Mamta Singh Devaa Language: Hindi 444 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Mamta Singh Devaa 18 Mar 2024 · 1 min read जीवन से पहले या जीवन के बाद जीवन से पहले या जीवन के बाद इन दोनों का हमेशा से आपस में गहरा मेल है दोनों ही परिस्थितियों में शरीर नहीं रहता सब आत्मा का खेल है ,... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · आत्मा · जीवन · मृत्यु · शरीर · सांस 7 4 129 Share Mamta Singh Devaa 3 Feb 2024 · 1 min read मुझ जैसा रावण बनना भी संभव कहां ? प्रभु श्री राम बनना असंभव है मुझ जैसा रावण बनना भी संभव कहां ? कुछ अवगुण थे मेरे अंदर सौ गुण थे भर भर कर , वो गुण अपने अंदर... Poetry Writing Challenge-2 · अहंकार · कर्म · मर्यादापुरूषोत्तम · राम · रावण 128 Share Mamta Singh Devaa 3 Feb 2024 · 1 min read कोई मुरव्वत नहीं सपने जो डराते हैं उन्हें टूटने दो रिश्ते जो सताते हैं उन्हें छूटने दो , बेवजह जो उलझते हैं उन्हें कटने दो नाहक जो अकड़ते हैं उन्हें लचकने दो ,... Poetry Writing Challenge-2 · ईमान · झूठ · मुरव्वत · रिश्ते · सपने 2 2 131 Share Mamta Singh Devaa 3 Feb 2024 · 1 min read कुछ बातें ज़रूरी हैं अच्छी मीठी बातें तो सब करते हैं पर अच्छी सोच रखना ज़रूरी है , कमी तो पीछे हर कोई गिनाता है पर कमी को सामने से बताना ज़रूरी है ,... Poetry Writing Challenge-2 · कमी · ग़लतफहमी · जलन · तारीफ़ · बातें 1 130 Share Mamta Singh Devaa 3 Feb 2024 · 1 min read मैं भी डरती हूॅं हां ! सच कहती हूॅं सच में मैं भी डरती हूॅं , मेरे स्वभाव पर मत जाना मेरे रूआब पर मत जाना , सबके पास नहीं आती हूॅं सबके पास... Poetry Writing Challenge-2 · अजनबी · अज़ीज़ · डर · रूआब · स्वभाव 1 132 Share Mamta Singh Devaa 3 Feb 2024 · 1 min read अपनी सोच का शब्द मत दो किसी ने प्रेम लिखा पर उसका दांपत्य जीवन दुखों से भरा था लोगों ने उसके लेखन से उसका चरित्र तौल दिया , किसी ने दर्द लिखा सच में उसको अपनों... Poetry Writing Challenge-2 · आलोचना · चरित्र · तराज़ू · प्रेम · लेखन 153 Share Mamta Singh Devaa 3 Feb 2024 · 1 min read यक्ष प्रश्न एक प्रश्न कौंधा है मन के कोने में सोच रहीं हूॅं पूछ कर मन हल्का कर लेती हूॅं , प्रश्न विचारणीय है और बड़ा भी सबके सामने अपने चिन्ह के... Poetry Writing Challenge-2 · काबिलियत · किताबें · प्रकाशक · यक्ष प्रश्न · विचारणीय 122 Share Mamta Singh Devaa 3 Feb 2024 · 1 min read बेटियां / बेटे बेटियां फ़र्ज़ निभाती रहीं बेटे हक़ जताते रहे , बेटियां दुःख-दर्द संभालती रहीं बेटे वसीयतें बनवाते रहे , बेटियां अपना हक़ भाई को दे देती रहीं बेटे भाई के आधे... Poetry Writing Challenge-2 · ख़ानदान · बिटिया · बेटियां · बेटे · लड़के 1 201 Share Mamta Singh Devaa 3 Feb 2024 · 1 min read इंसान ऐसा ही होता है इंसान इतना ख़ुदग़र्ज़ है कि ताली एक हाथ से बजा सकता तो अपने दूसरे हाथ को बहुत आसानी से नकार देता , इसकी फितरत तो देखो बस उगते सूरज