कवि रमेशराज Language: Hindi 315 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 6 Next कवि रमेशराज 31 Dec 2016 · 4 min read जीवन के अंतिम पड़ाव पर लोककवि रामचरन गुप्त द्वारा लिखी गयीं लघुकथाएं +कवि रमेशराज के पिता लोककवि रामचरन गुप्त द्वारा जीवन के अंतिम पड़ाव में लिखी गईं 8 लघुकथाओं में से पहली लघुकथा--- ' घोषणा ' ----------------------------------------------------------------------- अघोषित बिजली कटौती के खिलापफ... Hindi · लघु कथा 1 332 Share कवि रमेशराज 31 Dec 2016 · 4 min read एक सशक्त लघुकथाकार : लोककवि रामचरन गुप्त एक सशक्त लघुकथाकार : लोककवि रामचरन गुप्त + डॉ. रामगोपाल शर्मा ------------------------------------------------------------- युगबोध के अभाव की सर्जना सामाजिक सन्दर्भों से कटे होने के कारण साहित्य के नाम पर शाब्दिक खिलवाड़... Hindi · लघु कथा 523 Share कवि रमेशराज 31 Dec 2016 · 20 min read लोककवि रामचरन गुप्त के रसिया और भजन ++कवि रमेशराज के पिता स्व. श्री ‘लोक कवि रामचरन गुप्त’ का विगत भारत-पाक युद्ध पर एक चर्चित ‘लोकगीत’ ।। कशमीर न मिले किसी को ।। अय्यूब काटत रंग है अमरीका... Hindi · कविता 1k Share कवि रमेशराज 8 Nov 2016 · 6 min read लोककवि रामचरन गुप्त के पूर्व में चीन-पाकिस्तान से भारत के हुए युद्ध के दौरान रचे गये युद्ध-गीत कवि रमेशराज के पिता स्व. श्री 'लोककवि रामचरन गुप्त ' का चर्चित 'लोकगीत'—1. || पापी पाकिस्तान मान || ---------------------------------------------------------------- ओ पापी मक्कार रे, गलै न तेरी दार रे भारत माँ... Hindi · गीत 457 Share कवि रमेशराज 6 Nov 2016 · 3 min read ‘लोक कवि रामचरन गुप्त’ के 6 यथार्थवादी ‘लोकगीत’ ।। कपड़ा लै गये चोर ।।---1. ----------------------------------------- ध्यान गजानन कौ करूं गौरी पुत्र महान जगदम्बा मां सरस्वती देउ ज्ञान को दान। जा आजादी की गंगा नहाबे जनता मन हरषायी है।।... Hindi · कविता 475 Share कवि रमेशराज 3 Nov 2016 · 3 min read ब्रज के एक सशक्त हस्ताक्षर लोककवि रामचरन गुप्त +प्रोफेसर अशोक द्विवेदी हमारे देश में हजारों ऐसे लोककवि हैं, जो सच्चे अर्थों में जनता की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे न केवल स्वयं, बल्कि अपनी रचनाओं के साथ गुमनामी के अंधेरे... Hindi · लेख 519 Share कवि रमेशराज 3 Nov 2016 · 2 min read लोककवि रामचरन गुप्त के लोकगीतों में आनुप्रासिक सौंदर्य +ज्ञानेन्द्र साज़ ‘जर्जरकती’ मासिक के जनवरी-1997 अंक में प्रकाशित लोककवि स्व. रामचरन गुप्त की रचनाएं युगबोध की जीवन्त रचनाएं हैं। हर लोककवि की कविता में आमजन लोकभाषा में बोलता है। ये कविताएं... Hindi · लेख 374 Share कवि रमेशराज 3 Nov 2016 · 3 min read लोककवि रामचरन गुप्त मनस्वी साहित्यकार +डॉ. अभिनेष शर्मा स्व. रामचरन गुप्त माटी के कवि थे। अपने आस-पास बिखरे साहित्य को अपने शब्दों