इश्क़
इश्क़
मीरा का हो या राधा का
कब फ़ना हुआ है
जिन्दा है आज भी
बस,
टुकड़ों में बँटा हुआ है
हिमांशु Kulshrestha
इश्क़
मीरा का हो या राधा का
कब फ़ना हुआ है
जिन्दा है आज भी
बस,
टुकड़ों में बँटा हुआ है
हिमांशु Kulshrestha