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4 Jan 2019 · 1 min read

सारे फ़रेबियों को वफ़ादार कह रहे

बह्र – मज़ारे मक्कूफ मक्कूफ महजूफ
ग़ज़ल
सारे फ़रेबियों को वफ़ादार कह रहे।
जो हैं शरीफ उनको तो मक्कार कह रहे।।

वादा निभाया हमने नहीं कौन सा हुजूर।
जो बार बार तुम हमें सरकार कह रहे।।

महफूज़ है कली न गुलों पर निखार है।
फिर भी चमन को आप तो गुलज़ार कह रहे।।

कैसे बचेगा फ़न का भी मेयार अब यहां।
जब तुम मदारियों को ही फ़नकार कह रहे।।

सच का गुमान होने लगेगा हमें “अनीश” ।
क्यों झूठ हमसे आप लगातार कह रहे।।
———अनीश शाह

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