का जामा पहनाकर लोकधुन से उसका शृंगार कर जिस तरह से वक्त की इमारतों में सहेजते... Hindi · लेख 269 Share कवि रमेशराज 3 Nov 2016 · 3 min read मेरे बाबूजी लोककवि रामचरन गुप्त +डॉ. सुरेश त्रस्त आठवें दशक के प्रारम्भ के दिनों को मैं कभी नहीं भूल सकता। चिकित्सा क्षेत्रा से जुड़े होने के कारण उन्हीं दिनों मुझे दर्शन लाभ प्राप्त हुआ था स्वर्गीय रामचरन गुप्त... Hindi · लेख 321 Share कवि रमेशराज 3 Nov 2016 · 9 min read संघर्षों की एक कथाः लोककवि रामचरन गुप्त +इंजीनियर अशोक कुमार गुप्त [ पुत्र ] लोककवि रामचरन गुप्त 23 दिसम्बर 1994 को हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनका चेतन रूप उनके सम्पर्क में आये उन सैकड़ों जेहनों को आलोकित किये है, जो इस मायावी, स्वार्थी... Hindi · लेख 560 Share कवि रमेशराज 3 Nov 2016 · 2 min read दया के सागरः लोककवि रामचरन गुप्त +रमेशराज लोककवि रामचरन गुप्त का मन कविता के स्तर पर ही संवेदनशील नहीं रहा, बल्कि जिन स्त्रोतों से वे कविता के लिये संवेदना ग्रहण करते थे, उन सामाजिक स्त्रोतों की अस“यता,... Hindi · लेख 293 Share कवि रमेशराज 3 Nov 2016 · 3 min read लोककवि रामचरन गुप्त का लोक-काव्य +डॉ. वेदप्रकाश ‘अमिताभ ’ लोककवि रामचरन गुप्त की रचनाओं को पढकर यह तथ्य बार-बार कौंधता है कि जन-जन की चित्त-शक्तियों का जितना स्पष्ट और अनायास प्रतिबिम्बन लोक साहित्य में होता है, इतना शिष्ट कहे... Hindi · लेख 519 Share कवि रमेशराज 3 Nov 2016 · 6 min read लोककवि रामचरन गुप्त एक देशभक्त कवि - डॉ. रवीन्द्र भ्रमर अलीगढ़ के ‘एसी’ गांव में सन् 1924 ई. में जन्मे लोककवि रामचरन गुप्त ने अपनी एक रचना में यह कामना की है कि उन्हें देशभक्त कवि के रूप में मान्यता... Hindi · लेख 644 Share कवि रमेशराज 31 Oct 2016 · 6 min read रमेशराज की जनकछन्द में तेवरियाँ || जनकछन्द में तेवरी || ---1. ……………………………………………………… हर अनीति से युद्ध लड़ क्रान्ति-राह पर यार बढ़, बैठ न मन को मार कर। खल का नशा उतार दे शब्दों को तलवार... Hindi · तेवरी 351 Share कवि रमेशराज 27 Oct 2016 · 5 min read 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के व्यवस्था-विरोध के गीत || 'नव कुंडलिया 'राज' छंद'-1 || ------------------------------------- दिन अच्छे सुन बच्चे आये आये लेकर बढ़े किराये , बढ़े किराए , डीजल मंहगा डीजल मंहगा , हर फल मंहगा , हर... Hindi · कविता 434 Share कवि रमेशराज 27 Oct 2016 · 5 min read 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के विरोधरस के गीत || 'नव कुंडलिया 'राज' छंद'-1 || ------------------------------------- " जन के बदले नेता को ले नेता को ले , कवि अब बोले कवि अब बोले , खल की भाषा खल की... Hindi · कविता 383 Share कवि रमेशराज 27 Oct 2016 · 1 min read 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के 4 प्रणय गीत 