हम लड़ते रहे जातियों पर
हम लड़ते रहे जातियों पर
वो धर्म पूछकर मार गए
प्रेम निभाने गए प्रेमी
बे दर्दी से वो मारे गए
कश्मीर सी जन्नत को वो
नर्क बनाकर चले गए
हिम्मत देखो उनकी
सरे आम गोलियां चला गए
हम फिर भी चैन से बैठे है
वो देश में तबाई मचा गए
अब तो जागो देशवासियों
आतंकियों को भी तो सुलाना है
वो भी तो जाने हमसे लड़ना है
कितना महंगा पड़ता है
हर्षिता चौबीसा 🖊️