Dr MusafiR BaithA 464 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next Dr MusafiR BaithA 4 May 2024 · 1 min read गौभक्त और संकट से गुजरते गाय–बैल जुताई बुआई जबसे होने लगी मशीनों से बछड़े हुए जान के जवाल किसानों के लिए गाय माता तो एकदम अबोध जबकि इधर नहीं चाहते गोभक्त भी कि कोई गाय बैलों... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 48 Share Dr MusafiR BaithA 4 May 2024 · 1 min read थोड़ी है (राहत इंदौरी से प्रेरणा लेते हुए) सिर्फ एक जानवर के गोश्त को अपने धरम के विरुद्ध खाते में, डाल रखा है उन्होंने गौपूँछ पकड़ अपने परलोक को संवारने के लालच... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 34 Share Dr MusafiR BaithA 4 May 2024 · 2 min read वर्णव्यवस्था की वर्णमाला [मंगलेश डबराल की ’वर्णमाला’ कविता से प्रेरित] एक भाषा में अ लिखना चाहता हूं अ से अच्छाई अ से अत्याधुनिक लेकिन लिखने लगता हूं अ से अत्यंत बीमार वर्णवादी अ... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 38 Share Dr MusafiR BaithA 4 May 2024 · 1 min read राजनीति में फंसा राम राजनीति में फंसा राम खुद नहीं फंसा है भगवों द्वारा फंसाया गया है गो कि ईश्वरीय कहानियों में भी राम मर चुका है मगर जिन्दा है वह लोक आस्था में... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 39 Share Dr MusafiR BaithA 4 May 2024 · 1 min read यथार्थ से दूर का नाता वह मुझसे घृणा रखते हुए और, उसे जज्ब कर बाहरी तौर पर प्यार का इजहार ऐसे करता है जैसे कि मेरा मान भी उसने अपनों में अटा रखा हो! जैसे... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 32 Share Dr MusafiR BaithA 4 May 2024 · 1 min read थोथा चना वसुधैव कुटुम्बकम सारे जहाँ से अच्छा... है प्रीत जहाँ की रीत सदा सत्यमेव जयते आदि इत्यादि जैसे उच्च उदात्त उन्मत्त मानवीय भावों का ठकुरसुहाती छद्म कपटी उद्घोष जहाँ हैं रहें... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 41 Share Dr MusafiR BaithA 4 May 2024 · 1 min read नरभक्षी एवं उसका माँ-प्यार वह देश का शाह बन गया है शाह बनकर नए नए नाटक करने लगा है नाटक करने में उस्ताद बन गया है जब प्रांत का वह शाह बना था नरसंहार... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 42 Share Dr MusafiR BaithA 4 May 2024 · 1 min read गवर्नर संस्था अब जाकर कुछ मायने मिला सफेद हाथी पालने के मुहावरे को केन्द्रीय आज्ञाकारिता जब बिना चूँ चां के सक्रिय होकर शिरोधार्य हुई और पद की गरिमा गिरकर जब ग्राउंड ज़ीरो... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 42 Share Dr MusafiR BaithA 4 May 2024 · 1 min read गले लोकतंत्र के नंगे राजनीति में पार्टी एक समुच्चय है आदमी का लोकतंत्र के नाम पर निहित स्वार्थों में अटता बंटता हित समूह विकसनशील समाज की कानों से देखने वाले और आंखों से सुनने... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 45 Share Dr MusafiR BaithA 4 May 2024 · 1 min read जन्मपत्री जिंदों की भी नहीं होनी चाहिए मुर्दों की तो होती नहीं जन्मपत्री जबकि जन्मपत्री वाले ही मुर्दा बनते हैं ब्राह्मण-दिमाग की उपज होती है यह गंदगी जो फैल पसर कर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 31 Share Dr MusafiR BaithA 4 May 2024 · 1 min read मैं धर्मपुत्र और मेरी गौ माँ गाय मेरी माता है क्योंकि गाय मुझे मेरे मरने के बाद मेरे द्वारा पृथ्वी पर किये गये समस्त पापों-कुकर्मों को नजरअंदाज़ कर स्वर्ग के रास्ते में पड़ने वाली वैतरणी पार... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 63 Share Dr MusafiR BaithA 4 May 2024 · 1 min read कविता-कूड़ा ठेला कविता जैसे निबला की पत्नी और गांव भर की भौजाई होकर रह गई है जिसके भी चाहे जो मन में आए कविता के नाम पर ठेले जा रहा है इस... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 47 Share Dr MusafiR BaithA 4 May 2024 · 1 min read कवि होश में रहें आसमां को झुकाने में यकीं नहीं रखो कवि याद रखो कवि एक तो तुम्हारे सिर के ऊपर से ही आसमां शुरू होता है इसलिए उसके झुकने झुकाने की बात ही... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 34 Share Dr MusafiR BaithA 4 May 2024 · 1 min read घृणा के बारे में घृणा उगने उगाने के लिए सबसे उर्वर भूमि है धर्म धर्म में पड़कर एक आदमी दूसरे धर्म के आदमी से इतना अलग हो जाता है भंगुर व्यवहार हो जाता है... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 29 Share Dr MusafiR BaithA 4 May 2024 · 1 min read ओबीसी साहित्य है सूत न कपास मगर लट्ठम लट्ठा और चोट लगे पहाड़ से फोड़े घर की सिलौट को इल्जाम पिछड़े लट्ठभांजों का कि सवर्ण साहित्य और दलित साहित्य दोनों ने ही... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 32 Share Dr MusafiR BaithA 4 May 2024 · 1 min read नमक–संतुलन दोस्त होते हैं हमारी जरूरत ज्यों थाली में नमक भोजन में नमक सा जीवन में संतुलन बन जाए तो स्वाद की गति स्वाभाविक हो जाए जीवन की नमक की कमी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 35 Share Dr MusafiR BaithA 1 May 2024 · 1 min read यथार्थ का सीना (2013 की जम्मू और कश्मीर की प्राकृतिक आपदा से प्रेरित) विगलित मिथ का यथार्थ करते हो मिथ की दुर्गंध जीवन की कथा में फेंटते हो यार हद भद्दा मजाक करते... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 37 Share Dr MusafiR BaithA 1 May 2024 · 1 min read नींद नींद आती है न आती है कम आती है पूरी आती है विशृंखल आती है जाती है न जाती है शरीर करता है नींद की हर दशा दिशा को संचालित... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 45 Share Dr MusafiR BaithA 24 Apr 2024 · 1 min read मौतों से उपजी मौत वह था इतना अकिंचन क्षुधा आकुल कि काफी हद तक मर गई थीं भूख की वेदनाएं उसकी और अन्न से ज्यादा भूख से ही अचाहा अपनापा हो गया था उसका... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 89 Share Dr MusafiR BaithA 24 Apr 2024 · 1 min read सुख का मुकाबला उस अमीर का सुख मुझे बहुत विपन्न दिखा और उस गरीब का सुख बहुत सम्पन्न एक चेहरे पर सुख गर्व सजा मग़र सूजा दिखा था जबकि दूजा मुख मुझे दुख... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 57 Share Dr MusafiR BaithA 24 Apr 2024 · 1 min read उसका दुःख मेरी प्रतिक्रिया पाकर उसे भारी दुःख पहुँचा था इस बार वह मेरी प्रतिक्रियाओं में सुख को पाने पालने का अभ्यासी था पेड़ से गिर बिना खजूर पर अटके धरती को... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 54 Share Dr MusafiR BaithA 23 Apr 2024 · 2 min read बचपन की बारिश बचपन की बारिश में यादों का दखल अब भी जीवन में बचा बसा है इतना कि भींग जाता है जब तब उसकी गुदगुदी से सारा तनमन मेरे समय के नंग... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 74 Share Dr MusafiR BaithA 23 Apr 2024 · 1 min read नए पुराने रूटीन के याचक नए साल के पहले दिन लोगों का नया रूटीन है धर्मस्थलों पर जुटे हैं वे अपने कर्तव्य अकर्तव्य अपने आराध्यों को सौंपकर अगले तीन सौ पैंसठ दिन के कील कांटे... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 50 Share Dr MusafiR BaithA 22 Apr 2024 · 2 min read मां का अछोर आँचल मां की जननी नजरों में कभी वयस्क बुद्धि नहीं होता बेटा मां के प्यार में इतनी ठहरी बौनी रह जाती है बेटे की उम्र कि अपने साठसाला पुत्र को भी... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 73 Share Dr MusafiR BaithA 21 Apr 2024 · 2 min read माँ की आँखों में पिता पिता से टूट चुका था तभी सदा के लिये मेरा दुनियावी नाता जबकि अपने छहसाला पुत्र की उम्र में मैं रहा होऊंगा जब अब तो पिता के चेहरे का एक... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 57 Share Dr MusafiR BaithA 21 Apr 2024 · 2 min read माँ का अबोला याद नहीं कि माँ ने कभी अबोला किया हो मुझसे मुझसे भी यह न हुआ कभी बस एक अबोला माँ ने किया अपने जीवन की अंतिम घड़ी में और फोन... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 56 Share Dr MusafiR BaithA 21 Apr 2024 · 1 min read सामान्यजन सामान्यजन की एक पहचान है मेरे पास यदि हम अनचटके में बदल लें अपना घर बार ठौर ठिकाना फोन नम्बर आदि तो उन्हें ढूंढ़ना पड़ता है हमें हमारा घर हमारा... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 54 Share Dr MusafiR BaithA 21 Apr 2024 · 1 min read प्रियजन प्रियजन से इतना अतल तलछटहीन होता है हमारा राग कि आपस में हर व्यापार का मान समलाभ ही आता है इस व्यापार की हर चीज की तौल दिल की पासंगहीन... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 42 Share Dr MusafiR BaithA 21 Apr 2024 · 2 min read बिटिया की जन्मकथा जबकि जिस साल मेरी नई-नई नौकरी लगी थी उसी साल नौकरी बाद आई थी मेरे घर पहली मनचाही संतान भी यानी दो-दो ख़ुशियाँ अमूमन इकट्ठे ही मेरे हाथ लगी थीं... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 74 Share Dr MusafiR BaithA 16 Apr 2024 · 1 min read देवताई विश्वास अंधविश्वास पर एक चिंतन / मुसाफ़िर बैठा विश्वास – अंधविश्वास पर एक चिंतन अल्लाह और पैगंबर हजरत मुहम्मद की कोई फोटो और मूर्ति नहीं है, न ही इनकी नकली मूर्ति बनाकर इनको मानने वाले लोग पूजते हैं।... Hindi · चिंतन 116 Share Dr MusafiR BaithA 6 Apr 2024 · 1 min read घंटीमार हरिजन–हृदय दलित / मुसाफ़िर बैठा जुम्मा जुम्मा आठ दिन भए किरानी से साहब बन बौराया एक सरकारी दफ़्तर का वह हरिजन–हृदय दलित कमरे में बेल लगवा कर और उसे बजा बजा कर बाहर बैठाए गए... Hindi · कविता 102 Share Dr MusafiR BaithA 4 Apr 2024 · 1 min read प्रेमागमन / मुसाफ़िर बैठा पटना में जिस शहर में मैं रहता हूं लाखों लोग रहते हैं वह मीलों चलकर दिनों बाद केवल मुझसे मिलने केवल आया है। Hindi · कविता 61 Share Dr MusafiR BaithA 4 Apr 2024 · 1 min read आदमी और धर्म / मुसाफ़िर बैठा आदमी का उगाया धर्म ज्यों ज्यों बेडौल बढ़ता गया आदमी का अपना कद त्यों त्यों घटता गया धर्म आदमी का मस्तिष्क हर कर बढ़ता है और आदमी है कि धर्म... Hindi · कविता 84 Share Dr MusafiR BaithA 22 Mar 2024 · 1 min read हरी उम्र की हार / मुसाफ़िर बैठा एक हरा पत्ता जो जबरन या जानबूझकर या धोखे से झाड़ दिया गया स्वाभाविकता खोकर अकाल कवलित हो झड़ने की उम्र जैसे नाहक ही पा गया पत्ते के पीले पड़ने... Hindi · कविता 48 Share Dr MusafiR BaithA 20 Mar 2024 · 1 min read पिता की छवि इस धरती पर न जाने कितने बीते पिताओं की कितनी कितनी छवियाँ शेष होंगी गिनती के बाहर होंगी अनगिन होंगी स्थिर छवियाँ होंगी वीडियो में सवाक और चलायमान छवियाँ होंगी... Hindi · कविता 56 Share Dr MusafiR BaithA 20 Mar 2024 · 1 min read खोज सत्य की आरंभिक मनुष्य का आई क्यू काफ़ी कमज़ोर रहा होगा तभी तो उसने प्राकृतिक सत्य की थाह में अलौकिक असत्य सत्य अनेक गढ़ लिए आंधी तूफान, सर्दी गर्मी, धूप छांव, सूखा... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 84 Share Dr MusafiR BaithA 19 Mar 2024 · 1 min read शब्द और दबाव / मुसाफ़िर बैठा मौसम की नमी से मरते नहीं हैं शब्द बल्कि दब जाते हैं दबे रहने पर भी जान बची रह सकती है दबे की जिजीविषा मायने रखती है। Hindi · कविता 132 Share Dr MusafiR BaithA 19 Mar 2024 · 1 min read हरे की हार / मुसाफ़िर बैठा एक हरा पत्ता जो जानबूझकर या धोखे से झाड़ दिया गया झड़े और उम्र पा पीले पड़े पत्ते की गति पाकर अपनी उम्र ना–हक़ असमय ही हार गया। Hindi · कविता 75 Share Dr MusafiR BaithA 19 Mar 2024 · 1 min read खरोंच / मुसाफ़िर बैठा जात भात अलगाकर सदियों से अपना चूल्हा उचका अलग ऊंचा जलाकर वर्णवाद से मुटाए सवर्ण सुई और उसके जनेऊ धागे के बीच दबे हुए हैं दलित हालांकि दलित खुद करघा... Hindi · कविता 1 93 Share Dr MusafiR BaithA 18 Mar 2024 · 1 min read नित्यता सत्य की जीवन अगरचे नित्य सत्य है तो मरण भी अटल अकाट्य सत्य है आँखिन देखी को साखी लो लो अनुभव को प्रमाण तो जीवन मरण के सच से परे धर्म की... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 123 Share Dr MusafiR BaithA 18 Mar 2024 · 1 min read सच की मिर्ची सच है कि राम कृष्ण झूठ है देवी देवता झूठ है अल्ला ईश्वर झूठ है झूठ की खेती है धार्मिक विश्वास सगरे इसके नाम पर मानवी आडंबर सारे, व्यर्थ के... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता · काव्य प्रतियोगिता · सत्य की खोज 3 105 Share Dr MusafiR BaithA 25 Feb 2024 · 1 min read पूछती है कविता पूछती है मेरी यह कविता कि गोमूत पीने की भारतीय सनातनता हद से हद किस काल तक पीछे जाती है? पीछे जाती भी है कि आधुनिक काल में जन्म पाकर... Hindi · कविता 131 Share Dr MusafiR BaithA 25 Feb 2024 · 1 min read *चाचा–भतीजा* / मुसाफ़िर बैठा व्यवस्था उसकी जेब में डेलीगेटेड पड़ी है राजा का वह हमजोली मुंहबोला भतीजा है तीसरे दर्जे का सरकारी नौकर है यह भतीजा मगर दूसरे–पहले दर्जे के अफसर उसको सैल्यूट दागते... Hindi · कविता 81 Share Dr MusafiR BaithA 24 Feb 2024 · 1 min read सवर्ण और भगवा गोदी न्यूज चैनलों की तरह ही सवर्ण गोदी साहित्य सवर्ण और भगवा गोदी न्यूज चैनलों की तरह ही सवर्ण गोदी साहित्यिक दुनिया का भी अपना एक वर्ल्ड और अंडरवर्ल्ड होता है. ~ डा. मुसाफ़िर बैठा उवाच Quote Writer 141 Share Dr MusafiR BaithA 15 Feb 2024 · 1 min read पूजा का भक्त–गणित / मुसाफ़िर बैठा आज पूजित कल विसर्जित लक्ष्मी, काली, दुर्गा, सरस्वती देखा देवियो! भक्त तुम्हारे मतलबी मानुष दूध की मक्खी माना करते उपयोगिता के गणित पर कस अपने जीवन से फेंक निकाला करते... Hindi · कविता 132 Share Dr MusafiR BaithA 14 Feb 2024 · 1 min read किसी पत्थर की मूरत से आप प्यार करें, यह वाजिब है, मगर, किसी किसी पत्थर की मूरत से आप प्यार करें, यह वाजिब है, मगर, किसी जड़ मूर्ति की परस्तिश/पूजा करना मूर्खता है। Quote Writer 150 Share Dr MusafiR BaithA 14 Feb 2024 · 1 min read वेलेंटाइन / मुसाफ़िर बैठा आंबेडकरी–विचारधारा ही मेरी सर्वप्रिय मानसिक खुराक और जीवनसींचक वेलेंटाइन है। Hindi · कविता 184 Share Dr MusafiR BaithA 11 Feb 2024 · 1 min read बहुजनों के हित का प्रतिपक्ष रचता सवर्ण सौंदर्यशास्त्र : बहुजनों के हित का प्रतिपक्ष रचता सवर्ण सौंदर्यशास्त्र : अपने सुख और मौज को व्यक्त करने के लिए सवर्णों ने साहित्य में कथित सौंदर्यशास्त्र ढूंढ़ा। जबकि उनका यह सौंदर्यशास्त्र अक्सर... Quote Writer 176 Share Dr MusafiR BaithA 3 Feb 2024 · 1 min read ब्राह्मणवादी शगल के OBC - by Musafir Baitha मेरे रहवास के इलाक़े में एक मोची की कठघरे में दुकान है। कठघरा जर्जर है, किसी ने अपनी दुकान हटाई तो उसे गिफ्ट कर दिया। उसकी मरम्मत कर-करवाकर वह उसमें... Hindi · संस्मरण 125 Share Dr MusafiR BaithA 2 Feb 2024 · 1 min read सवर्ण, अवर्ण और बसंत वर्णों की इस भारतीय बेमेल दुनिया में कोई सवर्ण है तो कोई अवर्ण सवर्ण यदि बसंत है तो अवर्ण उससे छत्तीस के रिश्ते पर धकेला गया पतझड़ ऋतुओं में तो... Hindi · कविता 71 Share Previous Page 2 Next