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में प्रणय गीत-1 ----------------------------------- जब वो बोले मिसरी घोले मिसरी घोले हौले-हौले हौले-हौले प्रिय मुसकाये प्रिय मुसकाये मन को भाये मन को भाये, मादक चितवन मादक... Hindi · कविता 403 Share कवि रमेशराज 26 Oct 2016 · 3 min read रमेशराज के 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में 7 बालगीत क्या है 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ? ----------------------------------------- मित्रो ! 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' , छंद शास्त्र और साहित्य-क्षेत्र में मेरा एक अभिनव प्रयोग है | इस छंद की रचना... Hindi · कविता 308 Share कवि रमेशराज 24 Oct 2016 · 5 min read ‘ विरोधरस ‘ [ शोध-प्रबन्ध ] विचारप्रधान कविता का रसात्मक समाधान +लेखक - रमेशराज ‘ विरोधरस ‘---1. ‘ विरोधरस ‘ [ शोध-प्रबन्ध ] विचारप्रधान कविता का रसात्मक समाधान +लेखक - रमेशराज ---------------------------------------------------- ‘ विरोधरस ‘ : रस-परम्परा एक नये रस की खोज समाज में... Hindi · लेख 391 Share कवि रमेशराज 24 Oct 2016 · 2 min read ‘ विरोधरस ‘---2. [ काव्य की नूतन विधा तेवरी में विरोधरस ] +रमेशराज काव्य की नूतन विधा ‘तेवरी’ दलित, शोषित, पीडि़त, अपमानित, प्रताडि़त, बलत्कृत, आहत, उत्कोचित, असहाय, निर्बल और निरुपाय मानव की उन सारी मनः स्थितियों की अभिव्यक्ति है जो क्षोभ, तिलमिलाहट, बौखलाहट,... Hindi · लेख 250 Share कवि रमेशराज 24 Oct 2016 · 9 min read ‘ विरोधरस ‘---3. || विरोध-रस के आलंबन विभाव || +रमेशराज तेवरी में विरोध-रस के आलंबन विभाव के रूप में इसकी पहचान इस प्रकार की जा सकती है- सूदखोर- ---------- लौकिक जगत के सीधे-सच्चे, असहाय और निर्बल प्राणियों का आर्थिक शोषण... Hindi · लेख 1 357 Share कवि रमेशराज 24 Oct 2016 · 2 min read ‘ विरोधरस ‘---4. ‘विरोध-रस’ के अन्य आलम्बन- +रमेशराज ‘विरोध-रस’ स्थायी भाव ‘आक्रोश’ से उत्पन्न होता है और इसी स्थायी भाव आक्रोश को उद्दीप्त करने वाले कारकों में सूदखोर में, भ्रष्ट नौकरशाह, भ्रष्ट पुलिस, नेता, साम्प्रदायिक तत्वों के अतिरिक्त... Hindi · लेख 513 Share कवि रमेशराज 24 Oct 2016 · 1 min read ‘ विरोधरस ‘---5. तेवरी में विरोधरस -- रमेशराज ----------------------------------------------------- कवि के रूप में एक तेवरीकार के लिये ऐसा सारा वातावरण मक्कारी, छल, फरेब, ठगई से बनता है, जो खुशियों के बजाय दुःख को जनता है। तेवरीकार ऐसे वातावरण... Hindi · लेख 533 Share कवि रमेशराज 24 Oct 2016 · 4 min read ‘ विरोधरस ‘---6. || विरोधरस के उद्दीपन विभाव || +रमेशराज आलंबन विभाव की चेष्टाएं, स्वभावगत हरकतें, उसकी शरीरिक संरचना, कार्य करने के तरीके आदि के साथ-साथ वहां का आसपास का वातावरण आदि ‘उद्दीपन विभाव’ के अंतर्गत आते हैं। इस संदर्भ... Hindi · लेख 279 Share कवि