Anis Shah Language: Hindi 167 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 Next Anis Shah 2 May 2019 · 1 min read किसी दिलगीर को थोड़ा हँसा देता तो अच्छा था किसी दिलगीर को थोड़ा हँसा देता तो अच्छा था। किसी की आंख से आंसू चुरा लेता तो अच्छा था।। गुज़ारी बंदिशों में ज़िंदगी तो ये समझ आया परिंदे कैद है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 218 Share Anis Shah 1 May 2019 · 1 min read जेह् न में कैद किया तुझको तज़क्कुर करके ग़ज़ल - (बह्र-रमल मुसम्मन मख़्बून महज़ूफ) ज़ेह्न में कैद किया तुझको तज़क्कुर* करके।(स्मरण) अब तो कर लेता हूँ दीदार तसव्वुर* करके।।(कल्पना) जिंदगी रब ने अता की है मुहब्बत के लिए।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 236 Share Anis Shah 25 Apr 2019 · 1 min read आतिशे इश्क जो जलती है तो जल जाने दे ग़ज़ल - (बह्र - रमल मुसम्मन मख़्बून महज़ूफ) आतिशे इश्क जो जलती है तो जल जाने दे। जो हया की है जमी बर्फ़ पिघल जाने दे।। प्यार का अब्र है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 324 Share Anis Shah 25 Apr 2019 · 1 min read ज़िन्दगी के इम्तिहानों से अगर जो डर गया : बह्र - रमल मुसम्मन महज़ूफ ग़ज़ल - - जिंदगी के इम्तिहानों से अगर जो डर गया। मौत के आने से पहले ही वो समझो मर गया।। जह्र ये तनक़ीद... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 267 Share Anis Shah 13 Apr 2019 · 1 min read तेरी बातों में सच्चाई नहीं है ग़ज़ल (बह्र-हज़ज मुसद्दस महज़ूफ) तेरी बातों में सच्चाई नहीं है। कि मुझमें कुछ भी अच्छाई नहीं है।। यकीं कैसे दिलायेगा तू ख़ुद को। तेरा दिल मेरा शैदाई नहीं है।। दिया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 257 Share Anis Shah 13 Feb 2019 · 1 min read जब जियादा चढाव होता है ग़ज़ल - जब जियादा चढाव होता है। रास्तों में घुमाव होता है।। हो ही जाता है दूर लोगों से। तेज जिसका भी भाव होता है।। पेड़ आँंधी में वो बचे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 201 Share Anis Shah 11 Feb 2019 · 1 min read गीत भॅवरों ने गुनगुनाए हैं ग़ज़ल- गीत भॅवरों ने गुनगुनाए हैं।। चार सू फूल मुस्कराये हैं।। शम्स(सूरज) ने सर उठाया है ज्यों ही। चाॅद तारें भी मुंह छिपाये हैं।। रातरानी लुटा चुकी खुश्बू। आज महकी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 235 Share Anis Shah 4 Feb 2019 · 1 min read तू सुकूं दिल का मेरे तू ही तो ग़मे दिल है तू सुकूं दिल का मेरे तू ही तो ग़मे दिल है। तू मसीहा है मेरा और तू ही का़तिल है।। जिस तरफ देखता हूं तेरा ग़ुमां होता है। इस तरह... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 334 Share Anis Shah 29 Jan 2019 · 1 min read घर मेरा छीन कर मुझे बेघर तो कर दिया ग़ज़ल - - घर मेरा छीन कर मुझे बेघर तो कर दिया। अब शुक्रिया तेरा है कलंदर तो कर दिया।। तू हाथ भी न थाम सका डूब जब रहा। एहसान... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 223 Share Anis Shah 16 Jan 2019 · 1 min read सफ़र अनजान राहों का मुझे कोई तो रहबर दे बह्र-हज़ज मुसम्मन सालिम ग़ज़ल सफ़र अनजान राहों का मुझे कोई तो रहबर दे। भटकता दर-ब-दर हूं कोई चौखट दे कोई दर दे।। तू अपनी रहमतों का अब्र बरसा दे ख़ुदा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 338 Share Anis Shah 7 Jan 2019 · 1 min read वो चाहता है उसे मैं भी लाजवाब कहूँ। बह्र--रमल मुसम्मन मक़बून महज़ूफ ग़ज़ल - 1212 1122 1212 22 वो चाहता है उसे मैं भी लाजवाब कहूँ। किसी चराग़ को कैसे मैं आफताब कहूं।। वो गुलबदन है ज़ुबां पर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 265 Share Anis Shah 4 Jan 2019 · 1 min read सारे फ़रेबियों को वफ़ादार कह रहे बह्र - मज़ारे मक्कूफ मक्कूफ महजूफ ग़ज़ल सारे फ़रेबियों को वफ़ादार कह रहे। जो हैं शरीफ उनको तो मक्कार कह रहे।। वादा निभाया हमने नहीं कौन सा हुजूर। जो बार... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 171 Share Anis Shah 5 Dec 2018 · 1 min read और बैचेन हूँ मैं सता कर उसे ग़ज़ल - बह्र- (मुतदारिक मुसम्मन सालिम) और बैचेन हूँ मैं सता कर उसे । मैं भी रोया बहुत हूँ रुला कर उसे ।। मैं बदलता रहा करवटें रात भर। सो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 203 Share Anis Shah 1 Dec 2018 · 1 min read किसान हूँ हाँ किसान हूँ मैं बह्र-मुतक़ारिब मक़बूज असलम ग़ज़ल सितम करो तुम या ज़ुल्म ढाओ, सहूंगा सब बेज़ुबान हूं मैं। मुझे सभी कहते अन्नदाता,किसान हूं हां किसान हूं मैं।। कभी है सूखा कभी है बारिस,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 448 Share Anis Shah 23 Nov 2018 · 1 min read एक तूफान दिल में मचलने लगा बह्र-मुतदारिक मुसम्मन सालिम ग़ज़ल एक तूफान दिल में मचलने लगा। यूं लगा जैसे मौसम बदलने लगा।। आपने प्यार से जो निहारा हमें। ख़्वाब आँखों में फिर एक पलने लगा।। आपके... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 263 Share Anis Shah 21 Nov 2018 · 1 min read नात ए पाक नात ए पाक तमन्ना हाज़िरी की एक मुद्दत से है सीने में बुला लीजै मेरे आक़ा मुझे भी अब मदीने में।। बनाते है ग़ुलामों का मुक़द्दर भी मेरे आक़ा। ग़ुलामी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 4 397 Share Anis Shah 15 Nov 2018 · 1 min read दिल अगर करने लगे प्यार ग़ज़ल होती है बहर-रमल मुसम्मन मक़बून महज़ूफ ग़ज़ल दिल अगर करने लगे प्यार ग़ज़ल होती है। ग़म से कोई हो जो बेज़ार ग़ज़ल होती है।। दर्द जब हद से गुज़र जाये अगर सीने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 221 Share Anis Shah 2 Nov 2018 · 1 min read शे'र शे'र कहा उसने कि अपने शे'र का मफ़हूम समझाओ। तो मैं अश्आर लेकर बज़्म से बाहर निकल आया।। ******* ---अनीश शाह अगर शमशीर हमने म्यान में रक्खी नहीं होती ।... Hindi · मुक्तक 3 249 Share Anis Shah 2 Nov 2018 · 1 min read बदलेगी किसी दिन तो तक़दीर हमारी भी ग़ज़ल - (बह्र - - हज़ज मुसम्मन अख़रव मक्फूफ़ मक्फूफ़मुख़न्नक) बदलेगी किसी दिन तो तकदीर हमारी भी। अख़बार में भी होगी तस्वीर हमारी भी।। अब वाह भी पायेंगे और दाद... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 241 Share Anis Shah 1 Nov 2018 · 1 min read तभी तो माँ बनाई है ग़ज़ल - - करम तेरा ख़ुदा हम पर ये तेरी ही ख़ुदाई है। तेरा दीदार नामुमकिन तभी तो मांँ बनाई है।। बनाया है अगर वालिद को जन्नत का जो दरवाजा।... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 6 42 553 Share Anis Shah 6 Oct 2018 · 1 min read लोग हमको सही नहीं कहते ग़ज़ल (बह्र - खफीफ़ मुसद्दस मख़बून) लोग हमको सही नहीं कहते। इसलिए तो खरी नहीं कहते।। जो चुभे तंज़ सा किसी को तो। फिर उसे दिल्लगी नहीं कहते।। काम औरों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 1 213 Share Anis Shah 2 Oct 2018 · 1 min read रदीफ हूँ मैं फ़कत और काफ़िया तू है ग़ज़ल (बह्र - मुजतस मुसम्मन मकबून महज़ूफ) रदीफ हूँ मैं फ़कत और काफिया तू है। मेरी ग़ज़ल है मुकम्मल जो ज़ाविया तू है।। ये मयकशी में बड़ा लुत्फ़ आ रहा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 896 Share Anis Shah 1 Oct 2018 · 1 min read अपने दिल के करीब हो कोई ग़ज़ल (बह्र - ख़फीफ मुसद्दस मख़बून) अपने दिल के करीब हो कोई। एक ऐसा हबीब हो कोई।। जख़्म देकर लगाये ख़ुद मरहम। ऐसा भी तो रकीब हो कोई।। जो चमन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 306 Share Anis Shah 27 Sep 2018 · 1 min read खुशी मिलें कि मिलें ग़म मुझे मलाल नही ग़ज़ल (बह्र-मुजतस मुशम्मन मख़बून महज़ूफ) खुशी मिले कि मिले ग़म मुझे मलाल नही। ये फैसले है मेरे रब के तो सवाल नही।। हवाए भी हो मुख़ालिफ रवानी में मौज़े। करें... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 570 Share Anis Shah 17 Sep 2018 · 1 min read अभी आया हूँ अपने चाक दामन को रफू करके ग़ज़ल - (बह्र - हज़ज मुसम्मन सालिम) अभी आया हूं अपने चाक दामन को रफू करके। है छोड़ा मुफ़लिसी ने यूं मुझे बेआबरू करके।। दुखी ख़ुद को बनाया है खुशी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 462 Share Anis Shah 12 Sep 2018 · 1 min read बिषैली सी हवाएं हैं वतन में ग़ज़ल-(बह्र - हज़ज मुसद्दस महज़ूफ) बिषैली सी हवाएं हैं वतन में। है घोला ज़ह्र यूं गंगो-जमन में।। क़फ़स में ही लगे महफूज़ रहना। परिंदे अब नहीं उड़ते गगन में।। लुटेगा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 219 Share Anis Shah 5 Sep 2018 · 1 min read है शिक्षक ही जो दीपक की तरह दिन रात जलता है मुसलसल ग़ज़ल बह्र-हजज़ मुसम्मन सालिम है शिक्षक ही जो दीपक की तरह दिन रात जलता है। न जाने कितने सीनों के अँधेरों को निगलता है।। तराशे है कि हुनर की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 324 Share Anis Shah 4 Sep 2018 · 1 min read सरे-बाज़ार मैं आराम की बोली लगाता हूँ ग़ज़ल बह्र-हज़ज मुसम्मन सालिम सरे-बाज़ार में आराम की बोली लगाता हूँ। तभी जाकर कहीं दो वक़्त की रोटी कमाता हूँ।। अंधेरों से रहे महफूज़ घर मेरा इसी खातिर। लहू से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 239 Share Anis Shah 28 Aug 2018 · 1 min read मेरा महबूब अपने हाथ में ख़ंजर लिये बैठा बह्र-हज़ज मुसम्मन सालिम ग़ज़ल मेरा महबूब अपने हाथ में ख़ंजर लिये बैठा। तो मैं भी हाथ में अपने ये अपना सर लिये बैठा।। करूं कैसे भला मैं प्यार का इजहार... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 216 Share Anis Shah 23 Aug 2018 · 1 min read आप यूं ही खराब कहते हैं बहर्-ख़फ़ीफ़ मुसद्दस मख्बून ग़ज़ल आप यूं ही ख़राब कहते हैं।। लोग मुझको नवाब कहते हैं।। ढूढ़ते हो जवाब क्यों मेरा। सब मुझे लाजवाब कहते हैं।। बेरुख़ी ये अजीब चुभती है।