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25 Apr 2025 · 1 min read

जीवन भर का दे गए,

जीवन भर का दे गए,
आतंकी वो घाव ।
अंतस में प्रतिशोध के,
बुझते नहीं अलाव ।।

सुशील सरना / 25-4-25

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