कवि संजय कौशाम्बी 329 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 Next कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read यूँ ही टूट गए घर जाने कितने आपस के ही क्लेश से अस्सी साल हुए न समझे भिड़े पुत्र अखिलेश से बोल रहा इतिहास सियासत होती बड़ी कमीनी है पहली बार पिता... Hindi · कविता 1 188 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read ख्वाब आँखों में.... ख्वाब आँखों में पलने लगे आजकल तुम हमें तंग करने लगे आजकल आइना भी बता न सका राज ये लोग क्यों हमसे जलने लगे आजकल ज़ख्म दिल के जुबाँ पाने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 182 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read सिक्का उछालकर रखता वो अपने आपको कैसे सँभालकर करता रहा जो फैसले सिक्का उछालकर कुछ इस तरा जला दिया है दूध ने मुझे पीने लगा हूँ छाछ को भी मैं उबालकर उसको... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 270 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read आँखों में पट्टी बाँध लेती है ज़हन बचपन का गोली मीठी-खट्टी बाँध लेती है कि जैसे पौधे की जड़ गीली मिट्टी बाँध लेती है महाभारत तभी छिड़ता है घर की दो दिवारों में कि जब गांधारी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 153 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read माँ की मीठी गालियाँ अच्छी लगीं डोर की अठखेलियाँ अच्छी लगीं नाचती कठपुतलियाँ अच्छी लगीं उड़ चलीं मकरंद लेकर के मगर फूल पर ये तितलियाँ अच्छी लगीं प्यार की बारिश लिए आगोश में आ गिरीं जो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 189 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read तुरपाइयाँ दिखती रहीं बुझते हुए दीपक में कुछ बीनाइयाँ दिखती रहीं हाथ हिलाती दूर तक परछाइयाँ दिखती रहीं शान से चलता है बेटा तानकर सीना यहाँ माँ-बाप के पैरों में पर बीवाइयाँ दिखती... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 371 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read बेटी को दो तालीम बेटी को दो तालीम घर खुशियों भरा हो जायेगा पानी जड़ में डाल दो पत्ता हरा हो जायेगा चाल ग़र समझो सियासत की तो अच्छी बात है वर्ना फिर बंदर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 435 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read सब मीत पुराने आगे बढ़कर पीछे देखो क्या दिखता है? दिखा कोई अपना या मात्र धुआँ दिखता है अपने दिखें तो बढ़ते जाना धुआँ दिखे तो लौट के आना करना याद हमेशा रब... Hindi · कविता 416 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read राधा याद आती है मेरे ख्वाबों में आकर रात भर मुझको जगाती है कहा कान्हा ने ऊधौ से कि राधा याद आती है अकेले बैठकर गुमसुम वो मुझको सोचती होगी कि पलकें बंदकर हरदम... Hindi · गीत 456 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read फसाना मेरी चाहत का फसाना मेरी चाहत का मिरे लब तक नहीं पहुँचा लिखा था ख़त जमाने से मगर अब तक नहीं पहुँचा ख़ुदा मिलना कहाँ आसां ये बोला वो फक़ीर आकर था वो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 232 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read प्यारा गणतंत्र मुबारक हो सन् सैंतालिस में हम सब हो गए स्वतंत्र मुबारक हो छब्बीस जनवरी बना गई प्यारा गणतंत्र मुबारक हो आजादी के बाद बीच जन गहरी-गहरी खाँई थी सब कुछ तितर-बितर था... Hindi · कविता 232 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 2 min read भारत नया बनायें हम अंधकार है गहन धरा पर आओ इसे मिटायें हम करें उजाला हर कोने में खुद दीपक बन जायें हम अलग-अलग कमजोर रहेंगे मिलकर सारे एक हों मंजिल हमको खोजेगी गर... Hindi · कविता 319 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read विश्वास नहीं डिगने देना भूल तुम्हारी है गर समझे परिवर्तन की आहट है ये तो मात्र नियंता के मन की पीड़ा अकुलाहट है यूपी के जनता की सुन लो कैसी करुण कहानी है न... Hindi · कविता 482 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read चलो दरिया किनारे किया जब प्यार दुनिया से भला फिर क्यों डरें हम तुम चलो दरिया किनारे बैठकर बातें करें हम तुम उन्हें चिंता नहीं जाँ भी हमारी जाए तो जाए तो फिर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 329 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read हमारे देश में बारूदी खुशबू फिर से उड़ रही हमारे देश में एक बार फिर नदी खून की बही हमारे देश में छत्तीसगढ की धरती ने फिर खूनी ध्वज फहराया है जीवन की... Hindi · गीत 370 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read मुझको भुला रहा है कोई हो गया मोम सा खुद को गला रहा है कोई आज फिर जिंदगी की लौ जला रहा है कोई खो गया चैन भी और उड़ गयी है नींद मेरी है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 211 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read मुस्कुराना सीख लो ज़िन्दगी की साज पर तुम सुर सजाना सीख लो मन की वीणा करके झंकृत गुनगुनाना सीख लो खुद-ब-खुद मंजिल तुम्हारे पास चलकर आएगी अजनबी