Kumar Kalhans 170 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 Next Kumar Kalhans 19 Jul 2021 · 7 min read घोसडी वाले। "घोसडी वाले" शुभम काफी देर से चैट कर रहा था। चैट करते करते उसकी उंगलियां और आंख दोनों थक गए तो उसने सेलफोन को किनारे रख दिया और कमरे को... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 2 319 Share Kumar Kalhans 13 Jul 2021 · 1 min read वो इक पूजनीय हैं। उनका बहुत है नाम वो इक पूजनीय हैं। उनको करो प्रणाम वो इक पूजनीय हैं। ***** उनका जो जपो नाम हर बाधाएं दूर हों। करवाएंगे सब काम वो इक पूजनीय... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 226 Share Kumar Kalhans 3 Jul 2021 · 1 min read जहां इंसान मौसम की तरह न रंग बदलते हों। जहां फूलों की शक्लों में कभी काटें न उगते हों। जहां रिश्तों के आईने न पल भर में चटकते हों। ऐ मेरे दिल कहीं पर हो अगर ऐसी जगह तो... Hindi · मुक्तक 3 1 472 Share Kumar Kalhans 2 Jul 2021 · 10 min read चप्पल बुआ। चप्पल बुआ ! कितना अजीब नाम है। है ना ? पर इसमें बड़ी बात क्या है। ये पूरी दुनिया ही अजीबोगरीब चीज़ो से भरी पड़ी है। अजीब लोग , अजीब... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 10 607 Share Kumar Kalhans 2 Jul 2021 · 1 min read पानी की तरह बनना सीखो। पानी की तरह बनना सीखो। जैसा निसर्ग देता अवसर वैसा व्यवहार यह करता है, जैसी स्थितियों से मिलता अनुरुप उन्हीं के रहता है, अन्यायी पर जल प्रलय बनो जब प्रेम... Hindi · गीत 2 229 Share Kumar Kalhans 1 Jul 2021 · 3 min read खान साहब। एक महिला नेता के अंतर्वस्त्र के रंग का खुलासा कर और उस पर तालियां बटोर कर खान साहब घर पहुँचे तो गर्मी की वजह से बड़ी प्यास लगी थी। बेगम... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 1 607 Share Kumar Kalhans 1 Jul 2021 · 2 min read खोटा भाई और उनकी फाइल। गंभीर माहौल है। दो महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावों के लिए सीट शेयरिंग की बात चल रही है। मसला लगभग तय हो चुका है बस कुछेक सीटों के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा चल... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 2 436 Share Kumar Kalhans 1 Jul 2021 · 3 min read नाक। बनारस की एक गली में लोगों की भीड़ जमा थी। भीड़ कौतूहल से गली के एक कोने में पड़ी वस्तु की तरफ देख रही थी। पर उसके करीब कोई डर... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 2 602 Share Kumar Kalhans 28 Jun 2021 · 1 min read मां और पिता के आंसू। मां और पिता के आंसू, क्या सयाने हो चुके बच्चों में, उतनी मार्मिकता उगा पाते हैं, जितना वे , माता पिता का ह्रदय गलाकर बाहर आते हैं, उत्तर पाने के... Hindi · कविता 2 376 Share Kumar Kalhans 22 Jun 2021 · 1 min read संग मेला कोई नहीं लाया। संग मेला कोई नहीं लाया। मुझ्को तन्हाइयों ने सिखलाया। मैं कभी था नहीं बुरा इतना। मुझको मेरी हवस ने फुसलाया। मैं किसी दूसरे पते पर था। जब भी ख़त का... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 388 Share Kumar Kalhans 19 Jun 2021 · 1 min read चाइना का टिकाऊ माल। खूब शोर मचाते थे कि चाइना का माल सस्ता और टिकाऊ नहीं होता। आज इस सामान का बहिष्कार करो कल उसका। चले तो चाँद तो न चल3 तो खराब हो... Hindi · तेवरी 6 507 Share Kumar Kalhans 18 Jun 2021 · 1 min read खो गया हूँ मैं ख्यालों के जहां में। खो गया हूँ मैं ख़यालों के जहाँ में। बेख़ुदी झलकेगी अब मेरे बयां में। ***** आपकी सोहबत में शाईर बन गया हूँ। आपसे आया हुनर मेरी जुबाँ में। ***** आपकी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 7 2 587 Share