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4 May 2024 · 1 min read

मैं धर्मपुत्र और मेरी गौ माँ

गाय मेरी माता है
क्योंकि गाय मुझे
मेरे मरने के बाद
मेरे द्वारा पृथ्वी पर किये गये समस्त
पापों-कुकर्मों को नजरअंदाज़ कर
स्वर्ग के रास्ते में पड़ने वाली
वैतरणी पार कराएगी!
गाय मेरी माता है
क्योंकि वह दूध तो देती है
अपने बछड़ों के लिए लेकिन
उसके दुग्ध पान का हक हिस्सा छीन
मुझे साम-दाम-दंड-भेद में सब
अथवा कोई भी ब्राह्मण चाणक्य नीत
नीति लगाकर
अपने और अपने बच्चों के
हित में लगाना है
गाय मेरी माता है
क्योंकि मुझे उसके दूध से
अपने मिट्टी और पत्थर के
बेजान देवताओं को
नहला कर पाप उच्छेदक
बहुत सा धरम करम फोकट में कमाना है!
गाय मेरी माता है
क्योंकि वह बेजुबान है
और मैं बदगुमान और बेईमान
उसको मैं माँ का नाम दे
चाहे जितना दूह लूँ
दुःख दे लूँ
उसका एवं उसके बच्चों का
शोषण कर लूँ
अपना स्वार्थ उसके हित को छीन
चाहे जितना भी सघन बना लूँ
मेरा कौन बिगाड़ने वाला?
मेरे साथ तो धर्म का हाथ है
वह लम्बा हाथ जो पक्का
कानून के हाथ से भी बड़ा होता है!
कोई जीव-जानवर प्रेमी एक्टिविस्ट हितचिन्तक भी
मेरी इस बेचारी माँ की रक्षा में आगे
नहीं आगे आ सकता
क्योंकि धर्म की बलिवेदी पर
इस माँ के दूध का क्षुद्र न्योछावर
मुझ अत्यंत हिसाबी भक्त-पुत्र द्वारा
सतत किया जाना तय है!

Language: Hindi
22 Views
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