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9 Jun 2021 · 1 min read

आप हर जगह हों सरकार जरूरी तो नहीं।

आप हर जगह हों सरकार जरूरी तो नहीं।
हर जगह आपकी दरकार जरूरी तो नहीं।

और भी खूब तरीके हैं फतह करने के।
आपके हाथ में तलवार जरूरी तो नहीं।

नेकनीयत से आपकी तीमारदारी से।
ठीक हो जाएगा बीमार जरूरी तो नहीं।

जिसके साये तले दुनिया दबे औ घुट जाए।
इतनी ऊंची रहे दीवार जरूरी तो नहीं।

कुछ तो अफवाहों के बाज़ार गरम होने दो।
रु ब रु सबके हो इज़हार जरूरी तो नहीं।

इक तजुर्बे से सभी को ही तौल देते हो।
इंस हर एक हो बदकार जरूरी तो नहीं।

दहर की ग़ज़ल है इसमें न उलझिये ज्यादा।
एक पाए के हों अशआर जरूरी तो नहीं।

गुफ़्तगू खूब तसव्वुर में भी हो सकती है।
रु-ब-रु हो करें दीदार जरूरी तो नहीं।

आप भी होंगे कारगर कहीं जरूर “नज़र”।
आप हों एकदम बेकार जरूरी तो नहीं।

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