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2 Mar 2023 · 1 min read

“अतीत”

“अतीत”
अतीत के कन्धों पर बैठकर
वर्तमान है पहुँचता,
अतीत के पर्दे में ही कहीं
वर्तमान है छुपता।
मौन की चादर ओढ़कर
तलाशती जिन्दगी अतीत को,
बहाती वो गम में आँसू
कभी जीती स्वर्णिम प्रीत को।

5 Likes · 2 Comments · 183 Views
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