हो गए पूरे सभी अरमान ए जाने ज़िगर। ज़िंदगी में शख़्सियत थी कुछ सवालों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 243 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 8 Oct 2018 · 1 min read कविता 'रंग छटा गोकुल में बिखरी' ********************* साँवरि सूरत मोहनि मूरत नंद लला उर चैन चुरावत। आज जिया अकुलाय रहा अति मोर शिरोमणि रूप लुभावत। होठ धरी मुरली मुसकावत गोपिन राग... Hindi · कविता 345 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 8 Oct 2018 · 1 min read कविता बाल सखा चित चोर लियो तुम ढोल, मृदंग रहे मदमाए चंदन भाल लगा इठलावत श्वेत वसन तन खूब सुहाए। मोहनि मूरत सांवरि सूरत चंद्र सलौना रूप लुभाए फाल्गुन मास बसे... Hindi · कविता 1 1 481 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 8 Oct 2018 · 1 min read कविता मधुशाला” (माहिया छंद) ************ रातों को आते हो नींद चुरा मेरी मुझको तड़पाते हो। नैनों बिच तू रह दा मधुबन सा जीवन काँटे सम क्यों जी दा? दिल डूब गया... Hindi · कविता 279 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 8 Oct 2018 · 1 min read ग़ज़ल काफ़िया-आर रदीफ़-बिकते हैं अजब मालिक की दुनिया है यहाँ किरदार बिकते हैं। कहीं सत्ता कहीं ईमान औ व्यापार बिकते हैं। पड़ी हैं बेचनी सांसें कभी खुशियाँ नहीं देखीं निवाले को... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 234 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 7 Oct 2018 · 3 min read मुक्तक मुक्तक अजब मालिक की दुनिया है यहाँ किरदार बिकते हैं। कहीं सत्ता कहीं ईमान औ व्यापार बिकते हैं। पड़ी हैं बेचनी सांसें कभी खुशियाँ नहीं देखीं- निवाले को तरसते जो... Hindi · मुक्तक 251 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 7 Oct 2018 · 1 min read कविता *किताब* -------------- आज किताबें व्यथा सुनातीं कैसा ये कलयुग आया है? मोबाइल हाथों में देकर पुस्तक का मान घटाया है। ज्ञान स्रोत गूगल बन बैठा जग में ऐसा तोड़ कहाँ... Hindi · कविता 405 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 7 Oct 2018 · 1 min read कविता *किताब* -------------- आज किताबें व्यथा सुनातीं कैसा ये कलयुग आया है? मोबाइल हाथों में देकर पुस्तक का मान घटाया है। ज्ञान स्रोत गूगल बन बैठा जग में ऐसा तोड़ कहाँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 218 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 4 Oct 2018 · 2 min read मुक्तक मुक्तक बसाकर स्वार्थ निज उर में नहीं रिश्ते भुला देना। न मन में बैर विष सा घोल अपनों को रुला देना। मनुज जीवन बड़े सौभाग्य से मिलता किसी को है-... Hindi · मुक्तक 273 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 4 Oct 2018 · 1 min read कविता *दीवारें* विश्वासी ईंटों से निर्मित थी अटल दीवारों की हसरत, लेप स्वार्थ का लगा दिया व्यापी जिसके भीतर नफ़रत। भाई-भाई के बीच खड़ीं मतभेद करातीं दीवारें, अपनों का उपहास उड़ाकर... Hindi · कविता 252 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 4 Oct 2018 · 1 min read कविता *दीवारें* विश्वासी ईंटों से निर्मित थी अटल दीवारों की हसरत, लेप स्वार्थ का लगा दिया व्यापी जिसके भीतर नफ़रत। भाई-भाई के बीच खड़ीं मतभेद करातीं दीवारें, अपनों का उपहास उड़ाकर... Hindi · कविता 415 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 4 Oct 2018 · 1 min read कविता *आँसू* नयनों के सागर मध्य रहा ये मुक्तक सीप समाहित सा, निष्ठुर