Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Sep 2018 · 1 min read

कविता

“प्यासा सावन”
************
दुष्कर सफ़र काट जीवन में
अंगारों के पार गया,
नयनों से नीर बहा मेरे
क्यों ना देखूँ ख्वाब नया।

सुखद सलौना प्रेम खिलौना
उर में मेरे प्यार पला,
अरमानों की सेज सजा कर
जिसने दिल को खूब छला।

आशा की बाती से मैंने
श्रम स्वेद दीप जला दिया,
अपमानों की तीक्ष्ण वृष्टि ने
रौशन दीपक बुझा दिया।

कपटी लोगों के तानों ने
मन का मंदिर भेद दिया,
चीत्कार किया इक हूक उठी
उर का दामन छेद दिया।

मरुधर में प्यासा जब तड़पा
लू ने आकर घेर लिया,
उम्मीद लगाई अपनों से
अपनों ने मुँह फेर लिया।

बचपन में रो तो लेता था
अब मैं पागल कहलाऊँ,
स्वादिष्ट व्यंजनों को तरसूँ
बासी रोटी मैं खाऊँ।

बीती दुखदाई यादें भी
शूल बनीं अब चुभती हैं,
पथरीली आँखें राह तकें
पलकें बोझिल लगती हैं।

जी चाहे जीवन की स्याही
बारिश में धो डालूँ मैं,
तोड़ दिवारें नफ़रत की फिर
प्यार किसी का पा लूँ मैं।

बना परिंदा भर उड़ान मैं
नीरसता को भूल गया,
पंख लगाए उम्मीदों के
क्यों ना देखूँ ख़्वाब नया।

डॉ. रजनी अग्रवाल ” वाग्देवी रत्ना”
वाराणसी (उ. प्र.)
संपादिका-साहित्य धरोहर

Language: Hindi
216 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
View all
You may also like:
मन के झरोखों में छिपा के रखा है,
मन के झरोखों में छिपा के रखा है,
अमित मिश्र
सही पंथ पर चले जो
सही पंथ पर चले जो
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
“आखिर मैं उदास क्यूँ हूँ?
“आखिर मैं उदास क्यूँ हूँ?
DrLakshman Jha Parimal
हिम्मत कभी न हारिए
हिम्मत कभी न हारिए
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
बस कुछ दिन और फिर हैप्पी न्यू ईयर और सेम टू यू का ऐसा तांडव
बस कुछ दिन और फिर हैप्पी न्यू ईयर और सेम टू यू का ऐसा तांडव
Ranjeet kumar patre
ज़िंदगी जीने के लिये क्या चाहिए.!
ज़िंदगी जीने के लिये क्या चाहिए.!
शेखर सिंह
माँ दे - दे वरदान ।
माँ दे - दे वरदान ।
Anil Mishra Prahari
मैं पढ़ता हूं
मैं पढ़ता हूं
डॉ० रोहित कौशिक
मैं चाहती हूँ
मैं चाहती हूँ
ruby kumari
3294.*पूर्णिका*
3294.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
हे माँ अम्बे रानी शेरावाली
हे माँ अम्बे रानी शेरावाली
Basant Bhagawan Roy
देश के दुश्मन कहीं भी, साफ़ खुलते ही नहीं हैं
देश के दुश्मन कहीं भी, साफ़ खुलते ही नहीं हैं
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मंजिल
मंजिल
Kanchan Khanna
"मेला"
Dr. Kishan tandon kranti
*आ गया मौसम वसंती, फागुनी मधुमास है (गीत)*
*आ गया मौसम वसंती, फागुनी मधुमास है (गीत)*
Ravi Prakash
नहीं है प्रेम जीवन में
नहीं है प्रेम जीवन में
आनंद प्रवीण
नंगा चालीसा [ रमेशराज ]
नंगा चालीसा [ रमेशराज ]
कवि रमेशराज
ख्वाब हो गए हैं वो दिन
ख्वाब हो गए हैं वो दिन
shabina. Naaz
😢नारकीय जीवन😢
😢नारकीय जीवन😢
*Author प्रणय प्रभात*
मेरी फितरत में नहीं है हर किसी का हो जाना
मेरी फितरत में नहीं है हर किसी का हो जाना
Vishal babu (vishu)
कथ्य-शिल्प में धार रख, शब्द-शब्द में मार।
कथ्य-शिल्प में धार रख, शब्द-शब्द में मार।
डॉ.सीमा अग्रवाल
तुम्हीं हो
तुम्हीं हो
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
दिल का कोई
दिल का कोई
Dr fauzia Naseem shad
भगवान ने जब सबको इस धरती पर समान अधिकारों का अधिकारी बनाकर भ
भगवान ने जब सबको इस धरती पर समान अधिकारों का अधिकारी बनाकर भ
Sukoon
*याद  तेरी  यार  आती है*
*याद तेरी यार आती है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
लौटना पड़ा वहाँ से वापस
लौटना पड़ा वहाँ से वापस
gurudeenverma198
जुबां
जुबां
Sanjay ' शून्य'
धरती पर स्वर्ग
धरती पर स्वर्ग
Dr. Pradeep Kumar Sharma
दिल धड़क उठा
दिल धड़क उठा
Surinder blackpen
Loading...