Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Sep 2019 · 1 min read

धुआँ धुआँ होती जिन्दगी

दीये हैं
जलने लगे
हो रही
रोशन
ज़िन्दगियाँ
है कैसी
पहेली ये
नीचे अंधेरा
ऊपर है धुआँ

धुआँ धुआँ
हो रही
जिन्दगी
अपने थे पास
तो
चिन्गारियाँ थी
गये तो
खामोश
है जिन्दगी

लगता है डर
” संतोष ”
अब तो
श्मशान
देख कर
लकड़ियों के
ढेर में
कहीं
हम भी
तो हैं
धुएं के
गुबार में

फकीर
कभी हताश
हुआ नहीं
जिन्दगी से
धुआँ धुआँ
हुई जब
जिन्दगी
मौला ने
हाथ
थाम लिया

निकले जब
आंसू
माँ के
समझ गया
सेंकी हैं रोटी
उसने धुएं में

“संतोष ” और
क्या कहे
कहानी तेरी
जली जब
कोई दुल्हन
धुआँ कह गया
कहानी उसकी

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
226 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
"मैं तुम्हारा रहा"
Lohit Tamta
"अक्षर"
Dr. Kishan tandon kranti
बुढ़ापा
बुढ़ापा
Shyamsingh Lodhi (Tejpuriya)
मोतियाबिंद
मोतियाबिंद
Surinder blackpen
प्यार इस कदर है तुमसे बतायें कैसें।
प्यार इस कदर है तुमसे बतायें कैसें।
Yogendra Chaturwedi
*बाल गीत (मेरा सहपाठी )*
*बाल गीत (मेरा सहपाठी )*
Rituraj shivem verma
9-अधम वह आदमी की शक्ल में शैतान होता है
9-अधम वह आदमी की शक्ल में शैतान होता है
Ajay Kumar Vimal
माटी कहे पुकार
माटी कहे पुकार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
I am Me - Redefined
I am Me - Redefined
Dhriti Mishra
किसी की तारीफ़ करनी है तो..
किसी की तारीफ़ करनी है तो..
Brijpal Singh
किताब का दर्द
किताब का दर्द
Dr. Man Mohan Krishna
*कंचन काया की कब दावत होगी*
*कंचन काया की कब दावत होगी*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*केवल पुस्तक को रट-रट कर, किसने प्रभु को पाया है (हिंदी गजल)
*केवल पुस्तक को रट-रट कर, किसने प्रभु को पाया है (हिंदी गजल)
Ravi Prakash
मैं उसको जब पीने लगता मेरे गम वो पी जाती है
मैं उसको जब पीने लगता मेरे गम वो पी जाती है
कवि दीपक बवेजा
परीक्षा
परीक्षा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
2537.पूर्णिका
2537.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
* गूगल वूगल *
* गूगल वूगल *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि का रचना संसार।
साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि का रचना संसार।
Dr. Narendra Valmiki
नेता जी शोध लेख
नेता जी शोध लेख
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जिन्दगी ....
जिन्दगी ....
sushil sarna
आजकल के लोगों के रिश्तों की स्थिति पर चिंता व्यक्त करता है।
आजकल के लोगों के रिश्तों की स्थिति पर चिंता व्यक्त करता है।
पूर्वार्थ
"इस रोड के जैसे ही _
Rajesh vyas
कहता है सिपाही
कहता है सिपाही
Vandna thakur
#विभाजन_दिवस
#विभाजन_दिवस
*Author प्रणय प्रभात*
आप और हम
आप और हम
Neeraj Agarwal
कर्म
कर्म
Er. Sanjay Shrivastava
उस रावण को मारो ना
उस रावण को मारो ना
VINOD CHAUHAN
बेटियां / बेटे
बेटियां / बेटे
Mamta Singh Devaa
नफरत दिलों की मिटाने, आती है यह होली
नफरत दिलों की मिटाने, आती है यह होली
gurudeenverma198
Loading...