Santosh Shrivastava Language: Hindi 724 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 6 Next Santosh Shrivastava 24 Oct 2019 · 1 min read करूँ वन्दना माँ करूँ वन्दना माँ नेक ईमान अपनाऊँ जीवन में चलूँ सत्य मार्ग पर माँ ऐसा दो वरदान करूँ माँ वन्दना तेरी है जीवन कठिन हर कदम पर चलना है संभल कर... Hindi · कविता 1 349 Share Santosh Shrivastava 21 Oct 2019 · 1 min read श्रद्धा सुमन है श्रद्धा ईश प्रति सादर करूँ पुष्प समर्पित गाऊं मंगल गीत मैं जीवन सफल हो जाए श्रद्धा सुमन माता पिता को चरण छू वंदन करूँ मिले आशीष जीवन में श्रद्धा... Hindi · कविता 318 Share Santosh Shrivastava 20 Oct 2019 · 2 min read बदलती विचारधारा रामलाल हाल का सामान जमा रहे थे । यहाँ अभी उनके साथी आने वाले थे । रामलाल ने जब अपना घर बनवाया था, तब बेटे सुरेश के लिए तीन कमरे... Hindi · कहानी 255 Share Santosh Shrivastava 19 Oct 2019 · 1 min read दुखद होती विदाई आँखो में आँसू भर देती है विदाई अपनों से दूर देती है विदाई पालते पोसते बेटी को रोते हुए कर देते हैं विदा माता पिता से जातें हैं दूर बच्चे... Hindi · कविता 490 Share Santosh Shrivastava 17 Oct 2019 · 1 min read करवा-चौथ बनाम नारी श्रृंगार अधूरा है श्रृंगार अधूरा है प्यार अधूरा है दुलार बिन नारी श्रृंगार है कल्पना किसी कवि की है रूप सलोना किसी चित्रकार का है मंगल मूर्ति किसी मूर्तिकार की है... Hindi · कविता 228 Share Santosh Shrivastava 15 Oct 2019 · 1 min read जीवन यात्रा जिसका न हो कोई अंत वही होता है अनंत ब्रह्मांड अनंत सृष्टि अनंत देव अनंत ईश पक्षिय है अनंत मन की चंचलता अनंत इच्छाऐं अनंत लालच अनंत कुचेष्टाऐ अनंत घोटाले... Hindi · कविता 382 Share Santosh Shrivastava 15 Oct 2019 · 1 min read रहो निर्भय (सायली लेखन) 1 सन्नाटा निर्भय सैनिक चल उठी गोलियों शत्रु हाहाकार विजय 2 लड़की निर्भय अकेली चली घर से मिले मनचले कराटे स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 303 Share Santosh Shrivastava 13 Oct 2019 · 1 min read एक विडम्बना शरद पूर्णिमा के चाँद ने इठला कर कहा : " बन रही हर घर खीर " मैंने कहा : " उस झोपड़ी में भी देख चाँद , सौ रहे भूखे... Hindi · मुक्तक 349 Share Santosh Shrivastava 13 Oct 2019 · 1 min read एक विचार यातायात नियमों का पालन करते हुए सड़क पर चलें सुरक्षित रहें, दूसरों की जिंदगी भी सुरक्षित करें *विश्व ट्रामा (चोट) दिवस* Hindi · मुक्तक 449 Share Santosh Shrivastava 13 Oct 2019 · 2 min read जिन्दगी, एक अहसास भी उम्र पैंसठ-साठ साल को पार करते हुए पापा माँ में चिड़चिड़ा आता जा रहा था , और हो भी क्यों न ? हम दो बहनें समाज की क्रूरता के कारण... Hindi · कहानी 541 Share Santosh Shrivastava 10 Oct 2019 · 1 min read फरेबी चेहरा टूट कर भी आईना दिखाता है चेहरे अनेक भले ही छिपाये इन्सान फरेबी चेहरे चाह रहा था आईना कहना दास्ताँ घूंघट ने रोक दी ख्वाहिश उसकी है आईना नादान इतना... Hindi · कविता 2 234 Share Santosh Shrivastava 10 Oct 2019 · 1 min read मानसिक स्वास्थ्य अच्छा सोचें अच्छा खायें खुश रखें खुश रहें *विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की शुभकामनाएं * Hindi · मुक्तक 211 Share Santosh Shrivastava 9 Oct 2019 · 1 min read व्यथा रावण की जलता रहा