Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2023 · 1 min read

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते

4. यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते

मॉ भी तुम हो बेटी भी तुम
पत्नी बहन सभी तुम हो ,
फूलों में तुम कमल सरीखी
मौसम में फागुन तुम हो ।
अग्नि से विकराल ज्वाल तुम
जल से भी शीतल तुम हो,
उच्च शिखर आकाश तुम्ही हो
निम्न शिखर भूतल तुम हो ।।
कान्हा संग बाँसुरी तुम्ही हो
और राम संग तीर कमान ,
भजन तुम्ही हो मंदिर में और
मस्जिद में हो तुम्ही अजान |
तुम्ही सृष्टि की निर्मात्री हो
और तुम्ही हो पालनहार,
सावित्री बन देती जीवन
दुर्गा बन करती संहार ।।
ईश्वर की सुन्दरतम रचना
और सृष्टि का हो उपहार ,
मन्द मलय का तन को छूना
ऐसा है तेरा व्यवहार ।
पलक उठे तो फूल खिल उठें
पलक गिरे तो मुरझाए ,
इन्द्रधनुष मुस्कान तुम्हारी
अलकें लगती चंदनहार ।।
तुम्हे बनाकर विधना ने भी
जग पर ये उपकार किया ,
सुन्दरता की परिभाषा को
गढ़ने का आधार दिया ।
किन्तु बनाकर तुझे विधाता
स्वयं पड़े हैं इस भ्रम में ,
उसने रखा रूप तेरा
या तूने उसका धार लिया ।।
ईश्वर की इस अप्रतिम रचना का
हम सब सम्मान करें,
पूजित हो जो देवगणों से
उसका ना अपमान करें ।
नारी तो जननी है जग की
कर्ता – भर्ता – उपकर्ता ,
आओ उसका नमन करें
पूजन अर्चन यशगान करें ।।

प्रकाश चंद्र, लखनऊ
IRPS (Retd)

Language: Hindi
150 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Prakash Chandra
View all
You may also like:
कभी लौट गालिब देख हिंदुस्तान को क्या हुआ है,
कभी लौट गालिब देख हिंदुस्तान को क्या हुआ है,
शेखर सिंह
मेरी नज़्म, शायरी,  ग़ज़ल, की आवाज हो तुम
मेरी नज़्म, शायरी, ग़ज़ल, की आवाज हो तुम
अनंत पांडेय "INϕ9YT"
(2) ऐ ह्रदय ! तू गगन बन जा !
(2) ऐ ह्रदय ! तू गगन बन जा !
Kishore Nigam
बढ़ती इच्छाएं ही फिजूल खर्च को जन्म देती है।
बढ़ती इच्छाएं ही फिजूल खर्च को जन्म देती है।
Rj Anand Prajapati
सोचो अच्छा आज हो, कल का भुला विचार।
सोचो अच्छा आज हो, कल का भुला विचार।
आर.एस. 'प्रीतम'
2621.पूर्णिका
2621.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
प्रेम🕊️
प्रेम🕊️
Vivek Mishra
मैंने पीनी छोड़ तूने जो अपनी कसम दी
मैंने पीनी छोड़ तूने जो अपनी कसम दी
Vishal babu (vishu)
कुछ यूं हुआ के मंज़िल से भटक गए
कुछ यूं हुआ के मंज़िल से भटक गए
Amit Pathak
अफ़सोस न करो
अफ़सोस न करो
Dr fauzia Naseem shad
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ : दैनिक समीक्षा*
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ : दैनिक समीक्षा*
Ravi Prakash
You have climbed too hard to go back to the heights. Never g
You have climbed too hard to go back to the heights. Never g
Manisha Manjari
यह सब कुछ
यह सब कुछ
gurudeenverma198
*प्रेम भेजा  फ्राई है*
*प्रेम भेजा फ्राई है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"भावना" इतनी
*Author प्रणय प्रभात*
Sari bandisho ko nibha ke dekha,
Sari bandisho ko nibha ke dekha,
Sakshi Tripathi
सृष्टि
सृष्टि
DR ARUN KUMAR SHASTRI
विश्वेश्वर महादेव
विश्वेश्वर महादेव
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
ईर्ष्या
ईर्ष्या
Sûrëkhâ Rãthí
आज लिखने बैठ गया हूं, मैं अपने अतीत को।
आज लिखने बैठ गया हूं, मैं अपने अतीत को।
SATPAL CHAUHAN
अशोक चाँद पर
अशोक चाँद पर
Satish Srijan
" माटी की कहानी"
Pushpraj Anant
आगे पीछे का नहीं अगल बगल का
आगे पीछे का नहीं अगल बगल का
Paras Nath Jha
हीरक जयंती 
हीरक जयंती 
Punam Pande
गिरता है धीरे धीरे इंसान
गिरता है धीरे धीरे इंसान
Sanjay ' शून्य'
#मैथिली_हाइकु
#मैथिली_हाइकु
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
* लोकतंत्र महान है *
* लोकतंत्र महान है *
surenderpal vaidya
"पता सही होता तो"
Dr. Kishan tandon kranti
मैंने पत्रों से सीखा
मैंने पत्रों से सीखा
Ms.Ankit Halke jha
झुक कर दोगे मान तो,
झुक कर दोगे मान तो,
sushil sarna
Loading...