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16 Sep 2019 · 1 min read

छोड़ो जहर

है नशा
जीवन में
जहर
उजड़ जाते
परिवार अनेक

किया शिव ने
बचाने जगत
विष पान
बन गये वो
नीलकंठ

होते नहीं
सभी सर्प
समेटे अपने में
जहर
भय से ही
हो जाता है
इन्सान
परेशान

बोलो
जीवन में
बोल
अमृत तुल्य
बनों मत
विषधर
जीवन में

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
170 Views
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