Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Aug 2018 · 1 min read

आप यूं ही खराब कहते हैं

बहर्-ख़फ़ीफ़ मुसद्दस मख्बून
ग़ज़ल
आप यूं ही ख़राब कहते हैं।।
लोग मुझको नवाब कहते हैं।।

ढूढ़ते हो जवाब क्यों मेरा।
सब मुझे लाजवाब कहते हैं।।

बेरुख़ी ये अजीब चुभती है।
क्या इसी को अज़ाब कहते हैं।।

हम ज़फा का सिला वफ़ा देगें
हम इसी को हिसाब कहते हैं।।

नींद आंखों से छीन लेते जो।
बस उन्हीं को ख़्वाब कहते हैं।।

कह दिया था ” अनीश ” जो तुमने।
नाम को अब खिताब कहते हैं।।
*******
अज़ाब=सजा।ज़फा=अन्याय।

205 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मैं पलट कर नही देखती अगर ऐसा कहूँगी तो झूठ कहूँगी
मैं पलट कर नही देखती अगर ऐसा कहूँगी तो झूठ कहूँगी
ruby kumari
1) आखिर क्यों ?
1) आखिर क्यों ?
पूनम झा 'प्रथमा'
हम सनातन वाले हैं
हम सनातन वाले हैं
Shyamsingh Lodhi Rajput (Tejpuriya)
मजबूरियां थी कुछ हमारी
मजबूरियां थी कुछ हमारी
gurudeenverma198
कोई चाहे तो पता पाए, मेरे दिल का भी
कोई चाहे तो पता पाए, मेरे दिल का भी
Shweta Soni
ମଣିଷ ଠାରୁ ଅଧିକ
ମଣିଷ ଠାରୁ ଅଧିକ
Otteri Selvakumar
आपकी क्रिया-प्रतिक्रिया ही आपकी वैचारिक जीवंतता
आपकी क्रिया-प्रतिक्रिया ही आपकी वैचारिक जीवंतता
*प्रणय प्रभात*
माँ तेरे चरणों मे
माँ तेरे चरणों मे
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
.*यादों के पन्ने.......
.*यादों के पन्ने.......
Naushaba Suriya
तुम जिंदा हो इसका प्रमाड़ दर्द है l
तुम जिंदा हो इसका प्रमाड़ दर्द है l
Ranjeet kumar patre
"शीशा और रिश्ता"
Dr. Kishan tandon kranti
रिश्ते
रिश्ते
पूर्वार्थ
***
***
sushil sarna
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
దేవత స్వరూపం గో మాత
దేవత స్వరూపం గో మాత
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
Prapancha mahila mathru dinotsavam
Prapancha mahila mathru dinotsavam
jayanth kaweeshwar
*मधुमास में मृदु हास ही से, सब सुवासित जग करें (गीत)*
*मधुमास में मृदु हास ही से, सब सुवासित जग करें (गीत)*
Ravi Prakash
“बेवफा तेरी दिल्लगी की दवा नही मिलती”
“बेवफा तेरी दिल्लगी की दवा नही मिलती”
Basant Bhagawan Roy
मैं खुशियों की शम्मा जलाने चला हूॅं।
मैं खुशियों की शम्मा जलाने चला हूॅं।
सत्य कुमार प्रेमी
यूँ ही नही लुभाता,
यूँ ही नही लुभाता,
हिमांशु Kulshrestha
दीवाने खाटू धाम के चले हैं दिल थाम के
दीवाने खाटू धाम के चले हैं दिल थाम के
Khaimsingh Saini
सादगी
सादगी
राजेंद्र तिवारी
12- अब घर आ जा लल्ला
12- अब घर आ जा लल्ला
Ajay Kumar Vimal
वनिता
वनिता
Satish Srijan
24/247. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/247. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
छह घण्टे भी पढ़ नहीं,
छह घण्टे भी पढ़ नहीं,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
प्रयास सदैव उचित और पूर्ण हो,
प्रयास सदैव उचित और पूर्ण हो,
Buddha Prakash
आपके स्वभाव की सहजता
आपके स्वभाव की सहजता
Dr fauzia Naseem shad
dr arun kumar shastri -you are mad for a job/ service - not
dr arun kumar shastri -you are mad for a job/ service - not
DR ARUN KUMAR SHASTRI
,,,,,,,,,,,,?
,,,,,,,,,,,,?
शेखर सिंह
Loading...