जग मोल लगा न सका रह गया ठगा उत्साहित सा। विकल व्यथाएँ जलते उर की क्रंदन करती धधक... Hindi · कविता 382 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 4 Oct 2018 · 1 min read कविता *दीवारें* विश्वासी ईंटों से निर्मित मजबूत दीवारों की हसरत, लेप स्वार्थ का लगा दिया व्यापी भीतर जिसके नफ़रत। भाई-भाई के बीच खड़ीं मतभेद करातीं दीवारें, अपनों का उपहास उड़ाकर क्यों... Hindi · कविता 268 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 30 Sep 2018 · 1 min read आँसू *आँसू* नयनों के सागर मध्य रहा ये मुक्तक सीप समाहित सा, निष्ठुर जग मोल लगा न सका रह गया ठगा उत्साहित सा। विकल व्यथाएँ जलते उर की क्रंदन करती धधक... Hindi · कविता 260 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 3 Sep 2018 · 1 min read गीत "कृष्ण जन्माष्टमी" *************** तर्ज़- फूल तुम्हें भेजा है ख़त में... द्युति दामिनी चमक रही है तीक्ष्ण बौछारें करतीं वार। देवकी पीर सही न जाए कृष्ण ले रहे धरा अवतार। भादों... Hindi · लेख 2 268 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता "किन्नर" ****** किसे सुनाऊँ मौन व्यथा मैं कौन जगत में है अपना, जन्म लिया किन्नर का जब से लगता है जीवन सपना। मातृ कोख से जन्मा हूँ मैं क्यों समझा... Hindi · कविता 1 1 259 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता "वैश्या का क्यों नाम दिया?" ********************* वैश्या का अंतर्मन कहता तू पाकीज़ा बन मिसाल, देह रौंदते हैवानों से कर ले आज लाख सवाल...। किसकी बेटी ने खुद चल कर कोठे... Hindi · कविता 308 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता "हे केशव नव अवतार धरो" घात लगाए बैठे दानव मानवता क्यों भूल गए? रक्त रंजित धरा पर हँसते देकर हमको शूल गए। संबंध भुला शकुनी मामा पापी दुर्योधन दाँव चले।... Hindi · कविता 297 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता "किसकी पराजय?" चली उम्मीद की आँधी जना जब पुत्र माता ने बजी शहनाइयाँ घर में दिया कुलदीप दाता ने। सजा अरमान की डोली झुलाया लाल को पलना पिता ने थाम... Hindi · कविता 230 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता "शोषित धरा" ********** इंद्रधनुष से रंग चुराकर सुंदर रचना बाकी है दूर प्रदूषण जग से करके भू का सजना बाकी है। बंजर भू के कोमल उर में नील नीर की... Hindi · कविता 260 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता ?मैं और मेरी माँ? बारिश की बूदों में माँ तू, मेघ सरस बन जाती है। तेज धूप के आतप में तू ,आँचल ढ़क दुलराती है। तन्हाई में बनी खिलौना ,आकर... Hindi · कविता 500 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता “देशभक्त की अभिलाषा” ***************** निष्ठुर मन की बुझी बाती सा, मैं क्यों जीवन मौन धरूँ? जी चाहे मैं रजत रेत सा हस्त पकड़ से फिसल पड़ूँ। आशाओं के पंख लगा... Hindi · कविता 1 321 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता ' कलम से ' ********* मैंने कलम हाथ में थामी नन्हें अक्षर लिखना सीखा। बना कलम को ताकत अपनी सुख-दुख उससे कहना सीखा। तन्हा स्वप्न सजा रातों में ख़्वाबों ने... Hindi · कविता 397 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता *खामोशी* ******* संवेगों की मौन व्यथाएँ मूक भाव अभिव्यक्ति है दमित चाह ज्यों बंद यौवना चुप्पी साधे दिखती है। कलकल स्वर में निर्झर बहता विरह वेदना कह जाता काँटों से... Hindi · कविता 393 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता “प्रकृति बचाओ” रक्त अश्रु बहा प्रकृति करे ये रुदन नहीं ध्वस्त करो मेरा कोमल बदन वृक्ष पवन जल तुमसे छिन जाएँगे प्रदूषित धरा पर जन क्या पाएँगे? कुपोषित नदी कूड़ेदान... Hindi · कविता 443 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता *?रिश्ते?* ************* प्रीत बरसती थी रिश्तों में अंगारे क्यों धधक रहे हैं ? बोए हमने फूल यहाँ थे काँटे फिर क्यों उपज रहे हैं? संस्कार अब विलुप्त हो गए माँ... Hindi · कविता 217 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता विरह गीत (मत्तगयंद छंद, 7भगण +दो गुरु) ******************** श्याम सखा चित चोर लियो तुम नैंनन नींद नहीं अब आए। भोर भई मन देखत कान्हा माखन ,दूध, दही न सुहाए। गोकुल,... Hindi · कविता 304 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता "कशमकश" ********** ये कशमकश ये मुश्किलें भी हमको नाच नचाती हैं, सुलझ न पाए गुत्थी कोई उलझन ये बन जाती हैं। असमंजस का भाव जगातीं, दिल को ये भटकाती हैं,... Hindi · कविता 193 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता सफ़र ****** दुष्कर सफ़र काट जीवन में अंगारों के पार गया, नयनों से नीर बहा मेरे क्यों ना देखूँ ख्वाब नया। सुखद सलौना प्रेम खिलौना उर में मेरे प्यार पला,... Hindi · कविता 421 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता "घूँट-घूँट ज़िंदगी" ************** बेबस, आहत ताने सह कर औरत घुट-घुट कर मरती है, नव रूप धरे इस जीवन में आँचल में काँटे भरती है। जिस दिन बेटी को जन्म दिया... Hindi · कविता 388 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता "उदास पनघट" ************ छुपा कर दर्द सीने में नदी प्यासी बहे जाती। बसा कर ख्वाब आँखों में परिंदे सी उड़े जाती। निरखते बाँह फैलाकर किनारे प्यार से इसको- समेटे प्यास... Hindi · कविता 227 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता "प्यासे अधर" सदियों से प्यासे अधरों पर मधु मुस्कान कहाँ से लाऊँ, मूक व्यथा की पौध लगा कर सुरभित पुष्प कहाँ से पाऊँ? पीड़ा से मर्माहत मन को कोकिल गान... Hindi · कविता 420 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता 'भिखारी हूँ ! भिखारी हूँ ! ******************* भूख जब रोंदती उर को निवाला खोजता था मैं। बहुत तकलीफ़ होती थी जेब जब नोंचता था मैं। पढ़ाया गर मुझे होता न... Hindi · कविता 527 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता ' कलम से ' ********* मैंने कलम हाथ में थामी नन्हें अक्षर लिखना सीखा। बना कलम को ताकत अपनी सुख-दुख उससे कहना सीखा। तन्हा स्वप्न सजा रातों में ख़्वाबों ने... Hindi · कविता 252 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता "प्यासा सावन" ************ दुष्कर सफ़र काट जीवन में अंगारों के पार गया, नयनों से नीर बहा मेरे क्यों ना देखूँ ख्वाब नया। सुखद सलौना प्रेम खिलौना उर में मेरे प्यार... Hindi · कविता 249 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता "एकाएक नयन भर आए" ******************** छू कर मलय पवन ने तन को मीठा सा अहसास दिया एकाएक नयन भर आए मैंने तुमको याद किया। पृष्ठ किताबों के जब खोले सूखा... Hindi · कविता 518 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता "ए ,मन कहीं ले चल" **************** किया उर घोंप कर छलनी मनुज ने मजहबी खंजर, बहा कर खून की नदियाँ हँसे अब पूर्ण कर मंजर। परिंदा बन उड़ूँ मैं आज... Hindi · कविता 240 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता *आँचल में है दूध और आँखों में पानी* ********************************** सुला कर गोद में अपनी झुलाया पूत को पलना तड़प कर रो उठी ममता पड़ा अपमान जब सहना। बह रहे आँख... Hindi · कविता 239 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता "शारदे माँ!" शारदे माँ ! पद्म आसन, श्वेतवर्णी आप हो। ज्ञान दे #चेतन बनातीं गौरवर्णी आप हो। हो # विलय उर में हमारे मातु वीणा वादिनी, मोह-माया से घिरा मन... Hindi · कविता 302 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता ?आशा? आशाओं के स्वर्ण कलश ने बूँद एक जब छलकाई। उर में आशा का दीप जला पुलक-पुलक कर मुस्काई।। पुष्प चक्षु से तंद्रा हरके हरिताभा सी बरसाई। सूखे पतझड़ के... Hindi · कविता 557 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता *पल* पल पल मैं जिया जिस पल के लिए वो पल आया एक पल के लिए। पल भर को उस पल जीना चाहा वो पल न जिया एक पल के... Hindi · कविता 229 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता "परिंदे" आँखों में परिंदे पाले थे उम्मीद लगा इंसानों की मतवाले दो खग झूम उठे भूले हस्ती दीवानों की। भाल लगा कर चंदन टीका मजहब सारे हार गए बेखौफ़ सरहद... Hindi · कविता 329 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read ग़ज़ल "मुहब्बत" ********* रोज़ आते रहे ख़्यालों में। गुल महकते रहे किताबों में। मुस्कुराने का' दौर आया है गीत छेड़ा गया बहारों में। ये मुलाकात बस बहाना है बात होती रही... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 254 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read गीत *जीवन साथी* जीवन पथ पर साथ चले हम थामे बाहें बाहों में चूमे इक-दूजे के छाले पाए थे जो राहों में। कितने पतझड़ सावन आए कितने पथ में शूल मिले... Hindi · गीत 1 650 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता *हिंदी को सम्मान दो* संस्कृत से जन्मी हिंदी ने भाषा का संसार दिया, 'देवनागरी' लिपि में जिसने भाषा को विस्तार दिया। 'आगत' शब्द समाहित करके विश्व पटल प्रतिमान दिया, शब्दकोश... Hindi · कविता 499 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता "होली का रंग फीका लागे" ********************* सोच रही हूँ कलम हाथ ले रँग दूँ सबको होली में, फाग बयार झूम कर कहती चल गरीब की खोली में। रँगी बेबसी धूमिल... Hindi · कविता 455 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता 'रंग छटा गोकुल में बिखरी' ********************* साँवरि सूरत मोहनि मूरत नंद लला उर चैन चुरावत। आज जिया अकुलाय रहा अति मोर शिरोमणि रूप लुभावत। होठ धरी मुरली मुसकावत गोपिन राग... Hindi · कविता 479 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 2 min read गीत *प्रियतम मेरे* ********** प्राची उदित भानु से प्रमुदित जीवन में तुम आए थे। स्वर्ण कलश की आभा लेकर प्रीत बसा मन भाए थे।। माँग भरी अरुणाई मेरी, सपन सलौने लाई... Hindi · गीत 274 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read गीत 'परदेसी मीत' परदेसी मीत मेरे मेरी प्रीत बुलाती है, बन जाओ गीत मेरे तेरी याद सताती है। बारिश के मौसम में बूँदों की सरगम में चूड़ी की खनखन में पायल... Hindi · गीत 268 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read गीत 'अधूरे सपने' गीत' *************** साथ मिला होता जीवन में , किलकारी हँसती आँगन में। उदित भानु की लाली लेकर, सिंदूरी माँग सजाती मैं। भोर की रश्मि की रोली से, भाल... Hindi · गीत 244 Share Previous Page 7 Next