Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 May 2023 · 2 min read

*हम पर अत्याचार क्यों?*

खाने से ईर्ष्या, पाने से ईर्ष्या।
छूने से ईर्ष्या, पीने से ईर्ष्या।
मूछों से ईर्ष्या, पूछो तो ईर्ष्या।
घोड़ी से ईर्ष्या, जोड़ी से ईर्ष्या।
विरोध से ईर्ष्या, मोद से ईर्ष्या।
सच्चाई से ईर्ष्या, सफाई से ईर्ष्या।
बारात से ईर्ष्या, परछाई से ईर्ष्या।
विचार से ईर्ष्या, अच्छाई से ईर्ष्या।
ईर्ष्या ईर्ष्या हम से ईर्ष्या द्वेष का विचार क्यों।
हम पर अत्याचार की क्यों?।।१।।
मूत्र पीलो तुम खुशी से, गोबर प्यार से खा लेते।
गोदी में ले लेते जानवर, कुत्ते से मुंह चटवा लेते।
घोड़ी से क्या रिश्ता खास है,चढ़े बारात तो इतराते।
गाय कुत्ता बिल्ली की मौत पर, क्यों इतना चिल्लाते हो?
मुंह पर ताला क्यों लग जाता, जब हिंदू हमें बताते हो?
अत्याचार बलात्कार हत्या और कितने जुर्म की गिनाऊं मैं।
रोहित वेमुला जितेंद्र मेघवाल फूलन देवी इन्द्र मेघवाल,
प्रवीण कुमार मनीषा वाल्मीकि और कितने नाम गिनाऊं मैं।
जाति है कि जाती नहीं किसी जाति पर वार क्यों?
हम पर अत्याचार क्यों?।।२।।
मटका छुआ मारा तुमने, ऐसा दुर्व्यवहार किया।
तरीका बदला सोच वही है, हर बार अत्याचार किया।
कटवाते पहले द्रोणाचार्य अंगूठा, आज जिंदा मार दिया।
दलितों पर ही क्यों जुल्म ढहाते, कारण तो बतलाओ तुम।
दलित क्या इंसान नहीं होते, इतना तो बतलाओ तुम।
हो जाएगा तुमको दर्द का अनुभव, खुद के साथ ऐसा बीते।
अक्ल ठिकाने हो जाए तुम्हारी, घर अपने सुनों तुम चीखें।
ऐसी घटनाओं पर विधायक हमारे, सांसद मंत्री मौन हैं।
रिजर्वेशन से मिल गई सीटें,बहरे गूंगों सा व्यवहार यूं।
हम पर अत्याचार क्यों?।।३।।
सौ में से पिचासी हैं हम, ना सोता शेर जगाओ तुम।
बिरसा मुण्डा वीर शिवाजी, एकलव्य से धनुर्धारी हम।
कोरेगांव हम भूले नहीं अभी, इतिहास हमारा तुम जानो।
सम्राट अशोक के हम वंशज हैं, भीमराव के चेले हैं।
खतरों से ना हमें डराओ, हम खतरों से खेले हैं।
नामदेव तुकाराम कबीर रविदास, गौतम से सन्यासी हम।
सावित्री रमा व झलकारी ज्ञान करूणा युद्ध में भारी हम।
साहूजी फूले ललई पेरियार, काशीराम से संघर्षी।
याद नहीं मातादीन भंगी वीर उधम सिंह, डायर सा व्यवहार क्यों?
हम पर अत्याचार क्यों?।।४।।
जानते हैं पत्थर से जवाब देना, फिर भी शान्ति से समझाते हैं।
संविधान पर चलते हैं हम, इसलिए तुम्हें बताते हैं।
टकराव से ना मिलेगा कुछ भी, नुकसान हमारा सबका है।
सोच बदलो बचा लो देश, सम्मान हमारा सबका है।
ओछी तुच्छ मानसिकता छोड़ो, धर्म जात को दो धिक्कार।
कोई किसी से कम नहीं है, पढ़े-लिखे बनो सोचो सार।
इन बातों में कुछ नहीं रखा, सोचो समझो करो विचार।
समझाने को लिखी है यह कृति, दुष्यन्त कुमार का पढ़ लो सार।
न्यायपालिका पर समान अधिकार हो, झूठा मीडिया का प्रचार क्यों?
हम पर अत्याचार क्यों?।।५।।

