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21 Jun 2022 · 1 min read

ओज के योग

सर्व दर्शन- एक पिता, , योग

रुक गया रथ
थम गये अश्व
रश्मियां लुप्त
ओह! पालनहार
ओह! पालनहार

सूर्य और पिता
में निहित अंतर
देख लीजिये..
वो ग्रहण में
घबराता है..
ये ग्रहण में भी
उजाला करता है।।

सर्व कर्मयोग इसके
सूर्य नमस्कार हो गये
एक घर को बनाने में
एकाकार हो गए..!!

यदा कदा के कोई
अर्थ नहीं कोश में
ग्रहण/ संकट देखे
नहीं उसने होश में

ओज में उसे क्यों
सूर्य से कम कहूँ
वो अमर/ ये नश्वर
हर पल तप कहूँ

सीमित साँस थीं
वह नीलाक्ष बना
सूर्य तुम हार गए
वह शताक्ष बना

बचाने को ग्रहण से
वह छतरी बन गया
वक़्त/ विपदा भूल
जो गठरी बन गया।

जीवन का योग
सूरज का ओज
समय की खोज
सब घर में देखो
पल पल लगते
ग्रहण औ दमकते
तात को देखो..।।

सूर्यकान्त

Language: Hindi
137 Views
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