को... Poetry Writing Challenge-2 · इंसान · ख़ुदग़र्ज़ · चालाकी · मौकापरस्त · वफ़ादार 191 Share Mamta Singh Devaa 2 Feb 2024 · 1 min read मुराद मेरा भी मन करता है कि मैं ऑफिस जाऊं , कोई मेरे लिए टिफिन बनाए और मैं स्वाद लेकर खाऊं , मेरे पीछे भी कोई दरवाज़े तक दौड़ा आए ,... Poetry Writing Challenge-2 · ऑफिस · जनम · पुरुष · मुराद · स्त्री 156 Share Mamta Singh Devaa 2 Feb 2024 · 2 min read प्यार की कलियुगी परिभाषा प्यार कभी भी सिर्फ प्यार नहीं होता है थोड़ा प्यार और ज्यादा स्वार्थ होता है , सुबह गरम चाय की प्याली मिल जाये बिस्तर पर ही खाने की थाली मिल... Poetry Writing Challenge-2 · चक्रव्यूह · दिल · परिभाषा · प्यार · रोबोट 169 Share Mamta Singh Devaa 1 Feb 2024 · 1 min read खरी - खरी मेरे खरे पर सब ख़ाक हो जाते हैं सच सुन के जल कर राख हो जाते हैं , अपने कहे को ज्यादातर नकार जाते हैं सारा झूठ चुटकियोंं में डकार... Poetry Writing Challenge-2 · झूठ · माया · मेहनत · सच · हुनर 1 169 Share Mamta Singh Devaa 1 Feb 2024 · 1 min read औरतें ऐसी ही होती हैं औरतें मन से टूट कर भी अपनों का सहती हैं , औरतें ज़िंदा रहकर भी अपनों के लिए मरती हैं , औरतें भूखी रहकर भी अपनों को पेट भरा है... Poetry Writing Challenge-2 · औरतें · गालियां · ज़िंदा · मंत्र · वसीयत 217 Share Mamta Singh Devaa 1 Feb 2024 · 1 min read स्त्रीलिंग...एक ख़ूबसूरत एहसास स्त्रीलिंग पर जो मात्राएं स्वर-व्यंजन के रूप में लगती हैं वो उनके उच्चारण पर गहनों सी सजती हैं , कहीं कानों के झुमके किसी शब्द पर चूड़ियों सी ख़नख़ती कहीं... Poetry Writing Challenge-2 · कमर · मात्राएं · सपने · स्त्रियां · स्त्रीलिंग 212 Share Mamta Singh Devaa 1 Feb 2024 · 1 min read दूसरे का चलता है...अपनों का ख़लता है दूसरे का मग़रुर होना चलता है मगर अपनों का ग़ुरूर ख़लता है । दूसरे का अनर्गल प्रलाप चलता है मगर अपनों का बुरा बोलना ख़लता है , दुसरे माल खायें... Poetry Writing Challenge-2 · अपनों · दूसरों · धोखा · पराया · प्रेम 122 Share Mamta Singh Devaa 31 Jan 2024 · 1 min read मेरी ख़्वाहिशों में बहुत दम है चांद से थोड़ी दूरी पर मेरी सोच सी ऊंची मेरी ख़्वाहिशें टंगीं हैं अकेले ही कोशिश करती हूं ख़्वाहिशों को सच करने की क़ुव्वत बहुत है मुझमें लेकिन मेरी क़ुव्वत... Poetry Writing Challenge-2 · कुव्वत · ख़्वाहिशें · चांद · तिकड़म · हुनर 1 167 Share Mamta Singh Devaa 30 Jan 2024 · 1 min read प्रेम को भला कौन समझ पाया है प्रेम बेहद क्लिष्ट है जिसने समझा वो कर ना पाया जिसने किया उसको समझ ना आया , अब कृष्ण नहीं है कोई भी इस जहां में कि तुममें मैं मुझमें... Poetry Writing Challenge-2 · अंतरात्मा · कृष्ण · गूढ़ · प्रेम · मंत्र 234 Share Mamta Singh Devaa 30 Jan 2024 · 1 min read दोगलापन पत्नी तुम्हारे कहने से मुस्कराए तुम्हारे कहने से जागे तुम्हारे कहने से सो जाए तुम्हारे घर में रहकर तुम्हारी सुविधाओं का भरपूर ख़्याल