रमेशराज 24 Oct 2016 · 3 min read ‘ विरोधरस ‘---7. || विरोधरस के अनुभाव || +रमेशराज मन के स्तर पर जागृत हुए भाव का शरीर के स्तर पर प्रगटीकरण अनुभाव कहलाता है। भाव मनुष्य की आंतरिक दशा के द्योतक हैं, जबकि अनुभाव वाह्य दशा के। अतः... Hindi · लेख 304 Share कवि रमेशराज 24 Oct 2016 · 1 min read ‘ विरोधरस ‘---8. || आलम्बन के अनुभाव || +रमेशराज विरोधरस के आलम्बनों के कायिक अनुभाव ---- ------------------------------------------------------------ विरोध-रस के आलंबन बनने वाले अहंकारी, व्यभिचारी, अत्याचारी, ठग, धूर्त्त, शोषक और मक्कार लोग होते हैं जो कभी चैन से नहीं बैठते।... Hindi · लेख 1 295 Share कवि रमेशराज 24 Oct 2016 · 2 min read ‘ विरोधरस ‘---9. || विरोधरस के आलम्बनों के वाचिक अनुभाव || +रमेशराज अत्याचारी, दुराचारी व्यक्ति विष के घड़े, कुत्सित इरादों से लैस, छल और अहंकार से भरे होते हैं। उनकी कटूक्तियों व गर्वोक्तियों का उद्देश्य दूसरे के मर्म को चोट पहुंचाना, अपमानित... Hindi · लेख 329 Share कवि रमेशराज 24 Oct 2016 · 1 min read ‘ विरोधरस ‘---10. || विरोधरस के सात्विक अनुभाव || +रमेशराज भाव-दशा में प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाले कायिक परिवर्तन ‘सात्विक अनुभाव’ कहलाते हैं। किसी भी सुन्दर स्त्री या अबला को देखकर उसे पाने या दबोचने के लिए दुष्टजनों की... Hindi · लेख 345 Share कवि रमेशराज 24 Oct 2016 · 4 min read ‘ विरोधरस ‘---11. || विरोध-रस का आलंबनगत संचारी भाव || +रमेशराज विरोध की रस-प्रक्रिया को समझने के लिये आवश्यक यह है कि सर्वप्रथम आलंबन के उन भावों को समझा जाये जो आश्रय के मन में रसोद्बोधन का आधार बनते हैं। विरोध-रस... Hindi · लेख 522 Share कवि रमेशराज 24 Oct 2016 · 5 min read ‘ विरोधरस ‘---12. || विरोध-रस के आश्रयगत संचारी भाव || +रमेशराज विरोध-रस के आश्रय अर्थात् जिनमें रस की निष्पत्ति होती है, समाज के वे दबे-कुचले-सताये-कमजोर और असहाय लोग होते हैं जो यथार्थवादी काव्य या उसके एक रूप तेवरी के सृजन का... Hindi · लेख 333 Share कवि रमेशराज 24 Oct 2016 · 3 min read ‘ विरोधरस ‘---13. || विरोध-रस के आश्रयों के अनुभाव || +रमेशराज हिंदी काव्य की नूतन विधा तेवरी के पात्र जिनमें विरोध-रस की निष्पत्ति होती है, ऐसे पात्र हैं, जो इसके आलंबनों के दमन, उत्पीड़न के तरह-तरह से शिकार हैं। एक तरफ... Hindi · लेख 492 Share कवि रमेशराज 24 Oct 2016 · 4 min read ‘ विरोधरस ‘---14. || विरोधरस का स्थायीभाव---'आक्रोश' || +रमेशराज विरोध-रस को परिपक्व अवस्था तक पहुंचाने वाला स्थायी भाव ‘आक्रोश’ अनाचार और अनीति के कारण जागृत होता है। इसकी पहचान इस प्रकार की जा सकती है- जब शोषित, दलित, उत्पीडि़त... Hindi · लेख 577 Share कवि रमेशराज 24 Oct 2016 · 4 min read ‘ विरोधरस ‘---15. || विरोधरस की पहचान || +रमेशराज विरोध-रस का स्थायी भाव ‘आक्रोश’ है। रसों