Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jul 2021 · 3 min read

नाक।

बनारस की एक गली में लोगों की भीड़ जमा थी। भीड़ कौतूहल से गली के एक कोने में पड़ी वस्तु की तरफ देख रही थी। पर उसके करीब कोई डर के मारे नहीं जा रहा था। अलबत्ता खुसुर पुसुर जरूर चल रही थी। सब लोग अपने अपने कयास लगा रहे थे। तभी उस गली में एक औघड़ बाबा पहुंचे । वे शायद कहीं जा रहे थे पर भीड़ देखकर रुक गए। औघड़ बाबा को देख भीड़ दो फाड़ हो गयी।
औघड़ बाबा : काहे इतनी भीड़ लगाए हो सब लोग ?
भीड़ : बाबा वहां एक कटी नाक जैसी कोई चीज पड़ी है , पर न तो उसमें रक्त है न ही वो मलिन हुई है , न वहां कोई मक्खी ही भिनभिना रही है , इसलिए हम लोग डरे हुए हैं , और उसके समीप नहीं जा रहे।
औघड़ : बच्चों घबराने की कौनो आवश्यकता नहीँ , हम जाकर देखते हैं।

बाबा उस कटी नाक के पास पहुचें और उसे देखते ही हो हो करके अट्टहास करने लगे। भीड़ औघड़ का ये औघड़ रूप देखकर घबरा गई।

भीड़ : बाबा आप इस तरह अट्टहास क्यों कर रहे हैं।

औघड़ : क्योंकि मुझे इस कटी नाक का रहस्य मालूम पड़ गया है।

भीड़ : बाबा यदि उचित समझें तो हमे भी अवगत कराएं।

औघड़ : ठीक है बच्चा लोग , मैं इशारों में कहूंगा तुम समझ लेना।

भीड़ समेवत स्वर में : जैसी आपकी आज्ञा बाबा जी।

औघड़ : कुछ दिन पहले यहां एक चमत्कारी पुरुष काशी वालों का आशीर्वाद लेने आया था।

भीड़ : हाँ बाबा हाँ।

औघड़ : उस व्यक्ति के ख़िलाफ एक खानदानी संभ्रांत महिला ने चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी। जिसकी नाक के बहुत चर्चे थे। इससे मिलती है , उससे मिलती है।

भीड़ : सत्य वचन बाबा जी।

औघड़ : उस चमत्कारी पुरुष ने काशी की सड़कों पर खुली जीप में खड़े होकर , अपनी सुरक्षा की चिंता किये बगैर आप लोगों के आशीर्वाद के लिए घण्टों मेहनत की थी।

भीड़ : सौ प्रतिशत सही बाबा जी।

औघड़ : उस शक्ति प्रदर्शन को देखकर वह खानदानी संभ्रात महिला काशी छोड़कर भाग खड़ी थी।

भीड़ : नमन है आपको।

औघड़ : जब वह भाग रही थी तब काशी वालों की वक्र दृष्टि उस पर पड़ी और उसकी नाक काट कर गिर पड़ी।

भीड़ सहमे स्वर में : आपका कथन सही ही होगा ,पर हम अकिंचन मनुष्यो को एकाधिक सवाल परेशान कर रहे हैं।

औघड़ : प्रश्न प्रस्तुत करो।

भीड़ : पहली बात तो की हम काशी वालों में क्या इतनी शक्ति है , दूसरी बात ये नाक किसी मुख्य सड़क के बजाय यहां गली में क्यो पड़ी है ?

औघड़ : तुम काशी वाले सैकडों साल से महादेव की छत्रछाया में रहते आये हो तो इतना सामर्थ्य तुम लोगों में भी आ गया है कि यदि सामूहिक रूप से किसी की तरफ वक्रदृष्टि से देख लो तो उसका अहित हो जाये। दूसरी बात गली में इसलिये की नाक को कोई नुकसान नहीं पहुँचे। मुख्य सड़क पर गिरी होती तो अब तक चकनाचूर हो गयी होती।

भीड़ : जै जै कार बाबा जी , पर क्या अब वो बिना नाक के घूम रही है ?

