Kumar Kalhans 168 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 4 Kumar Kalhans 15 May 2021 · 1 min read तब्दील होकर बन गया यह बाज़ क्यों है। तब्दील होकर बन गया यह बाज़ क्यों है। इस कदर यह आसमां नाराज़ क्यो हैं। --- देखिये क्या है निग़ाहों की गली में। कमज़ोर होती जा रही आवाज़ क्यों है।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 12 1 217 Share Kumar Kalhans 15 May 2021 · 1 min read मरना पड़ता है। हम रोज, थोड़ा थोड़ा , मरते हैं, जब किसी को , कुछ अप्रिय कह देते हैं, जब अपने किसी, संबधी को , स्वयं से दूर कर देते हैं, भले ही... Hindi · कविता 11 1 240 Share Kumar Kalhans 15 May 2021 · 1 min read मैं लेकर सब्र का इतिहास बैठा हूँ। मैं लेकर हसरतों और सब्र का इतिहास बैठा हूँ। मैं दरिया के किनारे लेके कब से प्यास बैठा हूँ। मुझे कूवत मेरी मालूम है मुंसिफ मैं कैसा हूँ। मगर मज़मा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 11 276 Share Kumar Kalhans 14 May 2021 · 1 min read क्यों बदलना है जरूरी यह बता दो। क्यों बदलना है ज़रूरी यह बता दो। फिर बदल जाओ मुझे बेशक सज़ा दो। --- मैं रहूंगा तुम वहां जब तक रहोगे। अंजुमन से तुम मुझे बेशक उठा दो। ---... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 11 1 408 Share Kumar Kalhans 14 May 2021 · 1 min read मातृ दिवस। जिस मां ने नौ महीने हमें अपनी कोख में रखकर भयंकर प्रसव वेदना सहकर इस संसार में लाई , अमृत समान दुग्ध पान करा हमारी हड्डियों और हमारे शरीर का... Hindi · तेवरी 12 1 382 Share Kumar Kalhans 13 May 2021 · 1 min read भेज रहा हूँ पास आपके ताजे ताजे गीत। भेज रहा हूँ पास आपके ताजे ताजे गीत। आगे आप निभाना अपनी संपादक की रीत। चाहो तो दे देना अपनी पुस्तक में स्थान , रद्दी की ढेरी में होने देना... Hindi · गीत 11 5 262 Share Kumar Kalhans 13 May 2021 · 1 min read मुमताज़ हमारे पास भी है। इश्क का सर पर ताज भी है। शाहजादों का अंदाज़ भी है। बनवा न सकें भले ताजमहल। मुमताज़ हमारे भी पास भी है। ***** कुमारकलकन्स, 13,05,2021, Hindi · मुक्तक 11 2 323 Share Kumar Kalhans 13 May 2021 · 1 min read जरा अदब से मुझसे मिला करो। तेरी मुफलिसी का जबाब हूँ जरा अदब से मुझसे मिला करो। मैं बीती रात का ख्वाब हूँ जरा अदब से मुझसे मिला करो। ***** तेरे लम्स जिसको उम्र भर तरसा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 13 5 254 Share Kumar Kalhans 11 May 2021 · 1 min read कोरोना काल। 1. कोरोना ने छीन लिया कितनों का सुख चैन। झोला भर ग़म दे दिया हुए सभी बैचैन। हुए सभी बैचैन न कोई राह सूझती। सांसे अटक रही हैं जन की... Hindi · कुण्डलिया 10 2 313 Share Kumar Kalhans 11 May 2021 · 1 min read गुनगुनाता है कोई। बन गईं हो एक नगमा गुनगुनाता है कोई। अपनी ख़ामोशी में भी तुझको बुलाता है कोई। तुम जहां पर पांव रखती हो वहाँ की धूल को। अपने हाथों से उठा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 12 4 404 Share Kumar Kalhans 9 May 2021 · 1 min read लोग कहते हैं बहुत बुरा हूँ मैं। लोग कहते हैं बहुत बुरा हूं मैँ। और मैँ सोचता हूँ खरा हूं मैं। मुझको सहरा समझने वालों। पास आओ बहुत भरा हूँ मैं। कुछ बदतमीजों से बना ली दूरी।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 10 1 245 Share Kumar Kalhans 8 May 2021 · 1 min read जला कर चला गया। वह कौन था जो दिल को दुखा कर चला गया। चेहरा जो अपना असली दिखा कर चला गया। अब कैसे कहूँ मेरा करीबी ही कोई था। एतबार की फसल जो... Hindi · मुक्तक 9 1 551 Share Kumar Kalhans 7 May 2021 · 1 min read जब जब लगा मुझे वह भोला। जब ख़ुद को रूपए मैं तौला। वज़न नहीं कुछ कांटा बोला। उसकी तरल निगाहें ऐसी। जब देखा है तब कुछ डोला। थाली वही भली लगती है। खट्टा मीठा संग हो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 11 4 302 Share Kumar Kalhans 6 May 2021 · 1 min read कुंडलियां मित्रों तीन कुंडलियां आपके सम्मुख हैं। प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा है। 1. कविताई के रंग सब उस अबूझ का नूर। मन में जिसने रख दिया अक्षय भाव कपूर। अक्षय भाव कपूर... Hindi · कुण्डलिया 10 1 289 Share Kumar Kalhans 6 May 2021 · 1 min read खुद ही पीना सीख गए। मयखाने में जाकर बैठे खुद ही पीना सीख गए। नज़रें चार हुई साकी से जीना मरना सीख गए। रिश्तों की परतें खोली तो परत हट गयी नज़रों से। ख़ामोशी का... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 8 3 302 Share Kumar Kalhans 6 May 2021 · 1 min read कर्ज़ जिसका।है वही ढोये उठाये। कर्ज़ जिसका है वही ढोये उठाये। देवकी के अश्रु से गोकुल क्यों भीगे, क्यों यशोदा की व्यथा हो देवकी की, गोपियों के प्रेम को मथुरा क्यों समझे, जान क्यों पाए... Hindi · कविता 11 6 340 Share Kumar Kalhans 5 May 2021 · 1 min read जहाँ इंसान मौसम की तरह न रंग बदलते हों। जहां फूलों की शक्लों में कभी काटें न उगते हों, जहां रिश्तों के आईने न पल भर में चटकते हों, ऐ मेरे दिल कहीं पर हो अगर ऐसी जगह तो... Hindi · कविता 11 1 244 Share Kumar Kalhans 4 May 2021 · 1 min read भेद मन के खोल बादल। भेद मन के खोल बादल। कौन है जिसकी झलक से ये धरा आक्रांत होती। लेके आता जल कहाँ से जिससे दुनिया शांत होती। रख न अपने तक इसे तू कूट... Hindi · कविता 12 5 512 Share Previous Page 4