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हे सब कुछ नजरों के सामने ही मगर
हे सब कुछ नजरों के सामने ही मगर
Swami Ganganiya
जीवन भर का दे गए,
जीवन भर का दे गए,
sushil sarna
#विशेष_पल
#विशेष_पल
*प्रणय प्रभात*
हस्ती खेलती जिंदगी थी जिसे
हस्ती खेलती जिंदगी थी जिसे
Sasto Gulzar
लछमीनिया क' बात सुनू..
लछमीनिया क' बात सुनू..
मनोज कर्ण
धोखा दूसरा नही देता हे हमें
धोखा दूसरा नही देता हे हमें
Swami Ganganiya
हदों से पार भी , इक खूबसूरत सा  जहाँ देखा,
हदों से पार भी , इक खूबसूरत सा जहाँ देखा,
Neelofar Khan
ये कैसा धोखा सदी का हमारे साथ हुआ है
ये कैसा धोखा सदी का हमारे साथ हुआ है
Maroof aalam
मशगूल अपनी आदतों में रहा
मशगूल अपनी आदतों में रहा
Maroof aalam
जाने क्या-क्या कह गई, उनकी झुकी निग़ाह।
जाने क्या-क्या कह गई, उनकी झुकी निग़ाह।
sushil sarna
पाप पंक पर बैठ कर ,करें  पुण्य  की बात ।
पाप पंक पर बैठ कर ,करें पुण्य की बात ।
sushil sarna
ग़ज़ल —
ग़ज़ल — "दर्द की सौगात"
Author NR Omprakash Athak
शीर्षक -क्या स्वर्ग यही है।*
शीर्षक -क्या स्वर्ग यही है।*
shashisingh7232
मुझे उठाने वाले कहाँ जा कर सो गए हो तुम।
मुझे उठाने वाले कहाँ जा कर सो गए हो तुम।
Madhu Gupta "अपराजिता"
हॉस्टल का राज
हॉस्टल का राज
amankumar.it2006
मुझको अब अफसोस हो रहा है कि------------ ?
मुझको अब अफसोस हो रहा है कि------------ ?
gurudeenverma198
कितना खूनी हो गया,
कितना खूनी हो गया,
sushil sarna
"समझिए"
Dr. Kishan tandon kranti
फिर से मिलते हैं
फिर से मिलते हैं
Dushyant Kumar Patel
दरश हमें कब दोगे रघुवीर
दरश हमें कब दोगे रघुवीर
Ramji Tiwari
****पहलगाम नरसंहार****
****पहलगाम नरसंहार****
Kavita Chouhan
इश्क़
इश्क़
हिमांशु Kulshrestha
चुनावी भाषणों में सिर्फ हमको ज्ञान देते हैं
चुनावी भाषणों में सिर्फ हमको ज्ञान देते हैं
आकाश महेशपुरी
शायरी
शायरी
Saurabh Kumar
কবিতা : দশমহাবিদ্যা স্তুতি, রচয়িতা : সোহম দে প্রয়াস।
কবিতা : দশমহাবিদ্যা স্তুতি, রচয়িতা : সোহম দে প্রয়াস।
Sohom Dey
शोक और संकल्प के दोराहे पर भारत
शोक और संकल्प के दोराहे पर भारत
अरशद रसूल बदायूंनी
लड़ाई मज़हबों की नहीं, इंसानियत बनाम हैवानियत की है...
लड़ाई मज़हबों की नहीं, इंसानियत बनाम हैवानियत की है...
अरशद रसूल बदायूंनी
निर्णय लेने में कभी,
निर्णय लेने में कभी,
sushil sarna
सुबह शाम अफ्रेश पियो
सुबह शाम अफ्रेश पियो
Yamini Jha
दादी- दादा का घर होना
दादी- दादा का घर होना
Rita Singh
सुबह शाम शाम  अफ्रेश पायो
सुबह शाम शाम अफ्रेश पायो
Yamini Jha
मुक्तक
मुक्तक
Raj kumar
रचना
रचना
Mukesh Kumar Rishi Verma
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
शान्ति चाहिए तो
शान्ति चाहिए तो
ललकार भारद्वाज
जिन पे आकर चहकते थे सब परिंदे
जिन पे आकर चहकते थे सब परिंदे
Shweta Soni
माँ (हाइकु)
माँ (हाइकु)
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*****माँ स्वर्गसिधारी*****
*****माँ स्वर्गसिधारी*****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
**आ गई फिर माँ की बरसी**
**आ गई फिर माँ की बरसी**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
माँ  बरसी आई पर तु कभी नहीं आई
माँ बरसी आई पर तु कभी नहीं आई
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
साथ अपना कभी नहीं खोना
साथ अपना कभी नहीं खोना
Dr fauzia Naseem shad
आएगी जब तलक समझ में कुछ
आएगी जब तलक समझ में कुछ
Dr fauzia Naseem shad
वेदना
वेदना
संजीवनी गुप्ता
दो पल की ही सही
दो पल की ही सही
हिमांशु Kulshrestha
चंद पल की ही सही
चंद पल की ही सही
हिमांशु Kulshrestha
“कभी दिल खोल कर , बेतुकी ही सही , बात भी कर लिया कर ऐ ग़ालिब
“कभी दिल खोल कर , बेतुकी ही सही , बात भी कर लिया कर ऐ ग़ालिब
Neeraj kumar Soni
हम लड़ते रहे जातियों पर
हम लड़ते रहे जातियों पर
Harshita Choubisa
फूल ही तो निःस्वार्थ सेवा भाव रखते हैं
फूल ही तो निःस्वार्थ सेवा भाव रखते हैं
Neeraj Kumar Agarwal
मुस्कुराने से पहले , हँसी छीन ली
मुस्कुराने से पहले , हँसी छीन ली
Neelofar Khan
दुनिया में, दुनियों को आप कैसे समझते है?
दुनिया में, दुनियों को आप कैसे समझते है?
Buddha Prakash
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