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19 Mar 2020 · 1 min read

सब मीत पुराने

आगे बढ़कर पीछे देखो
क्या दिखता है?
दिखा कोई अपना या
मात्र धुआँ दिखता है
अपने दिखें तो बढ़ते जाना
धुआँ दिखे तो लौट के आना
करना याद हमेशा रब को
लेकर नाम बुलाना सबको
हक दे देना प्यार जताना
यही है असली ठौर ठिकाना
दर्प मिटा दो ढह जाओगे
ऊपर तनहा रह जाओगे
बात पुरानी देखी भाली
बहुत बुलंदी खतरे वाली
वक्त़ लगेगा धीरज धरना
नींव कभी कमजोर न करना
अपनों को बनाकर ग़ैर न रखना
मन में किसी से बैर न रखना
जाओ सबका होकर जाओ
बीज प्यार का बोकर जाओ
जख्म तुम्हारा यही सिलेंगे
लौटोगे तो यही मिलेंगे
अंतिम दिन बाराती होंगे
यही तुम्हारे साथी होंगे
कवि बानी दोहराते जाओ
प्रगति करो नित बढ़ते जाओ
आओगे तो खूब छनेगी
होली दीपावली मनेगी
बैठेंगे फिर कथा सुनाने
बचपन के सब मीत पुराने

Language: Hindi
382 Views
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