Kumar Kalhans 16 Jun 2021 · 1 min read पिता। बहुत पहले श्रीमद्भागवत सुनते समय वाचक के श्रीमुख से एक कथा सुनी थी कि एक जगह एक कुएं से पानी निकल रहा था और वह चार कुओं को लबाबब भर... Hindi · तेवरी 9 359 Share Kumar Kalhans 14 Jun 2021 · 1 min read एक ही पल होता है टूटने का। एक ही पल होता है टूटने का , एक ही छण होता है बिखरने का, और ये एक ही पल , एक ही छण, अचानक ही नहीं आ जाता, इसके... Hindi · कविता 9 289 Share Kumar Kalhans 14 Jun 2021 · 1 min read आत्महंता। एक ही पल होता है टूटने का , एक ही छण होता है बिखरने का, और ये एक ही पल , एक ही छण, अचानक ही नहीं आ जाता, इसके... Hindi · कविता 6 2 436 Share Kumar Kalhans 13 Jun 2021 · 1 min read सब ऋतुओं की रानी हो तुम , बरखा अमर जवानी हो तुम। सब ऋतुओं की रानी हो तुम। बरखा अमर जवानी हो तुम। तुमसे धरा हुल्लसित होती , पुष्पित और पल्लवित होती, बांझ नहीं ये साबित होता, तेरे वीर्य से गर्वित होती,... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 8 3 471 Share Kumar Kalhans 13 Jun 2021 · 1 min read बरस रही हो बरखा रानी पर अंदाज़ अलग है। बरस रही हो बरखा रानी पर आग़ाज़ अलग है। बीते कुछ बरसों से तेरा रंग अंदाज़ अलग है। कहीं कहीं पर बूंदे झरतीं कहीं कहीं पर पत्थर, कहीं खुशी की... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · गीत 10 1 567 Share Kumar Kalhans 12 Jun 2021 · 2 min read आओ इश्को करम की बात करें, आओ तेरे सनम की बात करें। आओ इश्को करम की बात करें। आओ तेरे सनम की की बात करें। जिस्म जिसपर शबाब छाया है। बकौल तेरे रुआब आया है। आंखों में जिसके दो जहाँ तेरे। रूख़... Hindi · कविता 10 1 284 Share Kumar Kalhans 9 Jun 2021 · 1 min read आप हर जगह हों सरकार जरूरी तो नहीं। आप हर जगह हों सरकार जरूरी तो नहीं। हर जगह आपकी दरकार जरूरी तो नहीं। और भी खूब तरीके हैं फतह करने के। आपके हाथ में तलवार जरूरी तो नहीं।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 8 264 Share Kumar Kalhans 7 Jun 2021 · 1 min read विश्वासों ने पार उतारा। विश्वासों ने पार उतारा। संदेहों के सागर गहरे विश्वासों की नाव हठीली, विचलित किया बहुत लहरों नें लेकिन अपनी राह न भूली, मधुर पलों के टापू आये समय सिंधु था... Hindi · गीत 8 391 Share Kumar Kalhans 6 Jun 2021 · 1 min read भू से मिलकर नवजीवन की गाथाएं रचती हैं। भू से मिलकर नवजीवन की गाथाएं रचती हैं। बूँदे झरतीं मेघों से बन धाराएं बहती हैं। इन ऊंचे पर्वत का जैसे पति ये सावन ही हो। कभी तो लगता ऐसे... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · गीत 10 3 423 Share Kumar Kalhans 5 Jun 2021 · 1 min read सूरज रोज नहीं आएगा। सूरज रोज नहीं आएगा। जब तक है तब तक किरणों से अपने मन की झोली भर लो, अंधियारा घिरने से पहले सतरंगी रंगोली कर लो, संचय किया हुआ ये सब... Hindi · गीत 9 2 249 Share Kumar Kalhans 2 Jun 2021 · 1 min read कितने ग़मगीन हैं जमाने में। कितने ग़मगीन हैं जमाने में। देखिये जा सुरूर खाने में। एक सच हम नहीं बता पाते। जिंदगी बीतती बहाने में। खुद ही बनते हैं खोटा सिक्का हम। और फिर गर्क... