चाहतें
Dr.Pratibha Prakash
कड़वा सच
Dr.Pratibha Prakash
कोई जो पूछे तुमसे, कौन हूँ मैं...?
पूर्वार्थ
मकान जले तो बीमा ले सकते हैं,
पूर्वार्थ
खुली आँख से तुम ना दिखती, सपनों में ही आती हो।
लालबहादुर चौरसिया लाल
दुनिया के सब रहस्यों के पार है पिता
पूर्वार्थ
(कहानी) "सेवाराम" लेखक -लालबहादुर चौरसिया लाल
लालबहादुर चौरसिया लाल
Tuning fork's vibration is a perfect monotone right?
Sukoon
वो कहते हैं कहाँ रहोगे
VINOD CHAUHAN
बदलाव जरूरी है
Surinder blackpen
ये दौलत ये नफरत ये मोहब्बत हो गई
VINOD CHAUHAN
प्यासा के कुंडलियां (दारू -मदिरा) विजय कुमार पाण्डेय 'प्यासा'
Vijay kumar Pandey
जब कोई हो पानी के बिन……….
shabina. Naaz
जब कोई हो पानी के बिन……….
shabina. Naaz
चंद सवालात हैं खुद से दिन-रात करता हूँ
VINOD CHAUHAN
*पीता और पिलाता है*
Dushyant Kumar
यूं आंखों से ओझल हो चली हो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जितनी बार भी तुम मिली थी ज़िंदगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
चेहरा सब कुछ बयां नहीं कर पाता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
इश्क़-ए-फन में फनकार बनना हर किसी के बस की बात नहीं होती,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कितनी गौर से देखा करते थे जिस चेहरे को,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मुहब्बत से दामन , तेरा भर रही है ,
Neelofar Khan
ग़ज़ल _ मतलब बदल गया।
Neelofar Khan
अमृत
Rambali Mishra
"जीवन चक्र"
Dr. Kishan tandon kranti
"चिन्ता का चक्र"
Dr. Kishan tandon kranti
" भँवर "
Dr. Kishan tandon kranti
"नामुमकिन"
Dr. Kishan tandon kranti
" मौत की राह "
Dr. Kishan tandon kranti
“It is not for nothing that our age cries out for the redeem
पूर्वार्थ
हिम्मत वाली प्रेमी प्रेमिका पति पत्नी बनतेहै,
पूर्वार्थ
" वो दौलत "
Dr. Kishan tandon kranti
गरीबी
Aditya Prakash
हर रोज़ सोचता हूं यूं तुम्हें आवाज़ दूं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
छुटकारा
Rambali Mishra
■दूसरा पहलू■
*प्रणय प्रभात*
प्यासा के कुंडलियां (विजय कुमार पाण्डेय 'प्यासा')
Vijay kumar Pandey
रात बसर कर ली है मैंने तुम्हारे शहर में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
'प्यासा'कुंडलिया(Vijay Kumar Pandey' pyasa'
Vijay kumar Pandey
घर की गृहलक्ष्मी जो गृहणी होती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तृप्ति
Sudhir srivastava
भारतीय रेल (Vijay Kumar Pandey 'pyasa'
Vijay kumar Pandey
पहली मुलाकात
Sudhir srivastava
प्रीति नवेली
Rambali Mishra
रिश्तों का बंधन
Sudhir srivastava
पितृ दिवस
Rambali Mishra
एक पल को न सुकून है दिल को।
Taj Mohammad
रंगों के रंगमंच पर हमें अपना बनाना हैं।
Neeraj Agarwal
शीर्षक - मेरा भाग्य और कुदरत के रंग
Neeraj Agarwal
थोड़ा सा आसमान ....
sushil sarna