हूँ साल दर साल मैं रावण जलता रहा मैं धू धू ताली बजाते रहे तुम करते रहे बदनाम मुझे एक बार की सजा भुगत रहा मैं वर्षों से... Hindi · कविता 1 1 478 Share Santosh Shrivastava 9 Oct 2019 · 1 min read गुमनाम जिन्दगी गुमनाम जिन्दगी जीने का भी मजा अलग ही है न दुआ न सलाम अपने में मस्त बंद दरवाजा न साकल न कुंडी Hindi · मुक्तक 1 466 Share Santosh Shrivastava 8 Oct 2019 · 1 min read जियो जिन्दगी दूसरों के लिए त्याग माँ का अमूल्य बच्चों के लिए किये गये त्याग का न है कोई मूल्य करता है जवान देश के लिए परिवार का त्याग रहता सीमा पर लड़ता दुश्मन से... Hindi · कविता 211 Share Santosh Shrivastava 7 Oct 2019 · 1 min read घूमते गाँव 1 छूटते गाँव दूर होतीं चौपालें शहरी लोग 2 जिन्दगी सूनी गुमती पगडंडी गाँव अजब 3 घूंघट नहीं न पायल आवाजें गाँव हैं सूना स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल Hindi · हाइकु 448 Share Santosh Shrivastava 5 Oct 2019 · 1 min read अजीब सी है जिन्दगी है कुछ हलचल सी जिन्दगी में एक तरफ मौत है तो दूसरी तरफ जीने की आशा थिरकने सी लगती है जिन्दगी जब कोई अपना सा मिल जाता है जिन्दगी में... Hindi · कविता 3 2 232 Share Santosh Shrivastava 3 Oct 2019 · 1 min read निःशब्द एक भाषा कह देते है निःशब्द भी बहुत कुछ मौन रह कर भी हो जाते है निष्ठुर कभी संवेदनहीन कभी आंसुओं में खो जाते हैं कभी है निःशब्द विचित्र कहानी तेरी बंद... Hindi · कविता 1 189 Share Santosh Shrivastava 2 Oct 2019 · 1 min read जय जवान-जय किसान हो चाहे ठंड, गर्मी या बरसात डटे हैं देश की सीमा और खेतों पर मान दो सम्मान दो करो वंदना इनकी ये हैं भारत के जय जवान जय किसान स्वलिखित... Hindi · मुक्तक 279 Share Santosh Shrivastava 1 Oct 2019 · 2 min read नवरात्र कन्या भोजन देवकी नवरात्र में कन्या भोजन कर रही थी । उसने अपने पति राकेश , जो सड़क निर्माण विभाग में इंजीनियर हैं, को आवाज दे कर बुलाया और कहा : "... Hindi · लघु कथा 1 2 268 Share Santosh Shrivastava 30 Sep 2019 · 1 min read प्यार माँ का है माँ का प्यार अमूल्य है किस्मत वाले जिन्हें मिलता माँ का प्यार माँ ही देवी माँ ही आस्था माँ ही विश्वास माँ ही ईमान माँ ही संसार करों सम्मान... Hindi · कविता 1 411 Share Santosh Shrivastava 29 Sep 2019 · 2 min read सही निर्णय लघुकथा देह दान रामलाल आईसीयू के बिस्तर पर पड़े कभी थोडी चेतना आने पर यहाँ वहाँ देखने लगते और उनके पास खड़े छोटे भाई देवीलाल से पूछते : " बिट्टू... Hindi · लघु कथा 1 286 Share Santosh Shrivastava 28 Sep 2019 · 1 min read श्राद्ध और श्रद्धा श्राद्ध है श्रद्धा करों मन से है नहीं कोई जबर्दस्ती अपने कर्म अपने साथ हैं अच्छा बुरा यहीं रह जाता है नाम अच्छा बुरा रह जाता है स्वलिखित लेखक संतोष... Hindi · कविता 1 394 Share Santosh Shrivastava 28 Sep 2019 · 1 min read जीवन में मंथन है जीवन क्षणभंगुर दिया है प्रभु ने इसे सुन्दर करो काम अच्छे अच्छे करो मंथन सच्चे सच्चे माता पिता ने दिया है जीवन हैं उनके प्रति भी दायित्व हमारे करें... Hindi · कविता 216 Share Santosh Shrivastava 28 Sep 2019 · 1 min read रखो साथ विवेक सदा न खोए विवेक कभी चाहे हो कितना ही मुश्किल समय चलती है जिन्दगी सुगम कर्मठता और ईमानदारी से साथ हो अगर विवेक साथ सोने पे सुहागा