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बहुत उम्दा नात है। जनाब मुबारकबाद क़बूल करें।

“ग़ुलामी चाहिए उनकी नहीं है लुत्फ़ जीने में’
इस मिसरे को यूं कर लें तो बेहतर होगा..
ग़ुलामी चाहिए उनकी यहीं अब ज़ौक़ सीने में।
उनकी नहीं एक साथ पढ़ने में अर्थ में बाधा हो जा रही है।

22 Nov 2018 11:46 AM

आदरणीय आपकी रचना सराहनीय है कृपया आप हमें वोट करने की कृपा कीजिए रचनाकार नहीं कोई भी रचना बड़ी होती है और माॅ से जैसे विषय पर लिखी रचना को आपका प्रोत्साहन मिलना जरूरी है विनम्र निवेदन कृपया अपने वोट का आशीर्वाद प्रदान करें। आशा है आपका वोट अवश्य प्राप्त होगा धन्यवाद आदरणीय ‘‘बस तेरा ही जयकारा है’’

क्या बात है. सुन्दर रचना अनीश भाई. मेरी रचना ” हे मां तुम्हे नमन है” पढ़े और अच्छी लगे तो वोट अवश्य करें. अग्रिम धन्यवाद

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