रखे इसके बावजूद उसके नाम के आगे... Poetry Writing Challenge-2 · अलंकार · दोगलापन · पति · पत्नी · प्रेम 169 Share Mamta Singh Devaa 30 Jan 2024 · 1 min read इंसान बनने के लिए इंसान बनने के लिए.... सामग्री : - थोड़ा सब्र थोड़ा रोष थोड़ा प्रेम थोड़ा क्रोध थोड़ा संस्कार थोड़ा व्यवहार थोड़ा सम्मान थोड़ा अभिमान थोड़ी क्षमा थोड़ी सज़ा थोड़ी ज़िम्मेदारी थोड़ी... Poetry Writing Challenge-2 · इंसान · क्षमा · जिम्मेदारी · प्रेम · संस्कार 1 131 Share Mamta Singh Devaa 29 Jan 2024 · 1 min read स्वतंत्रता का अनजाना स्वाद सदियों से.... तुम्हारी सोच के पाषाण से जकड़ी थी , और.... उसमें जकड़ना मेरी आदत सी बन गई थी , अब.... टूटी है मेरी तंद्रा जो कुंभकरण सी हो गई... Poetry Writing Challenge-2 · अनजाना · नारी · प्रभुश्रीराम · स्वतंत्रता · स्वाभिमान 1 115 Share Mamta Singh Devaa 29 Jan 2024 · 1 min read प्रेम के रंग कमाल प्रेम के अपार कमाल के रंग हैं कहीं लाल कहीं बेरंग हैं, मिलन के मीठे आंसू बिछोह के नमकीन हैं कोई प्रेम से तृप्त कोई गमगीन है , कहीं प्रेम... Poetry Writing Challenge-2 · खोटा · तृप्त · प्रेम · मिलन · रंग 135 Share Mamta Singh Devaa 28 Jan 2024 · 2 min read मुझे हर वो बच्चा अच्छा लगता है जो अपनी मां की फ़िक्र करता है मुझे हर वो बच्चा अच्छा लगता है जो अपनी मां की फ़िक्र करता है , उसके गिरने से पहले मां उसको संभाल लेती थी उसकी भूख उससे पहले वो जान... Poetry Writing Challenge-2 · नाल · फिक्र · बच्चा · मां · रिश्ता 134 Share Mamta Singh Devaa 28 Jan 2024 · 1 min read जंग अहम की जंग कोई भी हमेशा बेकार है इसमें तबाही बेहद अपार है , धन - तन ख़ाक़ हो जाते हैं मन जल कर राख़ हो जाते हैं , अंहकार इतना बड़ा... Poetry Writing Challenge-2 · अहम · जंग · मानव · शांति · शिक्षा 177 Share Mamta Singh Devaa 27 Jan 2024 · 1 min read दोगलापन पत्नी तुम्हारे कहने से मुस्कराए तुम्हारे कहने से जागे तुम्हारे कहने से सो जाए तुम्हारे घर में रहकर तुम्हारी सुविधाओं का भरपूर ख़्याल रखे इसके बावजूद उसके नाम के आगे... Poetry Writing Challenge-2 · दुनियां · दोगलापन · पति · पत्नी · प्रेम 139 Share Mamta Singh Devaa 27 Jan 2024 · 1 min read तो मैं राम ना होती....? अगर मुझे अन्याय सहना आता तो मैं राम ना होती अगर मुझे क्रोध में भी चुप रहना आता तो मैं राम ना होती ? अगर मुझे विपरीत स्थिति को स्वीकारना... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · न्याय · राम · वनवास 194 Share Mamta Singh Devaa 21 Jun 2022 · 5 min read विश्वासघात " का मर्दवा तोहूं गजबे हौआ एकदम्मे अचानक से कैसे आ गइला ? " " अरे यार तुझे सरप्राइज़ जो देना था कुछ भी कह लो तुम्हारे मुंह से भोजपुरी... Hindi · कहानी 1 2 1k Share Mamta Singh Devaa 2 Apr 2022 · 1 min read मौकापरस्ती दूसरों को परहेज का ज्ञान देते हैं तो क्या ख़ुद की डाइबिटीज में बस चाय में चीनी कम चाहिए , मन कितना भी कड़वा हो तो क्या