Language: Hindi
5 Likes · 217 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dushyant Kumar
View all
You may also like:
करगिल के वीर
करगिल के वीर
Shaily
मेरी कानपुर से नई दिल्ली की यात्रा का वृतान्त:-
मेरी कानपुर से नई दिल्ली की यात्रा का वृतान्त:-
Adarsh Awasthi
बारिश और उनकी यादें...
बारिश और उनकी यादें...
Falendra Sahu
सर्दी और चाय का रिश्ता है पुराना,
सर्दी और चाय का रिश्ता है पुराना,
Shutisha Rajput
सिर्फ़ वादे ही निभाने में गुज़र जाती है
सिर्फ़ वादे ही निभाने में गुज़र जाती है
अंसार एटवी
मैं कौन हूं
मैं कौन हूं
प्रेमदास वसु सुरेखा
ग़ज़ल-हलाहल से भरे हैं ज़ाम मेरे
ग़ज़ल-हलाहल से भरे हैं ज़ाम मेरे
अरविन्द राजपूत 'कल्प'
आप अपना कुछ कहते रहें ,  आप अपना कुछ लिखते रहें!  कोई पढ़ें य
आप अपना कुछ कहते रहें , आप अपना कुछ लिखते रहें! कोई पढ़ें य
DrLakshman Jha Parimal
पेड़
पेड़
Kanchan Khanna
हम नही रोते परिस्थिति का रोना
हम नही रोते परिस्थिति का रोना
Vishnu Prasad 'panchotiya'
सत्य असत्य से हारा नहीं है
सत्य असत्य से हारा नहीं है
Dr fauzia Naseem shad
रिश्तों का सच
रिश्तों का सच
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
#एकताको_अंकगणित
#एकताको_अंकगणित
NEWS AROUND (SAPTARI,PHAKIRA, NEPAL)
एक नासूर हो ही रहा दूसरा ज़ख्म फिर खा लिया।
एक नासूर हो ही रहा दूसरा ज़ख्म फिर खा लिया।
ओसमणी साहू 'ओश'
Even If I Ever Died
Even If I Ever Died
Manisha Manjari
वीर तुम बढ़े चलो...
वीर तुम बढ़े चलो...
आर एस आघात
मैं भी डरती हूॅं
मैं भी डरती हूॅं
Mamta Singh Devaa
ना समझ आया
ना समझ आया
Dinesh Kumar Gangwar
राम-हाथ सब सौंप कर, सुगम बना लो राह।
राम-हाथ सब सौंप कर, सुगम बना लो राह।
डॉ.सीमा अग्रवाल
आलोचक सबसे बड़े शुभचिंतक
आलोचक सबसे बड़े शुभचिंतक
Paras Nath Jha
"अश्क भरे नयना"
Ekta chitrangini
हर सांस की गिनती तय है - रूख़सती का भी दिन पहले से है मुक़र्रर
हर सांस की गिनती तय है - रूख़सती का भी दिन पहले से है मुक़र्रर
Atul "Krishn"
काश
काश
Sidhant Sharma
स्त्री मन
स्त्री मन
Surinder blackpen
😢शर्मनाक😢
😢शर्मनाक😢
*Author प्रणय प्रभात*
परदेसी की  याद  में, प्रीति निहारे द्वार ।
परदेसी की याद में, प्रीति निहारे द्वार ।
sushil sarna
हमने तो सोचा था कि
हमने तो सोचा था कि
gurudeenverma198
बाल कविता : बादल
बाल कविता : बादल
Rajesh Kumar Arjun
2823. *पूर्णिका*
2823. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"जर्दा"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...