के आदि आचार्यों ने जो रसों के कई स्थायी भाव गिनाये हैं उनमें से कई स्थायी भाव विरोध-रस को परिपक्व अवस्था में पहुंचाने... Hindi · लेख 490 Share कवि रमेशराज 24 Oct 2016 · 2 min read ‘ विरोधरस ‘---16 || विरोध-रस की निष्पत्ति और पहचान || +रमेशराज तिरस्कार-अपमान-शोषण-यातना-उत्कोचन आदि से उत्पन्न असंतोष, संताप, बेचैनी, तनाव, क्षोभ, विषाद, द्वंद्व आदि के वे क्षण जिनमें अत्याचार और अनीति का शिकार मानव मानसिक रूप से व्यग्र और आक्रामक होता है,... Hindi · लेख 422 Share कवि रमेशराज 24 Oct 2016 · 3 min read ‘ विरोधरस ‘---17. || तेवरी में विरोध-रस || +रमेशराज साहित्य चूंकि समाज का दर्पण होता है अतः जो विरोध हमें सड़कों-कार्यालयों-परिवार आदि में दिखायी देता है, वही काव्य में सृजन का कारण बनता है। काव्य के रूप में काव्य... Hindi · लेख 226 Share कवि रमेशराज 24 Oct 2016 · 1 min read ‘ विरोधरस ‘---18. || विरोध-रस की पूर्ण परिपक्व रसात्मक अवस्था || +रमेशराज स्थायी भाव आक्रोश जागृत होने के बाद आश्रय में घनीभूत होने वाले ‘विरोध-रस’ से सिक्त अपमानित-प्रताडि़त-दमित-उत्कोचित और पीडि़त व्यक्ति की रस-दशा कैसी और किस प्रकार की होती है, उसे आश्रय... Hindi · लेख 476 Share कवि रमेशराज 24 Oct 2016 · 5 min read ‘ विरोधरस ‘---19. || विरोधरस के अनुभाव || +रमेशराज 1. व्यंग्यात्मक प्रहार- ----------------------------- आक्रोशित आश्रय व्यंग्य के माध्यम से गम्भीर और मर्म पर चोट करने वाली बातें बड़ी ही सहजता से कह जाते हैं। व्यंग्य तीर जैसे घाव देने... Hindi · लेख 387 Share कवि रमेशराज 24 Oct 2016 · 2 min read ‘ विरोधरस ‘---20. || ‘विरोध-रस’ के रूप व प्रकार || +रमेशराज आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के निबंध् ‘काव्य में लोकमंगल की साधनावस्था’ नामक निबन्ध में कहते हैं - ‘‘लोक में फैली दुःख की छाया को हटाने में ब्रह्म की आनंद-कला जो शक्तिमय... Hindi · लेख 421 Share कवि रमेशराज 24 Oct 2016 · 4 min read ‘ विरोधरस ‘---21. || ‘विरोध’ के रूप || +रमेशराज 1.अभिधात्मक विरोध- ---------------------------- बिना किसी लाग-लपेट के सपाट तरीके से विरोध के स्वरों को भाषा के माध्यम से व्यक्त करना इस श्रेणी के अन्तर्गत आता है। यथा- नाम धर्म का... Hindi · लेख 389 Share कवि रमेशराज 24 Oct 2016 · 2 min read ‘ विरोधरस ‘---22. || विरोध के प्रकार || +रमेशराज 1-स्व-विरोध- ------------------------- कभी-कभी आदमी भूलवश या अन्जाने में ऐसी गलतियां कर बैठता है जिनके कारण वह अपने को ही धिक्कारने लगता है- उसको ही सुकरात बताया, ये क्या मैंने कर... Hindi · लेख 733 Share कवि रमेशराज 17 Oct 2016 · 5 min read ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में 14 तेवरियाँ +रमेशराज ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी....1. ------------------------------------------ हर पल असुर