Suryakant Dwivedi Language: Hindi 265 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 4 Next Suryakant Dwivedi 2 Sep 2022 · 1 min read परिवार के दोहे बेटी बेटी हमारी पूजा, कुमकुम, रोली, रंग। फिर भी उसके हाथ में, रेखाओं की जंग।। बेटा बेटा तो संकल्प है, सबका उन्नत भाल। कलावा, पान, सुपारी, कुछ बनने का थाल।।... Hindi · दोहा 282 Share Suryakant Dwivedi 25 Aug 2022 · 1 min read मैं बड़ा या..? मैं बड़ा या....? कितना बड़ा है, यह कथानक और यह जिंदगी, कितनी छोटी... अभी किरदार गढ़े कहां हैं अभी सरकार, सुने कहां हैं अभी तो तलाश अमृत की अभी करतार... Hindi · कविता 1 196 Share Suryakant Dwivedi 25 Aug 2022 · 1 min read श्याम घनाक्षरी-2 *श्याम घनाक्षरी* झूम झूम नाचे नाचे, मेघ सम बरखा सी काली-काली कजराली, अलकाएं बावरी राधा सी ठिठोली करे, हंसे मुस्कराए सम ग्राम-ग्राम नाचे फिरे, छेड़े तान बांसुरी धक-धक दिल करे,... Hindi · कविता 1 200 Share Suryakant Dwivedi 25 Aug 2022 · 1 min read राधा राधा मन की बाँसुरी, मोहन अपना नूर। जो डूबा इस प्रेम में, चूर चूर बस चूर।। सूर्यकांत Hindi · दोहा 1 196 Share Suryakant Dwivedi 24 Aug 2022 · 1 min read श्याम घनाक्षरी *श्याम घनाक्षरी* झूम झूम नाचे नाचे, मेघ सम बरखा सी काली-काली कजराली, अलकाएं बावरी राधा सी ठिठोली करे, हंसे मुस्कराए सम ग्राम-ग्राम नाचे फिरे, छेड़े तान बांसुरी धक-धक दिल करे,... Hindi · कविता 2 174 Share Suryakant Dwivedi 23 Aug 2022 · 1 min read मैं बड़ा या..? मैं बड़ा या....? कितना बड़ा है, यह कथानक और यह जिंदगी, कितनी छोटी... अभी किरदार गढ़े कहां हैं अभी सरकार, सुने कहां हैं अभी तो तलाश अमृत की अभी करतार... Hindi · कविता 1 227 Share Suryakant Dwivedi 16 Aug 2022 · 1 min read क्यों दोष देते हो क्यों.इन हवाओं को दोष देते हो... उदधि के सीने पर तो तुम ही तूफान लाये थे ज्वार भाटे के संग भी तुमको रोमांच भाये थे अब कहते हो हमसे तुम... Hindi · Poem 155 Share Suryakant Dwivedi 9 Aug 2022 · 1 min read बिखरा जल है गीत कैसे कहें घनघोर तम है सुनें व्यंजना मन है पल है कौंध रहीं जो बिजली सारी गरजा, बरसा, बिखरा जल है। प्रतिध्वनि में ये गूंज किसकी देख,भर रहा है... Hindi · गीत 134 Share Suryakant Dwivedi 26 Jul 2022 · 1 min read कैसे कह दूं प्यारा प्यारा है यह पंछी, और पिंजड़ा धाम है कैसे कह दूं मैं जग से, परतंत्रता परिणाम है जागे जागे रातभर जो, जुगनुओं की आस में कह रहा चंदा अकेला,... Hindi · गीत 111 Share Suryakant Dwivedi 19 Jul 2022 · 1 min read पिता की पीड़ा पर गीत पिता की पीड़ा पर गीत मत पूछो किस तरह जिया हूं । कदम-कदम पर गरल पिया हूं इस दीपक के दस दीवाने सबकी चाहत ओ’ उलाहने जर्जर काया, पास न... Hindi · गीत 1 1 338 Share Suryakant Dwivedi 15 Jul 2022 · 1 min read गीत नहीं भाते गीत स्वर लपेटे व्यंजना के, गीत नहीं भाते चंदन वन में सर्प कभी, प्रीत नहीं गाते लेकर नागफनियां हमने, पीर बहुत गाई गए जहां भी हम बंजारे, नीर बहुत पाई... Hindi · गीत 114 Share Suryakant Dwivedi 14 Jul 2022 · 1 min read अपने घर से हार गया जीता जग सारा मैंने अपने घर से हार गया रोकर एक पिता यूं बोला चंदा से सूरज हार गया।। शब्द, शब्द से शब्द बड़े शब्द, शांत