Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jan 2022 · 1 min read

अनपढ़

” मुन्नी देख तो साहब नहा कर आये की नही । ”

” मेमसाब आप रोज़ रसोईं में खड़ी होकर साहब के तैयार होने का इंतजार करती हैं कि कब वो तैयार हो कर आयें और आप एकदम गरम नाश्ता परोसें । ”

” गरम नाश्ते की बात ही अलग होती है मुन्नी । ”

” मेमसाब लेकिन साहब तो तैयार होकर भी बहुत देर तक फोन पर बात करते हैं और आप गरम नाश्ता देने का इंतज़ार करती हैं…. इत्ती पढ़ी – लिखी हो कर भी । ”

” बहुत बोलने लगी है आजकल तू चल अपना काम निपटा…तू पढ़ी – लिखी नही है ना । ”

” अभी तक नाश्ता बना नही क्या रश्मि ? मनोज ने पूछा । ”

” जी बस तैयार है ठंडा ना हो जाये इसलिए आपका इंतज़ार कर रही थी । ”

” तुम खाना क्या देती हो जैसे एहसान करती हो मेरे पास तुम्हारे खाने के इंतज़ार के अलावा हजारों काम रहते हैं…ले दे कर एक काम करती हो वो भी ढ़ंग से नही कर पाती । ”

मुन्नी को अपना रिक्शा चलाने वाला पति याद आ गया कितने प्यार से घर में भी उसका हाथ बंटाता हैं और उसको काम करने बाहर भी भेजता है ।

” अच्छा है जो मैं अनपढ़ हूॅं नही तो रोज मेमसाब की तरह डांट खाती… बड़बड़ाती हुई काम करने लगी । ”

अब तो उसे अपने पति पर और ज्यादा ही प्यार आ रहा था ।

आज रात हम दोनों मिलकर मुर्गा पकायेंगे ये सोचते हुए उसके हाथ तेजी से काम करने लगे ।

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 26/12/2021 )

Language: Hindi
1 Like · 449 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mamta Singh Devaa
View all
You may also like:
जिंदगी के रंगमंच में हम सभी किरदार हैं।
जिंदगी के रंगमंच में हम सभी किरदार हैं।
Neeraj Agarwal
वास्तविक मौज
वास्तविक मौज
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
*****नियति*****
*****नियति*****
Kavita Chouhan
पर्यावरण
पर्यावरण
नवीन जोशी 'नवल'
Do you know ??
Do you know ??
Ankita Patel
काव्य में अलौकिकत्व
काव्य में अलौकिकत्व
कवि रमेशराज
लोग चाहे इश्क़ को दें नाम कोई
लोग चाहे इश्क़ को दें नाम कोई
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
नारी वेदना के स्वर
नारी वेदना के स्वर
Shyam Sundar Subramanian
किछ पन्नाके छै ई जिनगीहमरा हाथमे कलम नइँमेटाैना थमाएल गेल अछ
किछ पन्नाके छै ई जिनगीहमरा हाथमे कलम नइँमेटाैना थमाएल गेल अछ
गजेन्द्र गजुर ( Gajendra Gajur )
"पर्सनल पूर्वाग्रह" के लँगोट
*Author प्रणय प्रभात*
"संयम की रस्सी"
Dr. Kishan tandon kranti
कोरोना का आतंक
कोरोना का आतंक
Dr. Pradeep Kumar Sharma
अरमानों की भीड़ में,
अरमानों की भीड़ में,
Mahendra Narayan
21)”होली पर्व”
21)”होली पर्व”
Sapna Arora
मां
मां
Dr Parveen Thakur
अब तो आओ न
अब तो आओ न
Arti Bhadauria
*आत्महत्या*
*आत्महत्या*
आकांक्षा राय
मैं खंडहर हो गया पर तुम ना मेरी याद से निकले
मैं खंडहर हो गया पर तुम ना मेरी याद से निकले
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
अब तुझे रोने न दूँगा।
अब तुझे रोने न दूँगा।
Anil Mishra Prahari
तुम्हारा दीद हो जाए,तो मेरी ईद हो जाए
तुम्हारा दीद हो जाए,तो मेरी ईद हो जाए
Ram Krishan Rastogi
निराशा क्यों?
निराशा क्यों?
Sanjay ' शून्य'
शिशिर ऋतु-१
शिशिर ऋतु-१
Vishnu Prasad 'panchotiya'
विश्व तुम्हारे हाथों में,
विश्व तुम्हारे हाथों में,
कुंवर बहादुर सिंह
आपके शब्द आपके अस्तित्व और व्यक्तित्व का भार वहन करते है...
आपके शब्द आपके अस्तित्व और व्यक्तित्व का भार वहन करते है...
DEVSHREE PAREEK 'ARPITA'
2965.*पूर्णिका*
2965.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
संत गोस्वामी तुलसीदास
संत गोस्वामी तुलसीदास
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
*गली-गली में घूम रहे हैं, यह कुत्ते आवारा (गीत)*
*गली-गली में घूम रहे हैं, यह कुत्ते आवारा (गीत)*
Ravi Prakash
कहां गये हम
कहां गये हम
Surinder blackpen
बाल चुभे तो पत्नी बरसेगी बन गोला/आकर्षण से मार कांच का दिल है भामा
बाल चुभे तो पत्नी बरसेगी बन गोला/आकर्षण से मार कांच का दिल है भामा
Pt. Brajesh Kumar Nayak
Loading...