मेरा विषय साहित्य नहीं है
मुश्किलों में उम्मीद यूँ मुस्कराती है
25-बढ़ रही है रोज़ महँगाई किसे आवाज़ दूँ
वो एक ही मुलाकात और साथ गुजारे कुछ लम्हें।
आलोचक-गुर्गा नेक्सस वंदना / मुसाफ़िर बैठा
बचे जो अरमां तुम्हारे दिल में
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए
सिनेमा,मोबाइल और फैशन और बोल्ड हॉट तस्वीरों के प्रभाव से आज
जाने क्या-क्या कह गई, उनकी झुकी निग़ाह।
*स्वामी विवेकानंद* 【कुंडलिया】
Khahisho ke samandar me , gote lagati meri hasti.