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 8 192 Share Kumar Kalhans 1 Jun 2021 · 1 min read इक दूजे की बोटी हम नुचवाते हैं। सेंक रहे वे रोटी हम सिंकवाते हैं। इक दूजे की बोटी हम नुचवाते हैं। सदियों से कुछ सीख नहीं ले पाए हैं। सदियों से एक भूल वही दोहराए हैं। बटें... Hindi · गीत 10 1 265 Share Kumar Kalhans 1 Jun 2021 · 1 min read मैं जब भी चाहूं मैं आज़ाद हो जाऊंगा ये सच है। मैं जब भी चाहूं मैं आज़ाद हो जाऊंगा ये सच है। मगर मैं ये कभी कर ही नहीं पाऊंगा ये सच है। ***** जमाना आएगा समझायेगा देगा तसल्ली पर। मैं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 11 3 550 Share Kumar Kalhans 31 May 2021 · 1 min read दर्द को आंसूं बना कर देख लो। दर्द को आसूं बना कर देख लो। दुनियां है कैसी पिला कर देख लो। ये जहां कितना तमाशाबीन है। आप अपना घर जला कर देख लो। जान देने की कसम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 8 464 Share Kumar Kalhans 30 May 2021 · 1 min read प्यार का स्वभाव। सच कहूं, तुम्हारी तरफ आकर्षित हुआ था, वस्त्रों के पीछे , छुपी तुम्हारी मांसलता देखकर, अपनी कल्पना की आंखों से देखकर, यह सोचकर, की तुम्हारी देह को प्राप्त करना, कितना... Hindi · कविता 10 478 Share Kumar Kalhans 29 May 2021 · 1 min read मृत्यु के साये में राह जीवन चले। मृत्यु के साए में राह जीवन चले। आँख खुलते ही मिलता अँधेरे का भय, उत्तरोत्तर बढ़त है की होता है क्षय, काल के राहू केतू डगर में मिलें, मध्य आकाश... Hindi · गीत 11 3 317 Share Kumar Kalhans 28 May 2021 · 1 min read रेलगाड़ी रेलगाड़ी मित्रों सम्भवतः आपको स्मरण हो कि पिछले वर्ष एक रेलगाड़ी अपने गंतव्य से अलग दूसरे स्टेशन पर पहुँच गयी थी और वह भी दस घण्टे अतिरिक्त समय लेकर। वह पूरा... Hindi · गीत 9 4 492 Share Kumar Kalhans 27 May 2021 · 1 min read सीधी सादी राह न चलते खुद को हम उलझाते हैं। कसम उठाते हैं सुबह को शाम को जाम उठाते हैं। शौक शाम के छूट न पाते सुबह को हम बहलाते हैं। फ़ौज़ बहानों की लो हमसे क्यों पीते क्यों मरते... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 11 2 561 Share Kumar Kalhans 26 May 2021 · 1 min read ऐसे बरसो तरस गए नयनो से पानी बरसे। ऐसा बरसो तरस गए नयनों से पानी बरसे। धूप नहाई धरती का तन लावा जैसे तपता, रुछ पवन रेतीली आंधी बन नयनों में चुभता, धूसर सी लगती है भू की... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · गीत 10 7 271 Share Kumar Kalhans 26 May 2021 · 1 min read देखो बरखा की रुत आयी। देखो बरखा की रुत आयी। रिमझिम रिमझिम बरस रही हैं, धरती पर अमृत की बूंदे। कन कण इस कृतज्ञ धरा का पान करे इसका और झूमें। इसका कोई जोड़ नहीं... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 11 7 544 Share Kumar Kalhans 26 May 2021 · 3 min read टेम्पल रन। पुनः एक बार भीषण पराजय के सागर में गोते खाते हुए चिरयुवा अध्यक्ष दीन हीन अवस्था में सोफे पर पसरे हुए थे। उनके मासूम सुंदर मुखड़े पर ईर्ष्या , छोभ... Hindi · कहानी 11 478 Share Kumar Kalhans 26 May 2021 · 1 min read देखो बरखा की रुत आयी। देखो बरखा की रुत आयी। रिमझिम रिमझिम नर्स रही हैं, धरती पर अमृत की बूंदे। कन कण इस कृतज्ञ धरा का पान करे इसका और झूमें। इसका कोई जोड़ नहीं... Hindi · कविता 12 1 335 Share Kumar Kalhans 24 May 2021 · 1 min read सूरज अंकल जलते जलते देखो इक दिन जल मत जाना। सूरज अंकल जलते जलते देखो इक दिन जल मत जाना। जल जाओगे यदि धरती पर कौन उजाला ले आएगा। फिर तो हम नन्हे बच्चों को अंधियारा यह धमकाएगा। अंधियारे में... Hindi · कविता 10 1 577 Share Kumar Kalhans 24 May 2021 · 3 min read कटी हुई नाक। बनारस की एक गली में लोगों की भीड़ जमा थी। भीड़ कौतूहल से गली के एक कोने में पड़ी वस्तु की तरफ देख रही थी। पर उसके करीब कोई डर... Hindi · कहानी 10 1 494 Share Kumar Kalhans 23 May 2021 · 1 min read जीजा जी । सन 1984 , 1985 की बात होगी।