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 208 Share Anis Shah 20 Aug 2018 · 1 min read घर निगाहों से कहीं तेरी उतर जाऊंगा बह्र-रमल मुसम्मन मक़बून मसजूफ़ ग़ज़ल गर निगाहों से कहीं तेरी उतर जाऊॅगा। हो गया तेरा जो मुजरिम तो मैं मर जाऊॅगा।। मैं तो बेघर हूं नही और ठिकाना कोई। तूने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 183 Share Anis Shah 13 Aug 2018 · 1 min read देखा न किसी ने कल ये आज तो अच्छा है। देखा न किसी ने कल ये आज तो अच्छा है। अंजा़म खुदा जाने आगा़ज तो अच्छा है।। रुतवा भी बढ़ाता है शुहरत भी दिलाता ये। कांटों से भरा तो क्या... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 368 Share Anis Shah 30 Jul 2018 · 1 min read ये यार तेरा साथ निभाने का का शुक्रिया ग़ज़ल (बह्र-मज़ारे मुसम्मन अख़रब मक्फूफ़ मक्फूफ़ महज़ूफ ऐ यार मेरा साथ निभाने का शुक्रिया। दो ग़ज ज़मीन में भी दबाने का शुक्रिया।। तूने किया फ़रेब मेरी आंख खुल गई। मैं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 579 Share Anis Shah 25 Jul 2018 · 1 min read यूं मेरी वफ़ाओं का इन'आम दिया तूने ग़ज़ल - (बह्-हज़ज मुसम्मन अख़रब सालिम) यूं मेरी वफ़ाओं का इन'आम दिया तूने। मैं छोड़ू शहर तेरा पैग़ाम दिया तूने।। क्या इसमें मिलाया है तूने ये मेरे साक़ी। जो नाम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 176 Share Anis Shah 4 Jul 2018 · 1 min read ग़ज़ल हो जाये बह्र-रमल मुसम्मन मख़बून महजूफ़ 2122 1122 1122 22 मेरे मौला यूं तेरा मुझपे फ़ज़ल हो जाये। मैं अगर लफ़्ज भी छू लू तो ग़ज़ल हो जाये।। मेरे हाथों में हुनर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 353 Share Anis Shah 21 Jun 2018 · 1 min read करे वो राज भला कैसे आसमानों में बह्र-मुजतस मुसम्मन मख़बून महज़ूफ ग़ज़ल करे वो राज भला कैसे आसमानों में। यक़ीं नहीं है जिसे अपनी ही उड़ानों में।। ये जंग फ़त्ह तुझे करना पड़ेगी अब तो। जो चाहता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 257 Share Anis Shah 12 Jun 2018 · 1 min read हिंदू तू हो गया मैं मुसलमान हो गया बह्र-मजारे अख़रव मक्फ़ूफ़ मक्फ़ूफ़ महजूफ़ वज़्न-221 2121 1221 212 ग़ज़ल हिंदू तू हो गया मैं मुसलमान हो गया। वो आदमी कमाल जो इंसान हो गया।। क्या खूब नाम हमने तो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 285 Share Anis Shah 13 May 2018 · 1 min read पैरों तले मां के ये जन्नत भी बनाई है ग़ज़ल बह्र-हज़ज मुसम्मन सालिम वज़्न-1222 1222 1222 1222 करम तेरा ख़ुदा हम पर ये तेरी ही ख़ुदाई है। तेरा दीदार नामुमकिन तो तूने मांँ बनाई है।। बनाया है अगर वालिद... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 434 Share Anis Shah 3 May 2018 · 1 min read ज़िन्दगी को चला रहा पानी वज़्न-2122 1212 22 *मुसलसल ग़ज़ल* ज़िंदगी को चला रहा पानी। बेसबब ही बहा दिया पानी।। कैसे जीवन बचेगा बसुधा पर। गर ज़मीं पर नही रहा पानी।। सूखी नदियां हैं सूखे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 294 Share Anis Shah 16 Apr 2018 · 1 min read रहबर मार डालेगा बह्र-हज़ज मुसम्मन सालिम वज्न-1222 1222 1222 1222 ग़ज़ल बड़ा ही कातिलाना हुस्ने दिलबर मार डालेगा। गज़ब ढाता सितम मुझ पर सितमगर मार डालेगा।। ज़रा सी बात पर तुमने कहा है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 335 Share Anis Shah 19 Mar 2018 · 