नि:शब्द खड़े नेह-प्यार के... Hindi · कविता 2 2 261 Share Suryakant Dwivedi 12 Jul 2022 · 1 min read फट गया लो मेघ सावन गीत फट गया लो मेघ सावन आ गया लो मेघ आंगन कह रही चारों दिशाएं यह कभी टिकता नहीं है रूपसी तो रूप की है यह कली तो धूप सी... Hindi · गीत 213 Share Suryakant Dwivedi 12 Jul 2022 · 1 min read नग़में अपने गाया कर नग़मे अपने गाया कर (गीत) कभी कभी तो आया कर कभी कभी तो जाया कर कहती विपदा, रात गई नग़मे अपने गाया कर।। अपने में ही मस्त रहा सपने में... Hindi · गीत 125 Share Suryakant Dwivedi 9 Jul 2022 · 1 min read बदरी बदरी...! तुम वही तो हो जो कल भी आई थीं मिटा दिया था तुमने खुद को प्रेम में.. उफ़न पड़ी थीं नदियाँ बह गये थे टापू/ शहर एक कपास से... Hindi · कविता 2 198 Share Suryakant Dwivedi 8 Jul 2022 · 1 min read पंख कटे पांखी पंख कटे पांखी लेकर हमने स्वप्न सजाये हैं इस शून्य आकाश में हमने भी घर बनाये हैं।। पंछी होते तो उड़ लेते या कर लेते हम आखेट हर डाल पर... Hindi · कविता 2 206 Share Suryakant Dwivedi 7 Jul 2022 · 1 min read रवि और कवि रवि और कवि में एक समानता है दोनों जलते हैं सृजन के लिये।। असमानता भी है बस एक रवि लब्ध है लेकिन उसके पास शब्द नहीं कवि पर शब्द हैं... Hindi · कविता 276 Share Suryakant Dwivedi 28 Jun 2022 · 1 min read रिटायमेंट रिटायमेंट ******** मन रमता नहीं तन टिकता नहीं दूर है मंजिल जग मिलता नहीं सामने उस वृक्ष को देखो कल तक हरा भरा था तने मजबूत थे सबको छाया देता... Hindi · कविता 168 Share Suryakant Dwivedi 24 Jun 2022 · 1 min read एक दीप गीत जब मन्दिर में दीप कोई, आशा का भरता है तेल, बाती, घी नहीं जी, भावों से डरता है।। थाल लेकर चले आस्था, वर्जित तन अभिमान मैं बन जाऊं दीप... Hindi · गीत 1 210 Share Suryakant Dwivedi 23 Jun 2022 · 1 min read मैं नहीं बदला अब न रूप रहा न रंग धन न दौलत रिश्ते न नाते प्यार न यार शोहरत न नाम कितना बदल गया हूँ न मैं... खूँटी पर टँगे कपड़े कब से... Hindi · कविता 2 135 Share Suryakant Dwivedi 21 Jun 2022 · 1 min read ओज के योग सर्व दर्शन- एक पिता, , योग रुक गया रथ थम गये अश्व रश्मियां लुप्त ओह! पालनहार ओह! पालनहार सूर्य और पिता में निहित अंतर देख लीजिये.. वो ग्रहण में घबराता... Hindi · कविता 156 Share Suryakant Dwivedi 17 Jun 2022 · 4 min read कारण के आगे कारण व्यंग्य कारण के आगे कारण कारण के पीछे कारण कारण के आगे भी कारण होते हैं। कारण के पीछे भी कारण होते हैं। कारण कभी कारण नहीं होता। कारण कभी... Hindi · हास्य-व्यंग्य 1 325 Share Suryakant Dwivedi 16 Jun 2022 · 1 min read दीये की बाती ..दीये की बाती सूरज सा तपता है चंदा सा जगता है बच्चों की खातिर हर पल मरता है ।। मौन अभिव्यक्ति आंखें पढ़ लेती है फिसले जो रेत तो मुट्ठी... