Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Apr 2019 · 1 min read

आतिशे इश्क जो जलती है तो जल जाने दे

ग़ज़ल – (बह्र – रमल मुसम्मन मख़्बून महज़ूफ)

आतिशे इश्क जो जलती है तो जल जाने दे।
जो हया की है जमी बर्फ़ पिघल जाने दे।।

प्यार का अब्र है बेताब बरसने दे इसे।
मैं तो मिट्टी हूं मुझे गलना है गल जाने दे।।

प्यार के फूल खिले दिल में महकती साँसें।
दिल का मौसम जो बदलता है बदल जाने दे।।

तूने बरषों से दबा रक्खे हैं जो सीने में।
अब मचलते हैं ये ज़ज़्बात मचल जाने दे।।

शम्अ उल्फत की जलाई है जलाये रखना।
आज परवाने को जलना है तो जल जाने दे।।

आरजू है कि तेरे पहलू में मौत आये अनीस।
निकले बाहों में तेरी दम तो निकल जाने दे।।

– © अनीस शाह “अनीस”

1 Like · 322 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
!! शब्द !!
!! शब्द !!
Akash Yadav
यह दुनिया है जनाब
यह दुनिया है जनाब
Naushaba Suriya
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
पूर्वार्थ
मैं कभी किसी के इश्क़ में गिरफ़्तार नहीं हो सकता
मैं कभी किसी के इश्क़ में गिरफ़्तार नहीं हो सकता
Manoj Mahato
दोस्ती से हमसफ़र
दोस्ती से हमसफ़र
Seema gupta,Alwar
क्यूँ इतना झूठ बोलते हैं लोग
क्यूँ इतना झूठ बोलते हैं लोग
shabina. Naaz
हारिये न हिम्मत तब तक....
हारिये न हिम्मत तब तक....
कृष्ण मलिक अम्बाला
हम दुसरों की चोरी नहीं करते,
हम दुसरों की चोरी नहीं करते,
Dr. Man Mohan Krishna
कुछ परिंदें।
कुछ परिंदें।
Taj Mohammad
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*कहर  है हीरा*
*कहर है हीरा*
Kshma Urmila
धनतेरस के अवसर पर ,
धनतेरस के अवसर पर ,
Yogendra Chaturwedi
*थर्मस (बाल कविता)*
*थर्मस (बाल कविता)*
Ravi Prakash
पहले तेरे हाथों पर
पहले तेरे हाथों पर
The_dk_poetry
"सबक"
Dr. Kishan tandon kranti
महाराणा सांगा
महाराणा सांगा
Ajay Shekhavat
(24) कुछ मुक्तक/ मुक्त पद
(24) कुछ मुक्तक/ मुक्त पद
Kishore Nigam
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के 4 प्रणय गीत
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के 4 प्रणय गीत
कवि रमेशराज
जीवन दर्शन
जीवन दर्शन
Prakash Chandra
सुनी चेतना की नहीं,
सुनी चेतना की नहीं,
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
ये खुदा अगर तेरे कलम की स्याही खत्म हो गई है तो मेरा खून लेल
ये खुदा अगर तेरे कलम की स्याही खत्म हो गई है तो मेरा खून लेल
Ranjeet kumar patre
मेरी कलम
मेरी कलम
Shekhar Chandra Mitra
#लघुकथा-
#लघुकथा-
*प्रणय प्रभात*
वृक्षों के उपकार....
वृक्षों के उपकार....
डॉ.सीमा अग्रवाल
.........?
.........?
शेखर सिंह
2863.*पूर्णिका*
2863.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जीवन तब विराम
जीवन तब विराम
Dr fauzia Naseem shad
मुझे लगता था —
मुझे लगता था —
SURYA PRAKASH SHARMA
वर्दी (कविता)
वर्दी (कविता)
Indu Singh
मेरी ज़िंदगी की हर खुली क़िताब पर वो रंग भर देता है,
मेरी ज़िंदगी की हर खुली क़िताब पर वो रंग भर देता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...