राहों को बस अपना बनाना सीख... Hindi · कविता 210 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read ऐ चंदा तू जाकर बदलियों में छुप जा है खुशबू हवाओं में वो आ रही है चला जा ऐ भंवरे तू कलियों में छुप जा शरम से कहीं लौट जाए न प्रियतम ऐ चंदा तू जाकर बदलियों मे... Hindi · गीत 169 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read अँधेरा कुछ तो कम होगा न ये सोचो अकेले दूर कैसे तुमसे तम होगा जलाओ ज्ञान का दीपक अँधेरा कुछ तो कम होगा बदलनी है तुम्हे इस देश की तकदीर अब साथी चलो अज्ञानता की... Hindi · गीत 188 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read ये कैसी आजादी है वस्त्र विदेशी तन को ढँकते कूड़ेदान में खादी है तुम्हीं बताओ मुझको बापू ये कैसी आजादी है अन्न उगाने वालों के घर मौत भूख से होती है दशा देखकर झोपड़ियों... Hindi · गीत 1 1 392 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read नित ही कैलाश पर भोले... नित ही कैलाश पर भोले नए करतब दिखाते हैं ये दुनिया नाचने लगती है जब डमरू बजाते हैं जटा में धारकर गंगा चन्द्रमा शीश पर धरकर गले में नाग की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 396 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read मैं तेरे जैसा नहीं हूँ उड़ा ले जाओगे बनकर हवा...हल्का नहीं हूँ जुड़ा हूँ शाख से....टूटा हुआ पत्ता नहीं हूँ बुराई वो मिरी कर ही नहीं सकता कहीं भी उसे मालूम है गूँगा हूँ...पर बहरा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 165 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read दिल को दुखा दीजिये आइये दिल में दिल को दुखा दीजिये इस मोहब्बत का कुछ तो सिला दीजिये जो जी चाहे सजा दीजियेगा मगर पहले तोहमत तो कोई लगा दीजिये ये अँधेरे न टिक... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 369 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read ये हुआ है तो फिर हुआ क्यों है दर्द रह-रह के यूँ उठा क्यों है दिल में काँटा कोई चुभा क्यों है मार कर जी रहा है ये खुद को आदमी खुद से ही खफ़ा क्यों है मिरे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 197 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read वो कब तक बेवफ़ाई न करेगा यूँ जग की रहनुमाई न करेगा वो कब तक बेवफ़ाई न करेगा हो जख्मी दिल मोहब्बत में अगर तो तड़प लेगा दवाई न करेगा गिरेबाँ में जो खुद के झाँक... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 297 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read अब मुस्कुराना आ गया कुछ गए कुछ आ गए यूँ जिन्दगी चलती रही उगती रहीं दिनकर की किरने साँझ भी ढलती रहीं किन्तु आशायें हमेशा आँख में पलती रहीं इस तरह पतझड़ में फूलों... Hindi · कविता 1 186 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read मिरा भी नाम आएगा कहीं रख दो सलीके से कहीं पर काम आएगा तुम्हारी आपबीती में मिरा भी नाम आएगा खिले थे फूल वादों के जहाँ कसमों की खुशबू है उसी गुलशन में भँवरा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 325 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read उसे भी दिल दुखाने दीजिए तोड़कर अरमान दिल के यूँ न जाने दीजिए हक उसे भी है उसे भी दिल दुखाने दीजिए कैद करिए खूब सूरज को तिजोरी में मगर झोपड़ी में जुगनू को तो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 396 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read उसे अच्छा नहीं लगता मैं जब आँसू बहाता हूँ उसे अच्छा नहीं लगता ग़ज़ल में दर्द गाता हूँ उसे अच्छा नहीं लगता उसे ख्वाहिश नहीं मैं जंग जीतूँ वास्ते उसके मगर जब सर झुकाता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 181 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read लगा जैसे तुमने मुझे छू लिया है निशा के शहर में खिली चांदनी जब लगा जैसे तुमने मुझे छू लिया है तुम्हारी घनी लम्बी जुल्फें खुलीं जब लगा जैसे तुमने मुझे छू लिया है।। चुभाकर के दिल... Hindi · गीत 228 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read पता है सब हैसियत तुम्हारी पता है सब हैसियत तुम्हारी हमें भला क्या जता रहे हो हमीं ने बैठाया है सदन में हमीं को आँखें दिखा रहे हो जो कल तलक थे अज़ीज़ दिल के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 505 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read घूँघट हटा के देखो शिकवा,शिकायतों को दिल से मिटा के देखो दरवाजे पर खड़े हैं घूँघट हटा के देखो तुम पर टिकी हुई है बुनियाद जिंदगी की हम मुस्कुरा पड़ेंगे तुम खिलखिला के देखो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 229 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read क्या लेना-देना दिल के इस जज़्बात से क्या लेना-देना बेमतलब की बात से क्या लेना-देना देती है वो साथ उजाले साक्षी हैं तनहाई का रात से क्या लेना-देना आँखों को क्यों दोष... