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13 Oct 2019 · 1 min read

एक विडम्बना

शरद पूर्णिमा के
चाँद ने
इठला कर
कहा :
” बन रही
हर घर खीर ”
मैंने कहा :
” उस झोपड़ी में
भी देख
चाँद ,
सौ रहे
भूखे लोग
सहते पीर”

Language: Hindi
329 Views
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