औघड़ : नहीं । तुम सब लोग शिव के नगरी में रहते हो पर उनके स्वभाव से परिचित नहीं हो। वे बड़े दयालु हैं। जब तक वो स्त्री काशी छेत्र में थी बिना नाक के थी , तुमको पता नहीं चला क्योंकि वो अपने निजी वाहन में अपना चेहरा छुपा कर निकल गयी पर जैसे ही वह काशी से बाहर गयी देवो के देव महादेव ने उसे उसकी नाक पुनः वापस कर दी।

भीड़ : बाबा जी तो अब इसका क्या किया जाय ?

औघड़ : इसे विधि पूर्वक गंगा माता को समर्पित कर दो।

इतना कहकर औघड़ बाबा अंतर्ध्यान हो गए।

अब पूरी काशी में यही चर्चा है कि वे औघड़ बाबा कौन थे।

मित्रमंडली में किसी को अनुमान हो तो अवश्य अवगत कराएं।

कुमारकलहन्स।

3 Likes · 2 Comments · 615 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Kumar Kalhans
View all
You may also like:
ॐ शिव शंकर भोले नाथ र
ॐ शिव शंकर भोले नाथ र
Swami Ganganiya
सुविचार
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
सरिए से बनाई मोहक कलाकृतियां……..
सरिए से बनाई मोहक कलाकृतियां……..
Nasib Sabharwal
शिकायत करते- करते
शिकायत करते- करते
Meera Thakur
कभी भी व्यस्तता कहकर ,
कभी भी व्यस्तता कहकर ,
DrLakshman Jha Parimal
घर के आंगन में
घर के आंगन में
Shivkumar Bilagrami
दोहा पंचक. . . नैन
दोहा पंचक. . . नैन
sushil sarna
व्याकरण पढ़े,
व्याकरण पढ़े,
Dr. Vaishali Verma
गीत
गीत
Shiva Awasthi
ये नयी सभ्यता हमारी है
ये नयी सभ्यता हमारी है
Shweta Soni
क्रांतिकारी किसी देश के लिए वह उत्साहित स्तंभ रहे है जिनके ज
क्रांतिकारी किसी देश के लिए वह उत्साहित स्तंभ रहे है जिनके ज
Rj Anand Prajapati
आज कल ब्रेकअप कितनी आसानी से हो रहे है
आज कल ब्रेकअप कितनी आसानी से हो रहे है
पूर्वार्थ
बोलो क्या लफड़ा है
बोलो क्या लफड़ा है
gurudeenverma198
भारत की नई तस्वीर
भारत की नई तस्वीर
Dr.Pratibha Prakash
कश्मीर
कश्मीर
Rekha Drolia
.
.
*प्रणय प्रभात*
कांटें हों कैक्टस  के
कांटें हों कैक्टस के
Atul "Krishn"
सृजन तेरी कवितायें
सृजन तेरी कवितायें
Satish Srijan
ऊपर चढ़ता देख तुम्हें, मुमकिन मेरा खुश होना।
ऊपर चढ़ता देख तुम्हें, मुमकिन मेरा खुश होना।
सत्य कुमार प्रेमी
शीत लहर
शीत लहर
Madhu Shah
ग़ज़ल
ग़ज़ल
दीपक श्रीवास्तव
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
" चुनौतियाँ "
Dr. Kishan tandon kranti
हवाओं के भरोसे नहीं उड़ना तुम कभी,
हवाओं के भरोसे नहीं उड़ना तुम कभी,
Neelam Sharma
ശവദാഹം
ശവദാഹം
Heera S
मित्र
मित्र
Dhirendra Singh
4158.💐 *पूर्णिका* 💐
4158.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
हर रोज़ तुम्हारा पता पूछते उन गलियों में चला जाता हूं
हर रोज़ तुम्हारा पता पूछते उन गलियों में चला जाता हूं
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आओ शाम की चाय तैयार हो रहीं हैं।
आओ शाम की चाय तैयार हो रहीं हैं।
Neeraj Agarwal
बुंदेली दोहा - किरा (कीड़ा लगा हुआ खराब)
बुंदेली दोहा - किरा (कीड़ा लगा हुआ खराब)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
Loading...