देखता कौन है... Hindi · कविता 2 2 281 Share Mamta Singh Devaa 9 Jan 2022 · 1 min read अंतर या अति " अरे ! तुम रेस्टोरेंट में चलने से मना कर रही हो ? यहां आसानी से सीट नही मिलती , नरेन ने अपनी मंगेतर स्मिता से कहा । " अभी... Hindi · लघु कथा 2 564 Share Mamta Singh Devaa 9 Jan 2022 · 1 min read अनपढ़ " मुन्नी देख तो साहब नहा कर आये की नही । " " मेमसाब आप रोज़ रसोईं में खड़ी होकर साहब के तैयार होने का इंतजार करती हैं कि कब... Hindi · लघु कथा 1 486 Share Mamta Singh Devaa 9 Jan 2022 · 1 min read परवरिश बहुत दिनों के बाद सुरेखा घर आई थी हमनें बीएड साथ में किया था । बातें करते - करते वो अपने किसी दोस्त के बारे में बताने लगी । मुझे... Hindi · लघु कथा 1 513 Share Mamta Singh Devaa 9 Jan 2022 · 1 min read कर्ता-धर्ता बिटिया के विवाह के एक रात पहले सारे रिश्तेदार इकठ्ठे थे और पार्टी जोरों पर थी । सब तरफ से चीयर्स - चीयर्स की आवाज़ आ रही थी , महिला... Hindi · लघु कथा 1 286 Share Mamta Singh Devaa 9 Jan 2022 · 1 min read जागरूकता चार दिन बाद अपने घर आने में जो सुख है वो अवर्णनीय है लेकिन वो सुख उस वक्त थोड़ा कम होता दिखा जब मुन्नी ( हैल्पर ) के आने का... Hindi · लघु कथा 351 Share Mamta Singh Devaa 30 Dec 2021 · 1 min read " हर रिश्ता भुला दो " " हर रिश्ता भुला दो " भुला दो तुम मुझसे जुड़ा कोई भी रिश्ता क्योंकि हर रिश्ते में उम्मीद के साथ प्रतिद्वंदिता भी थोड़ी सी जुड़ती है , क्यों पड़ते... Hindi · कविता 1 260 Share Mamta Singh Devaa 30 Dec 2021 · 1 min read " BHU - एक जूनून एक नशा " BHU में पढ़े हर शख़्स के लिए चाहे वो दुनिया के किसी भी कोने में क्यों ना हो....????????? " BHU - एक जूनून एक नशा " BHU एक जूनून है... Hindi · कविता 613 Share Mamta Singh Devaa 30 Dec 2021 · 1 min read मैं भी डरती हूॅं.... 2021 के जाते - जाते मैं आप सबके सामने कुछ confess करना चाहती हूॅं... सबके अंदर किसी ना किसी बात का डर होता है मेरे अंदर भी है तो मेरा... Hindi · कविता 578 Share Mamta Singh Devaa 9 Dec 2021 · 1 min read भावभीनी श्रद्धांजलि " जनरल विपिन रावत " हिन्दुस्तान में कमी नही शेरों की उनमें से एक शेर कम हो गया वो गया इस तरह अचानक कि सबकी आंखें नम कर गया । ?????????? स्वरचित एवं मौलिक (... Hindi · शेर 638 Share Mamta Singh Devaa 21 Nov 2021 · 1 min read " मतलबी रिश्ते " देखो.... मेरे पाले में तुम भले ना आओ तुम्हारे पाले में मैं आ जाती हूँ , सब्र करो.... तुम्हारे किये का गिन - गिन कर सारे हिसाब जोड़ कर बताती... Hindi · कविता 1 298 Share Mamta Singh Devaa 21 Nov 2021 · 1 min read प्रेम के फसाने...... पहले हम प्रेम के अफसाने लिखते थे उनसे मिलने मिलाने के बहाने लिखते थे , उस हर बात को शराफत से छुपा जाते थे जिसमें ज़रा सा भी जिक्र उनके... Hindi · कविता 215 Share Mamta Singh Devaa 21 Nov 2021 · 1 min read " बना + रस = बनारस " कोई खुबसुरती का गुमान करता है कोई