1 min read तेरे रुख़ का शबाब कहते है बहर्-ख़फ़ीफ़ मुसद्दस मख्बून वज्न- 2122 1212 22 * *ग़ज़ल* * सब जिसे माहताब कहते हैं। तेरे रुख़ का शबाब कहते हैं।। बर्ग-ए-गुल सी है नाजुकी उनकी। हम लबों को गुलाब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 313 Share Anis Shah 10 Mar 2018 · 1 min read ये मेरी संगनी मापनी--212 212 212 212 जिंदगी है मेरी गर मधुर यामिनी। चांद हूं सिर्फ मैं तुम मेरी चांदनी।। दीप मैं बन सका जब बनी ज्योति तुम । और तुमसे हुई राह... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 608 Share Anis Shah 7 Mar 2018 · 1 min read मुझसे ख़फा होकर ग़ज़ल-(बहर्-हज़ज़ मुसम्मन सालिम) वज्न-1222 1222 1222 1222 अरकान-मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन ****** ज़रा सी बात पर तुम जा रहे मुझसे ख़फा होकर। बताओ तो सही जी पाओगे मुझसे ज़ुदा होकर।।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 471 Share Anis Shah 5 Feb 2018 · 1 min read मुकद्दर यूं बनाया है ग़ज़ल -- बहर-1222 1222 1222 1222 (1222*4)चार मुफाईलुन (बहर-हज़ज) हमारी प्यास को दो बूंद पानी ने सताया है। तलब ने फिर लबों तक ये समंदर ही बुलाया है।। नजूमी ने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 309 Share Anis Shah 29 Dec 2017 · 1 min read मैं हूं तुम्हारें आसपास(नब बर्ष ग्रीटिंग) तुम सोई होगीं,मीठे सपनों में खोई होगीं। उतरेंगी आसमां से नये बर्ष की किरणें, और चूम लेगीं तुम्हारें गालों को। पाकर गर्माहट, तुम घबरा कर। जाओगी आइने के पास। देखोगी... Hindi · कविता 279 Share Anis Shah 9 Dec 2017 · 1 min read भावान्तरके भाव में उलझा किसान है मुसल्सल ग़ज़ल - (बह्र - मज़ारे मुसम्मन मक्फूफ़ मक्फूफ़ महज़ूफ) माता बना के तुझको बनाया महान है। धरती माँ देख कितना परेशां किसान है।। सूखे से जूझता कभी ओलों की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 605 Share Anis Shah 2 Dec 2017 · 1 min read ईद मीलाद-उन नबी पर नात ए पाक दुनिया की अंगूठी में है नायाब नगीना। शहरो में शहर आला शहर शहरे-मदीना।। दिन रात बरसती हैं रहमतों की बदलियां। रहता है नेमतों से सराबोर मदीना।। महकी हुई है आज... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 346 Share Anis Shah 29 Nov 2017 · 1 min read रहवर ही लूटते हो जब रहजन बनकर तेरी जुदाई पड़ी पीछे दुश्मन बनकर। कुछ और मुझको प्यार दो साजन बनकर।। तुम साथ नही हो तो बेदम है जिंदगी। तुम दिल में धड़कते हो धड़कन बनकर।।।। ये और... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 273 Share Anis Shah 4 Nov 2017 · 1 min read आतिशे इश्क से है गुजरना मुझे ग़ज़ल-(बहर्-मुतदारिक मुसम्मन सालिम) मापनी-212 212 212 212 #### आतिशे इश्क़ से है गुज़रना मुझे।। अब जो कुंदन सा भी तो निख़रना मुझे।। गेसुओं में ये गजरा सजा लीजिए। बन के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 506 Share Anis Shah 31 Oct 2017 · 1 min read *नज़्म* (श्रीमती इंदिरा गांधी जी की पुण्यतिथी पर ) जो गुल गुलशन की शोभा बढ़ा रहा है। अफ़सोस बागवां ही उसको लुटा रहा है।। वो दास्तान -ए- गुल भंवरे गा रहे है । वो गुल सारेजहां में "इंदिरा" कहा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 391 Share Previous Page 3 Next