हो जाए है दुनियां... Hindi · कविता 1 227 Share Santosh Shrivastava 26 Sep 2019 · 1 min read माँ तूझे नमन सीखा है पसीना बहाना मैंने माँ से न वो थकती है न आराम करती है बस है उसे चिंता घर की कई बार मैंने मन की आँखो से खींचे है... Hindi · कविता 1 284 Share Santosh Shrivastava 26 Sep 2019 · 1 min read एक कटु सत्य ढोते रहे जिन्दगी भर हम अपने नाम को मरने के बाद लोगों ने कहा जला दो लाश को स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल Hindi · मुक्तक 1 1 205 Share Santosh Shrivastava 25 Sep 2019 · 1 min read झंकार दिल को जो कर दे बेचैन वह गीत सुनाता हूँ दिल में जो समा जाए वो संगीत बजाता हूँ ताल और सुरों का है खेल मनोरम गीत जब आये लवों... Hindi · मुक्तक 2 1 504 Share Santosh Shrivastava 24 Sep 2019 · 1 min read पितर पक्ष- महत्व लघुलेख जो बच्चे माता पिता के जीते जी भोजन वस्त्र और शरीर से सेवा करते हैं और स्वर्गवास के बाद भी नियमित भोग अर्पण करते है और पितर पक्ष में विधिवत... Hindi · लेख 2 213 Share Santosh Shrivastava 24 Sep 2019 · 1 min read आस्था विश्वास की नगरी है महादेव की नगरी भरी है यहाँ गंगा ने गगरी है यह हमारा काशी बनारस धार्मिक नगरी भारतीय संस्कृति की पहचान है ये नगरी गूंजते है हर हर महादेव हर... Hindi · कविता 1 164 Share Santosh Shrivastava 23 Sep 2019 · 1 min read मजबूत ईरादे होती है चाह हर किसी की हो औलाद उसकी मजबूत लोह जैसी बनता है लोहा तप कर मजबूत कभी हथियार तो कभी बनाता है दुश्मन से निपटाने को होशियार रहता... Hindi · कविता 1 231 Share Santosh Shrivastava 21 Sep 2019 · 1 min read खुला बाजार दुकानें हजार खुला है बाजार दुकानें हैं हजार कहीं है मेहनतकश कहीं है बदमाश सजी है दुकान बैठी वो सज-धज के रहना था उसे इज्जत से हो रही यहाँ वो बेइज्जत जमाने... Hindi · कविता 2 1 265 Share Santosh Shrivastava 21 Sep 2019 · 2 min read केकई एक चरित्र विडम्बना है कि केकई का चरित्र राम को वनवास जाने का पर्याय माना जा रहा है लेकिन इस मर्म के पीछे मंथरा के चरित्र को अनदेखा किया जाता है बुरा... Hindi · लेख 1 702 Share Santosh Shrivastava 20 Sep 2019 · 1 min read सिंदूर तेरे रूप अनेक पिरामिड विधा 1 ये लगे सुन्दर सजे बिन्दी मांग सिन्दूर ओढ़ी जो चुनरी है बेटी ससुराल 2 है मूल्य सिन्दूर मिटे मांग हो हाहाकार लो आया शहीद घर छाया मातम... Hindi · कविता 286 Share Santosh Shrivastava 19 Sep 2019 · 1 min read महिमा पलकों की पलकें खुलीं लगा सारा जहां अपना सा बंद हुई पलकें न दिखा कोई अपना सा संजोए बैठी दुल्हन सतरंगी सपने बंद किये पलकें आऐगा शहजादा कोई बैठाने पलकों में कोई... Hindi · कविता 282 Share Santosh Shrivastava 18 Sep 2019 · 1 min read मधुर रसमयी जिन्दगी भरो रस जीवन में नीरस पसंद नहीं कोए रसभरी चमचम खाए सब सूखी खाए न कोए है ये जीवन दो दिन का मेला बिताए दिन मधुर रसभरे बंद हो जाएँ... Hindi · कविता 333 Share Santosh Shrivastava 18 Sep 2019 · 1 min read न चली बीवी के आगे (हास्य कविता ) जाता हो शायद ही कोई दिन जिस दिन न होती हो बीवी से भिडन्त टारगेट एक ही वो बोले तो हम नहीं हम बोलें तो वो नहीं थी शादी की... Hindi · कविता 445 Share Santosh Shrivastava 18 Sep 2019 · 1 min read अभिशाप है दहेज है विडम्बना पढ़ी लिखी नौकरी पेशा