दौलत का अभिमान करता है हम बनारस वालों का तो मान हमारा बनारसी पान करता है , कोई अलख जगाता है कोई वेदी... Hindi · कविता 367 Share Mamta Singh Devaa 21 Nov 2021 · 1 min read " पेड़ संरक्षक / आदम भक्षक " कभी किसी ने पेड़ों का फुसफुसाना सुना है ? नही सुना तो सुनिए... ये हौले - हौले आदम की रक्षा की बातें करते हैं कैसे उनको बचायें धीरे से यही... Hindi · कविता 323 Share Mamta Singh Devaa 21 Nov 2021 · 1 min read मैं ज्वालामुखी सी हूँ... ज्वालामुखी की परिभाषा हम स्कूल में पढ़ते हैं जानते हैं ये बस पत्थरों से फूटते हैं , दुनिया भ्रमण पर उसको देखने जाती है इंसान के अंदर का ज्वालामुखी नही... Hindi · कविता 335 Share Mamta Singh Devaa 21 Nov 2021 · 1 min read " समय " समय से छुप कर मैं थोड़ा सा समय छुपा लेती हूँ पहले इससे रुकने की मिन्नते करती थी अब इसकी ही नजरों से बचा कर इससे ही समय चुरा लेती... Hindi · कविता 531 Share Mamta Singh Devaa 21 Nov 2021 · 2 min read आत्मग्लानि से मुक्ति गर्मी की छुट्टियों के बाद युनिवर्सिटी खुली तो भरभरा कर जैसे लड़कियों का सोता फूट पड़ा । " वार्डन मैम पहले मेरे कमरे में किसी भी मौसी जी ( यहां... Hindi · लघु कथा 242 Share Mamta Singh Devaa 21 Nov 2021 · 1 min read अंतर " अरे मैं इतनी बूढ़ी औरत से काम नही करवाऊंगी... किसी और को लेकर आना , उस बूढ़ी औरत को देख शर्मिला ने उसकी बेटी से कहा । " "... Hindi · लघु कथा 572 Share Mamta Singh Devaa 21 Nov 2021 · 1 min read " हे ! महादेव विनती स्वीकारों " हे ! जटाधारी विनती हमारी है भविष्य भयंकर तू टाल शंकर , आहुति स्वीकारों फिर ललकारो , हाहाकार मचा है श्मशान सजा है , हुंकार भरो तुम जीवन धरो तुम... Hindi · कविता 226 Share Mamta Singh Devaa 21 Nov 2021 · 2 min read लायक " क्या हुआ नीरा रो क्यों रही है ? " " माला तुझे तो पता ही है कि मेरे पिता जी किसान हैं कैसे कैसे करके दोनों भाइयों को पढ़ाया... Hindi · लघु कथा 403 Share Mamta Singh Devaa 21 Nov 2021 · 1 min read " मेरा मैं " क्यों बदलाना चाहते हो मुझे आकर मुझे भी बताओ चलो सारा का सारा नही थोड़ा सा ही समझाओ , मैं ऐसी हूँ मैं वैसी हूँ मैं जैसी भी हूँ तुम... Hindi · कविता 247 Share Mamta Singh Devaa 21 Nov 2021 · 1 min read " मुसल " अब तो घरों की तरह रिश्ते भी रेनीवेट होते हैं जहाँ ज्यादा स्वार्थ होता है वहाँ ये री - कंस्ट्रक्ट होते हैं , फर्क नही है ज़रा भी अब रिश्ते... Hindi · कविता 232 Share Mamta Singh Devaa 21 Nov 2021 · 1 min read खुंदक उंगलियों पर हिसाब करने वालों अब तुम मुहब्बत का भी गुणा भाग करोगें ? सुना है वो बड़ी बेहिसाब होती है उसका बही - खाता बनाने की हिम्मत किसी में... Hindi · कविता 396 Share Mamta Singh Devaa 21 Nov 2021 · 1 min read शाश्वत सत्य सब जायेंगे सबको है जाना थोड़ा वक्त जिसको मिला उसको जीना है , अपनों के जाने का दर्द इतना दर्द कि जो सहा ना जाये लेकिन सह कर यहीं रहना... Hindi · कविता 385 Share Page 1 Next