हम इलाहाबाद में 12 वीं में पढ़ते थे। अब इलाहाबाद में रहें और इलाहाबादी रंग न चढ़े तो इलाहाबाद का घोर अपमान। बंक मारकर... Hindi · लेख 13 313 Share Kumar Kalhans 23 May 2021 · 1 min read दीपक। दीपक तुम उन्मुक्त बहुत हो। तुमको ये मालूम खूब है जलते जलते बुझ जाओगे। प्रतिपल घटते तरल नेह के घटते ही तुम चुक जाओगे। ये सारे बंधन होकर भी उर्ध्वमुखी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 13 4 420 Share Kumar Kalhans 22 May 2021 · 2 min read नेह के बादल कहते जाओ अब कब फिर से आना होगा। मित्रों हमारे उत्तर प्रदेश , बिहार से लाखों लाख लोग पैसे कमाने के लिए प्रदेश जाते हैं। चार , छह , आठ महीने पश्चात जब कुछ रुपये पैसे एकत्रित हो... Hindi · कविता 12 452 Share Kumar Kalhans 22 May 2021 · 2 min read एक सफर ऐसा भी। बहुत समय के बाद अचानक ही वो बाज़ार में मिली।पहले तो हम काफी देर तक एक दूसरे को देखते ही रहे। फिर मैंने उससे कहा कि कहीं चल कर बैठते... Hindi · कहानी 14 1 534 Share Kumar Kalhans 22 May 2021 · 2 min read कुबूल है। कुबूल है। कुबूल है। सलीम एक निहायत सीधा साधा युवक था पर उसमें एक बड़ी खामी थी कि वह कोई भी काम टिक कर नहीं कर पाता था। कुछ महीने काम पर कुछ महीने... Hindi · कहानी 16 3 615 Share Kumar Kalhans 22 May 2021 · 3 min read गाज़ियाबाद कै बियाह। परसपुर से पसका जा रहा था। जीप में बैठा उकता रहा था। जीप वाले से पूछा कि भाई जीप कब चलेगी तो उसने बताया या तो अच्छी खासी सवारी मिल... Hindi · कहानी 11 1 430 Share Kumar Kalhans 22 May 2021 · 1 min read जेएनयू धिक्कार तुम्हे है जेएनयू धिक्कार। जेनयू धिक्कार तुझे है जेनयू धिक्कार। मेमन , अफज़ल , अज़मल की है होती खूब बड़ाई, वे शहीद हैं, भारत कातिल , मचती खूब दुहाई, पढ़े लिखे बच्चे तेरे क्यों... Hindi · कविता 12 6 397 Share Kumar Kalhans 22 May 2021 · 3 min read हरा पत्ता। शरद ऋतु अपने यौवन पर थी। उसने बड़ी निर्ममता से पेड़ों से उनके वस्त्र छीनकर उन्हें निर्वसन कर दिया था। वृक्ष कातर होकर खड़े थे। उनकी ऊपर उठी हुई डालियां... Hindi · कहानी 12 1 802 Share Kumar Kalhans 19 May 2021 · 2 min read साहेब की अंतर्दृष्टि। एक महिला नेता के अंतर्वस्त्र के रंग का खुलासा कर और उस पर तालियां बटोर कर साहब घर पहुँचे तो गर्मी की वजह से बड़ी प्यास लगी थी। बेगम को... Hindi · कहानी 12 283 Share Kumar Kalhans 19 May 2021 · 1 min read पीड़ा कैसे समाप्त होती है। पीड़ा कैसे समाप्त होती है, समय के साथ साथ, मन वृछ पर लगा वह पत्ता, जिस पर पीड़ा अंकित थी, शनैः शनैः सूख कर, पीत वर्ण धारण कर , स्मृति... Hindi · कविता 12 207 Share Kumar Kalhans 19 May 2021 · 1 min read खुशी तो आयी टुकड़े टुकडे , गम पर हरपल पास रहा। खुशी तो आयी टुकड़े टुकड़े गम पर हरपल पास रहा। बस्ती में है उम्र गुज़ारी मगर वनवास रहा। सम्बन्धो के बियाबान में उलझे सुलझे रहे सदा। उबड़ खाबड़ भू पर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 12 275 Share Kumar Kalhans 17 May 2021 · 1 min read जिंदा लाश। जी हां में एक लाश हूँ। नदियों में बहती, फूलती , पिचकती, जलचरों , उभयचरों को आमंत्रण देती, आओ महाभोग में सहभागी बन जाओ, संतुष्ट होकर जाओ, तुम्हारे उदर निर्वाह... Hindi · कविता 12 529 Share Kumar Kalhans 17 May 2021 · 1 min read एक चेहरे से कई चेहरे बनाने का हुनर। एक चेहरे से कई चेहरे बनाने का हुनर। जिंदगी है झूठे रिश्तों को निभाने का हुनर। ,,,,,,,,,, जिंदगी सिखला ही देती है यहां हर एक को। आसुओं से जलते ख्वाबों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 13 460 Share Kumar Kalhans 17 May 2021 · 1 min read हाँ मैं दोमुंहा हूं। हाँ मैं दोमुंहा हूँ, जानना चाहते हो क्यों, क्योंकि तुम अनेकमुहाँ हो, मैं तुमसे कमीनगी में , कभी जीत ही नहीं सकता, इसका अहसास होता , उसके पहले ही दोमुंहा... Hindi · कविता 13 252 Share Previous Page 3 Next