बेटियां भी है आज दहेज से पीडित चाहिए समाज में दहेज अनेक लेकिन करते लड़के जब प्रेम विवाह लाते क्या दहेज अनेक ????? जाते... Hindi · कविता 206 Share Santosh Shrivastava 17 Sep 2019 · 1 min read धुआँ धुआँ होती जिन्दगी दीये हैं जलने लगे हो रही रोशन ज़िन्दगियाँ है कैसी पहेली ये नीचे अंधेरा ऊपर है धुआँ धुआँ धुआँ हो रही जिन्दगी अपने थे पास तो चिन्गारियाँ थी गये तो... Hindi · कविता 246 Share Santosh Shrivastava 16 Sep 2019 · 1 min read छोड़ो जहर है नशा जीवन में जहर उजड़ जाते परिवार अनेक किया शिव ने बचाने जगत विष पान बन गये वो नीलकंठ होते नहीं सभी सर्प समेटे अपने में जहर भय से... Hindi · कविता 189 Share Santosh Shrivastava 15 Sep 2019 · 1 min read आलसी नही कर्मठ बने आजकल सब जगह गरीबों को मुफ्त खाना रहना बिजली पानी की विडंबनापूर्ण पेशकश की जाती है और की जा रही है जो उचित परिवेश नही है । इससे एक ऐसा... Hindi · लेख 1 289 Share Santosh Shrivastava 14 Sep 2019 · 1 min read हम सब भाषा हिन्दी दिनांक 14/9/19 बात कम काम ज्यादा हो हिन्दी की चिंता कम अपनाये ज्यादा हो चाहे केंद्र या राज्य सरकार या बैंक बीमा हो सभी जगह हिन्दी भाषा न हो भेद... Hindi · कविता 489 Share Santosh Shrivastava 13 Sep 2019 · 1 min read बनों जिम्मेदार लगती नहीं अच्छी बंजर भूमि बनो उत्पादक दो योगदान देश के लिए बनो सहारा माता पिता के बनो भाग्य-विधाता परिवार के करना ही है तो करो कुछ ऐसा बह जाऐ... Hindi · कविता 1 1 229 Share Santosh Shrivastava 13 Sep 2019 · 1 min read माथे सजे बिंदी 1 बिंदी है माथे दमके ये दुल्हन आया सौभाग्य 2 महत्व बिंदी जानती भाषा हिंदी चिंता है चिता 3 माँ जयकारे ललाट पर बिंदी आशीर्वाद माँ स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव... Hindi · हाइकु 1 353 Share Santosh Shrivastava 13 Sep 2019 · 1 min read नालायक बच्चे बच्चों पर बोझ नालायक बच्चों को बुढ़ापे में छूट दी है तो वह और लापरवाह हो रहे है । मुम्बई में एक माँ का बड़े फ्लेट में कंकाल मिलना इसका... Hindi · लघु कथा 529 Share Santosh Shrivastava 12 Sep 2019 · 1 min read दास्ताँ ऐ उम्र उम्र भी बड़ी बैगेरत है दोस्तों जितना भी भूलाओ साल में एक दिन आ ही जाती है संतोष श्रीवास्तव Hindi · मुक्तक 437 Share Santosh Shrivastava 12 Sep 2019 · 1 min read बज उठी शहनाई बज उठी शहनाई दुल्हन शर्माई सपने हो रहे पूरे दूल्हा मन ही मन हर्षाये दिया माता पिता ने आशीर्वाद करे बहन ठिठोली उठाई भाई ने डोली चली ससुराल प्यारी बहना... Hindi · कविता 250 Share Santosh Shrivastava 11 Sep 2019 · 1 min read मत इतरा इतना भी मत इतरा अपनी खूबसूरती पर ऐ जिन्दगी कई चेहरे बदरंग होते देखें है जमाने ने *संतोष श्रीवास्तव* Hindi · मुक्तक 228 Share Santosh Shrivastava 11 Sep 2019 · 1 min read माँ को पहला खत आई जब समझ थोड़ी सोचा लिखूं किसे खत पहला मैं गया था एनसीसी केम्प में रह गयी थी माँ घर अकेली लिखा यूँ खत पहला "मेरी प्यारी माँ पडूँ पैर... Hindi · कविता 205 Share Santosh Shrivastava 10 Sep 2019 · 1 min read ईश - मानव एक पहलू ईश पहलू बजाई जब मधुर बंसी किसन ने वृन्दावन झूम उठा नाची राधा बाबरी बन गऊन दौड़ी किसन ओर हर दिशा हुई खुशहाल चैन की बंसी बजाते रहो किसन होता... Hindi · कविता 223 Share Previous Page 6 Next