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 393 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read तुझसे मोहब्बत हो गई है करे क्या दिल की जब दिल से बग़ावत हो गई है मुझे ऐ जिंदगी तुझसे मोहब्बत हो गई है अदाएँ ये सजा देने की देखी जब से मैने मुझे गुस्ताखियाँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 176 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read फुरसत में बैठा हूँ बड़ा गुमसुम,बड़ा तन्हा,बड़ी दहशत में बैठा हूँ चले आओ कि मैं भी आजकल फुरसत में बैठा हूँ मुझे नफ़रत भरी नजरों से ऐसे देखने वाले लकीरें देख ले पढ़कर तेरी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 168 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read देख के लाश मेरी देख के लाश मेरी चीखकर के उसने कहा ये वो नहीं है जिसे मैने कभी चाहा था वो तो मुस्कान को होंठों पे सदा रखता था भूल जाती थी मैं... Hindi · कविता 216 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read दारू की बोतल में बेशर्मों के बीच हया क्यों रखते हो दिल में अपने दर्द नया क्यों रखते हो कर देंगे बदनाम तुम्हारी तबियत को दारू की बोतल में दवा क्यों रखते हो तनहा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 225 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read नेता जी सुभाष चन्द्र बोस नदी की धारा के अनुकूल भी बह सकता था आई सी एस था बड़े चैन से रह सकता था मगर न रास उसे आई गुलामी यारों तभी तो दे रहा... Hindi · कविता 200 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read बनाकर चाँद को मामा बनाकर चाँद को मामा नए रिश्ते जिलाती हैं सुनाकर लोरियाँ बच्चों को जब माएँ सुलाती हैं न आये आँख में आँसू तुम्हें कैसे दुआ दे दूँ जियादा हों अगर खुशियाँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 424 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read तुम छत पे बुला लेना इस बार सलीके से दीवाली मना लेना इक दीप मुहब्ब़त का दिल में भी जला लेना जब दीपों की लड़ियाँ तारों सी दिखें झिलमिल चंदा को इशारे से तुम छत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 298 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read अभी बहरा नहीं हूँ चलो ये मान लेता हूँ कि मैं गहरा नहीं हूँ समंदर मैं भी पर तेरी तरह ठहरा नहीं हूँ मिरे पथ पर तुझे साए दरख़्तों के मिलेंगे हूँ मैं भी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 407 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read राधिका ही न क्यों रुक्मणी हो गयी प्रेम की भावना अधमरी हो गयी जब जुदा श्याम से साँवरी हो गयी नींद आँखों से उठकर टहलने लगी वो भटकती रही बावरी हो गयी श्याम ने बाँसुरी का बदन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 212 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read मौत भी लेकर कलण्डर आ गई आन की जब बात लब़ पर आ गई म्यान से तलवार बाहर आ गई जिस्म से बेज़ार दुलहन रुह की छोड़कर ससुराल पीहर आ गई वो सजी सँवरी चली परयाग... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 418 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read कवि ऐसे ही होते हैं उड़ जाती है नींद आँख से दिन का चैन भी खोते हैं समझ सके न जिनको दुनिया कवि ऐसे ही होते हैं रूहों की बस्ती में जाकर उनकी गाथा गाते... Hindi · गीत 302 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read नहीं रुकता बुलंदी पर नहीं रुकता बुलंदी पर पहुँचकर लौट आता है उछालो लाख तबियत से ये पत्थर लौट आता है कभी सागर,कभी पर्वत,कभी आकाश या जंगल परिंदा हो कहीं भी शाम को घर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 212 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read यूँ गहरी झील सी आँखों से... गिरा हूँ पर सँभलने का हुनर भी जानता हूँ मैं खड़े होकर के चलने का हुनर भी जानता हूँ मैं बदल सकता हूँ खुद को भी जमाने के लिए लेकिन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 268 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read मैं आऊँगा पलटकर ओढ़कर के कोहरे की सर्द चादर कौन है जो जा रहा खुद में सिमट कर काँपती उस आत्मा का तन-बदन कह रहा मत देख आऊँगा पलट कर जानी-पहचानी सी उस... Hindi · कविता 166 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read तुम्हारा घर चलाने कौन आता है खि़जां में फूल खुशबू के खिलाने कौन आता है किसी के जख़्म पर मरहम लगाने कौन आता है जो भी आता है वो आता है लेकर अश्क आँखों में तिरी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 177 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read जरूरी तो नही लोग समझेंगे मिरी बात जरूरी तो नही एक जैसे हों खयालात जरूरी तो नहीं शर्म,संकोच भी कर देते हैं पानी- पानी भीगने के लिए बरसात जरूरी तो नहीं शर्त चाहत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 202 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read .उन्हें चलना नहीं आया है साँचा वक़्त का जिसमें तुम्हें ढलना नहीं आया करे तूफान क्या जब तुमको ही जलना नहीं आया बना करते वही.....इतिहास के पन्नों की गाथायें भरोसे भाग्य जिनको फूलना-फलना नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 383 Share Previous Page 3 Next