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 3 6 382 Share Suryakant Dwivedi 15 Jun 2022 · 1 min read शोहरत और बंदर शोहरत एक तमाशा है एक बंदर है जो दूल्हा बनकर नाचता है.. शीशे को देख इठलाता है.. मदारी डमरू बजाता है बच्चे पैसा फेंकते है.. तमाशा खत्म, खेल खत्म बंदर... Hindi · कविता 1 1 379 Share Suryakant Dwivedi 14 Jun 2022 · 1 min read नेता और मुहावरा नाच न जाने आँगन टेढा नेता जी ने इस मुहावरे को सिद्ध किया आँगन में नाच नाच कर अपना पेट फिट किया।। कोयले की खदान में गन्ना उगाया... सूती कपड़े... Hindi · कविता 622 Share Suryakant Dwivedi 9 Jun 2022 · 1 min read मेंढक और ऊँट दिन और रात में यही फर्क है मेंढक की सवारी है ऊँट की लाचारी है आप भी कहोगे क्या मज़ाक है...? कोई मेंढक की सवारी करता है क्या? फिर क्या... Hindi · कविता 1 1 535 Share Suryakant Dwivedi 6 Jun 2022 · 1 min read आशाओं की बस्ती ढलके सूरज, ढलके चंदा, ढलके उमर तमाम रे आशाओं की इस बस्ती में, क्यों इतने अरमान रे रोता-रोता जब तू आया, इस भोले संसार में चहके-महके धरती सारी, चूमे माथा... Hindi · गीत 2 1 370 Share Suryakant Dwivedi 6 Jun 2022 · 1 min read पर्यावरण पौधा रोपकर आये नेता जी ने पर्यावरण को यूं समझाया... जैसे धूप में तपकर पौधा मुरझाया। पानी और खाद देते रहो..तो यह सियासत की तरह खिलेगा वोट आपका राज हमारा... Hindi · कविता 2 3 319 Share Suryakant Dwivedi 28 May 2022 · 1 min read दोहा मन मंदिर के सामने, खुद ही हम करतार। मगर जानते ही नहीं,क्या अपना किरदार।। सूर्यकांत द्विवेदी Hindi · दोहा 230 Share Suryakant Dwivedi 26 May 2022 · 1 min read अंकपत्र सा जीवन गीत अंकपत्र सा है यह जीवन अंक सभी तो तोल रहे हैं यहीं कमाया यहीं गंवाया कोष सभी के बोल रहे हैं। कॉपी में जीरो जब आया ठिठका माथा, मन... Hindi · गीत 1 575 Share Suryakant Dwivedi 26 May 2022 · 1 min read लिख लेते हैं थोड़ा थोड़ा गीत लिख लेते हैं थोड़ा थोड़ा कह लेते हैं थोड़ा थोड़ा मत मानो तुम हमको कुछ भी जी लेते हैं थोड़ा थोड़ा।। दीप शिखा सी जले जिंदगी खोने कभी और... Hindi · गीत 2 4 540 Share Suryakant Dwivedi 23 May 2022 · 1 min read दोहे आया सूरज पूछने, क्या मेरा है हाल । हंस कर मैं कहने लगा, दिखता तुझसे लाल।। हैरत में रवि पड़ गया, कैसे हुआ कमाल हो बारिश या धूप जब, छाता... Hindi · दोहा 340 Share Suryakant Dwivedi 23 May 2022 · 1 min read करते रहिये काम जब तक है जाने जहाँ, करते रहिये काम। बोझ बनी ज्यूँ ज़िन्दगी, घर के घर नीलाम।। सूर्यकांत द्विवेदी Hindi · दोहा 1 275 Share Suryakant Dwivedi 21 May 2022 · 1 min read चमचागिरी आओ चमचागिरी करते है एक चम्मच तुम लगाओ फिर हम लगाते हैं धरती से आसमान में उठाते हैं चम्मच भी तो यही करती है नीचे से उठती और मुँह तक... Hindi · कविता 2 1 765 Share Suryakant Dwivedi 15 May 2022 · 1 min read परिवार वही सुखी परिवार है, जिसमें बातें चार लाज, धर्म, सम्मान सँग,प्रेम भरा व्यवहार। साथ साथ भोजन करें, लेवें प्रभु का नाम मान बुजुर्गों का जहाँ, खुशियाँ वहाँ अपार।। सूर्यकान्त द्विवेदी Hindi · मुक्तक 1 2 318 Share Suryakant Dwivedi 14 May 2022 · 1 min read जाने क्यों रोज लिखते हैं रोज खपते हैं जाने क्यों हम रोज मरते हैं।। कल्पना लोक..!! में मैं और तुम उड़ते हैं दूर तक पंख कटे पांखी से।। उपदेशों की पोथियां प्रकृति... Hindi · कविता 4 314 Share Suryakant Dwivedi 13 May 2022 · 1 min read हाथों में लग्नेश जाने किसके भाग से, साँसें हैं अवशेष। अभिशापों से क्यों डरें, हाथों में लग्नेश।। सूर्यकांत द्विवेदी Hindi · दोहा 103 Share Suryakant Dwivedi 13 May 2022 · 1 min read वनवासी संसार वनवासी संसार में, कौन किसी का राम। चले अकेले अवधपति, लड़ने को संग्राम।। सूर्यकांत द्विवेदी Hindi · दोहा 282 Share Suryakant Dwivedi 13 May 2022 · 1 min read मैं पिता हूँ मैं पिता हूँ वह चुप रहता है निहारता है खुद को खुद को भूल जाता है कंधों पर ज़िम्मेदारी हैं हल्के नहीं पड़ने देता वह सोता नहीं रातभर खुद को... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 4 4 482 Share Suryakant Dwivedi 9 May 2022 · 1 min read माँ *दोहे* *माँ* बिना बीज होती नहीं, कभी फसल तैयार। माँ क़ुदरत का नूर है, धरती पर अवतार।। 2 हर पल चिंता वो करे, सांसें करे उधार। कागज, कलम दवात से,... Hindi · दोहा 465 Share Suryakant Dwivedi 9 May 2022 · 1 min read क्या देखें हम... क्या देखें हम क्या पढ़ें, यही समय का लोच सारा जग ज्ञानी भया, अब आगे की सोच। सूर्यकांत द्विवेदी Hindi · दोहा 893 Share Suryakant Dwivedi 9 May 2022 · 1 min read ढाई अक्षर प्रेम के ढाई अक्षर प्रेम का, लिखते सौ-सौ बार। नफ़रत के बस चार ही, सीने के उस पार।। सूर्यकांत द्विवेदी Hindi · दोहा 841 Share Suryakant Dwivedi 5 May 2022 · 1 min read गिरा आँख से आदमी मकड़ी ने जाला बुना, चींटी चढ़ी पहाड़। गिरा आँख से आदमी, नकली सभी दहाड़।। सूर्यकांत द्विवेदी Hindi · दोहा 127 Share Suryakant Dwivedi 1 May 2022 · 1 min read जागीर चलो चलें हम सौंप दें, अपनी सब जागीर बंधन मन के तब खुलें, चलती जहां समीर है अच्छा वो वक़्त जो, करें फैसले आप घर के तुम मुख्तार हो, युग... Hindi · मुक्तक 6 4 678 Share Suryakant Dwivedi 1 May 2022 · 1 min read सागर बोला, सुन ज़रा सागर बोला सुन ज़रा, मैं नदिया का पीर दूर तलक मुझमें भरा, बस आँखों का नीर सर सर सरिता जब करे,कल कल होता नाद दिल के इस तूफान को, चीर... Hindi · मुक्तक 1 257 Share Suryakant Dwivedi 23 Apr 2022 · 1 min read वो कली मासूम मेरा बचपन मेरा क्रंदन मासूम कली का ये उपवन भीगा भीगा मां का आँचल भीगा भीग मेरा तन मन। मैं भोर सूर्य का थी प्रकाश उज्ज्वल उज्ज्वल थी सत प्रकाश।... Hindi · कविता 2 2 434 Share Suryakant Dwivedi 22 Apr 2022 · 1 min read जी, वो पिता है सूरज सा तपता है..जी पिता है सूरज सा तपता है चंदा सा जगता है बच्चों की खातिर हर पल मरता है ।। मौन अभिव्यक्ति आंखें पढ़ लेती है फिसले जो... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 7 7 456 Share Suryakant Dwivedi 22 Apr 2022 · 1 min read पिता और एफडी 1 पिता पूंजी है एफडी है ड्राफ्ट है ग्रेच्युटी है जो सब हमे बनाने में लगती है उसके पास होती है सिर्फ पेंशन बुढ़ापे की टेंशन। 2 मां घर है... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 4 3 320 Share Suryakant Dwivedi 22 Apr 2022 · 1 min read पिता और एफडी 1 पिता पूंजी है एफडी है पीएफ है ड्राफ्ट है ग्रेच्युटी है जो सब हमे बनाने में लगती है उसके पास होती है सिर्फ पेंशन बुढ़ापे की टेंशन। 2 मां... Hindi · कविता 6 4 408 Share Suryakant Dwivedi 19 Apr 2022 · 1 min read कितनी पीड़ा कितने भागीरथी इस पीड़ा के पीछे भी कई पीड़ाएँ हैं हटाकर परदा देख कितनी शिलाएं हैं।। अनगिन आवरण अनगिन आहरण अनगिन आचरण ज्यूँ किसी वृक्ष में पंछी का पदार्पण।। खो गई एक... Hindi · कविता 3 2 284 Share Previous Page 4 Next