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21 Nov 2021 · 1 min read

” मतलबी रिश्ते “

देखो….
मेरे पाले में तुम भले ना आओ
तुम्हारे पाले में मैं आ जाती हूँ ,

सब्र करो….
तुम्हारे किये का गिन – गिन कर
सारे हिसाब जोड़ कर बताती हूँ ,

सावधान….
तुम सब के सब बच कर रहना
फिर देखो कैसा मैं कमाल दिखाती हूँ ,

चाहे जितनी….
जितनी भी कर लो तुम छल से चोरी
सारे सबूत सरेआम करती हूँ ,

तुम जो….
कड़वे शब्दों में चाशनी लगाते हो
उसको मैं मिनटों में हटाती हूँ ,

तुमने जो….
अपनी आँखों पर लगा रखी है पट्टी
उसको हटा उसमें थोड़ी शर्म डालती हूँ ,

याद करो….
हमारी तकलीफ में जो तुम कतराते हो
तुम्हारे दुख में अपना साथ याद दिलाती हूँ ,

वाकई….
तुम तो पर्याय हो मतलब का
ये मैं कैसे भूल जाती हूँ ।

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 21/07/2021 )

Language: Hindi
1 Like · 268 Views
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