करेंगे बस वन्दना खलों की बस वन्दना खलों की , नित अर्चना खलों की | नित अर्चना खलों की... Hindi · तेवरी 292 Share कवि रमेशराज 7 Oct 2016 · 4 min read ' मधु-सा ला ' चतुष्पदी शतक [ भाग-1 ] +रमेशराज चतुष्पदी -------1. नेताजी को प्यारी लगती, केवल सत्ता की हाला नेताजी के इर्दगिर्द हैं, सुन्दर से सुन्दर बाला। नित मस्ती में झूम रहे हैं, बैठे नेता कुर्सी पर, इन्हें सुहाती... Hindi · मुक्तक 353 Share कवि रमेशराज 7 Oct 2016 · 4 min read ' मधु-सा ला ' चतुष्पदी शतक [ भाग-2 ] +रमेशराज चतुष्पदी--------26. बेटे की आँखों में आँसू, पिता दुःखों ने भर डाला मजा पड़ोसी लूट रहे हैं देख-देख मद की हाला। इन सबसे बेफिक्र सुबह से क्रम चालू तो शाम हुयी... Hindi · मुक्तक 349 Share कवि रमेशराज 7 Oct 2016 · 4 min read ' मधु-सा ला ' चतुष्पदी शतक [ भाग-3 ] +रमेशराज चतुष्पदी--------51. त्याग रहे होली का उत्सव भारत के बालक-बाला बैलेन्टाइनडे की सबको चढ़ी हुई अब तो हाला। साइबरों की कुन्जगली में श्याम काम की बात करें उनके सम्मुख राधा अब... Hindi · मुक्तक 556 Share कवि रमेशराज 7 Oct 2016 · 4 min read ' मधु-सा ला ' चतुष्पदी शतक [ भाग-4 ] +रमेशराज चतुष्पदी--------76. आज हुआ साकार किसतरह सपना आजादी वाला, आजादी के जनक पी रहे आज गुलामी की हाला। सारे नेता बन बैठे हैं अंग्रेजों की संतानें, तभी विदेशी खोल रहे है... Hindi · मुक्तक 283 Share कवि रमेशराज 4 Oct 2016 · 7 min read “ नदिया पार हिंडोलना ” [ दोहा-शतक ] +रमेशराज कबिरा माला कौ नहीं, अब रिश्वत कौ जोर कर पकरै, अँगुरी गिनै, धन पाबै चहुँ ओर । 1 कबिरा आज समाज में ढोंग बना टेलेंट मृग की कुण्डलि में बसै... Hindi · दोहा 797 Share कवि रमेशराज 4 Oct 2016 · 8 min read ‘ जो गोपी मधु बन गयीं ‘ [ दोहा-शतक ] + रमेशराज जो बोलै दो हे! हरी अति मधु रस अविराम शहद-भरे दोहे हरी! उस राधा के नाम। 1 यही चाँदनी रात में खेल चले अविराम राधा मोहें श्याम कूं, राधा मोहें... Hindi · दोहा 2k Share कवि रमेशराज 4 Oct 2016 · 6 min read देयर इज एन ऑलपिन [ दोहा-शतक ] +रमेशराज यूँ हम पर हावी हुई अँगरेजी लेंग्वेज नॉट इन्डियन, नाउ वी आर एज अंगरेज। 1 आज विदेशी वस्तु का मचा हर तरफ शोर ऑल आर सिंगिग फ्री ‘ये दिल माँगे... Hindi · दोहा 1 407 Share कवि रमेशराज 2 Oct 2016 · 2 min read गयी ब्याज में गाय || लम्बी तेवरी-तेवर पच्चीसी || -रमेशराज चीनी है पैंतीस तौ दो सौ तक है दाल अब है महँगाई कौ दौर, करैगौ कैसे लाँगुरिया । 1 और बढ़ै सिर पर चढ़ै बड़ी निगौडी भूख जाकौ सुरसा जैसौ... Hindi · तेवरी 392 Share कवि रमेशराज 2 Oct 2016 · 2 min read “तभी बिखेरे बाती नूर” {लम्बी तेवरी-तेवर पच्चीसी } +रमेशराज छुपे नहीं तेरी पहचान, इतना मान चाहे रूप बदल प्यारे । 1 तुझमें बढ़ा घृणा का भाव, भारी ताव अंगारों में जल प्यारे । 2 सज्जन को करता गुमराह, भरकर... Hindi · तेवरी 300 Share Previous Page 6 Next