Dr.Pratibha Prakash Tag: कविता 36 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Dr.Pratibha Prakash 29 May 2024 · 1 min read त्राहि त्राहि तपती छाती वसुन्धरा की तरुवर बिन अकुलाई है सूना आंचल कहे व्यथा अब नदिया की करुनाई है सूख गये तालाब बाबड़ी कुओं के दिन बीत गये गौरैया कपोत काग अब... Hindi · कविता · गीत 1 22 Share Dr.Pratibha Prakash 28 May 2024 · 1 min read शाम शाम आज की गर्मी से राहत दिलाती ढलती हुई शाम बच्चो को घर बाहर खिलाने ले जाती हुई ये शाम चकोर को भी तो इंतजार है चांद का जो आएगा... Hindi · कविता 1 12 Share Dr.Pratibha Prakash 24 May 2024 · 1 min read पीपल बाबा बूड़ा बरगद पीपल बाबा, बूड़ा बरगद शाखाएं अपनी फैलाता था नीम हकीम की पुड़िया होती, भूत बबूल पे आता था टेशू महकते फागन में, जेठ फालशे खाते थे इठलाती इमली खट्टी, मीठा... Hindi · कविता · गीत 3 57 Share Dr.Pratibha Prakash 23 May 2024 · 1 min read बुद्ध पूर्णिमा बुद्ध पूर्णिमा पर विशेष क्षमा सहित आप सभी कि प्रतिकियाओं कि प्रतीक्षा करुँगी सभी कहते हैं कि तुम बुद्ध थे लेकिन तुम तो सिद्धार्थ ही थे सत्य यही कि तुम... Hindi · कविता 2 19 Share Dr.Pratibha Prakash 20 May 2024 · 3 min read बीते हुए दिन बचपन के मेरा बचपन मां … मेरे बचपन में बेटा आता था बन्दर मामा लाठी संग होती मामी को ससुराल से लाना .. हःह अच्छा और क्या क्या होता था माँ ....बच्चे... Hindi · कविता · गीत · बाल कविता 1 57 Share Dr.Pratibha Prakash 11 May 2024 · 1 min read हे बुद्ध हे वुद्ध जगाया दीप तुमने आत्मा का किया कल्याण तत्कालीन समाज का सच कहो खुद में झाँका कभी खुद को क्या विचार आया था यशोधरा का देते रहे उपदेश तुम... Hindi · कविता 2 53 Share Dr.Pratibha Prakash 5 May 2024 · 1 min read नारी तू नारायणी नारी तू नारायणी नारी तू नारायणी ,नहीं अबला, तुम शक्ति प्रदायिनी तुम ही काली तुम कपालिनी ……………..नारी तू नारायणी गोद तुम्हारी वात्सल्य झूले, ममता तुम्हारे आंचल फूले तुमसे स्नेह पराग... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 33 Share Dr.Pratibha Prakash 5 May 2024 · 1 min read मैं मैं खोजना चाहता हूँ एक बार खुद को ही मैं पञ्च तत्व से निर्मित हूँ फिर भी जाने क्यों लगूं क्यू कभी –कभी बिखरा सा और कभी साहस का दरिया... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 29 Share Dr.Pratibha Prakash 4 May 2024 · 2 min read आखिर क्यों क्यों स्त्री वुद्ध नहीं हो जाती क्यों घर छोड़ते ही कुलटा कहलाती यूँ तो ज्ञान की देवी सरस्वती लेकिन ज्ञान पर अधिकार नहीं रखती यूँ तो नवरात्रि में स्त्री माँ... Hindi · कविता 15 Share Dr.Pratibha Prakash 23 Apr 2024 · 1 min read संवेदनायें संवेदना किसी भी वेदना का कारण होती हैं ये संवेदनाएं ही हैं जो निवारण भी करती हैं संवेदनाओं की अपनी होती एक निजी भाषा बिना शब्दों के आँखों में परिभाषा... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 12 11 215 Share Dr.Pratibha Prakash 21 Apr 2024 · 1 min read संवेदनाएं संवेदनाये जगती हैं तो भावनाएं बन जाती हैं संवेदनाएं मरती हैं तो दुर्घटनाएं हो जाती है || संवेदनाओं में पिरोकर ही होता ईश का वंदन सवेनाओं में ही जागता है... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 11 12 265 Share Dr.Pratibha Prakash 31 Mar 2024 · 1 min read होली पर उड़ता गुलाल, लाल, लाल अज गाल पर हंसी ठिठोली अज, होली की फुहार पर गली-गली शोर-होर, हर इक द्वार पर बाल गोपाल ग्वाल, रंगों की बौछार पर सरसों की पीत... Hindi · कविता 3 32 Share Dr.Pratibha Prakash 27 Mar 2024 · 1 min read बाढ़ झंझावातो की बाढ़ सी आई है रुकावटों की बहार सी आई है अचानक सब रुक सा गया है चलते चलते मन थक सा गया है तकते तकते सफलता की राहें... Hindi · कविता 3 41 Share Dr.Pratibha Prakash 8 Mar 2024 · 1 min read महिला दिवस भारत माता कह बुलाते अपने राष्ट्र का परिचय देते दुर्भाग्य मगर भटकी पीड़ी का महिला दिवस मानाने पड़ते नारी शक्ति द्योतक है मानी पवित्र गूंजती वेदों की वाणी कैसे भूल... Hindi · कविता 4 71 Share Dr.Pratibha Prakash 23 Jan 2024 · 1 min read बुला लो जन्म जन्म की मैं हूँ प्यासी सदा रहूँ दर्शन अभिलाषी अपने स्नेह से किया सवेरा जैसे मिटा हो जन्मों का फेरा मन मन्दिर में किरण जगाई जीवन जीने की आस... Hindi · कविता 10 149 Share Dr.Pratibha Prakash 19 Jan 2024 · 1 min read पुनर्जागरण काल ये पावन पुनीत अमृत वेला है जो पी रहा रस हो अलवेला है हर तरफ एक ही गूंज गूंज रही जय जय हो बस यही धूम रही महक रहा अध्यात्म... Hindi · कविता 10 110 Share Dr.Pratibha Prakash 9 Aug 2023 · 1 min read आधुनिक हो गये हैं हम आधुनिक हो गये हैं हम अपनों को भूल गये हैं हम संस्कार की भाषा, प्यार की परिभाषा अपना इतिहास, भूगोल भूल गये हैं हम अपना गाँव नीम और पीपल की... Poetry Writing Challenge · कविता 14 4 276 Share Dr.Pratibha Prakash 6 Aug 2023 · 1 min read चेतावनी हिमालय की वर्षों से पुकार लगा रहा हूं वेदना सबको बता रहा हूं लेकिन मानव तू वधिर हो गया अश्रु निरंतर मैं वहा रहा हूं।। तब जाकर प्रतिकार किया मैं हिमालय बतला... Hindi · कविता 15 2 387 Share Dr.Pratibha Prakash 8 Jul 2023 · 1 min read फितरत अजीब इल्म की रिवायतें बदली इन्सान की फितरत बदल गई न पूजा न इवादत न कोई रिश्ता बचा सजदा भी अब सौदे की बात बन गई न खौफ खुदा का... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 22 13 919 Share Dr.Pratibha Prakash 14 Jun 2023 · 1 min read वन्दे मातरम गूँजे कण कण भारत भू का वन्दे मातरम महक उठे वन उपवन मिलके वन्देमातरम शस्य श्यामला भू हरियाली परम्परा समृद्धिशाली राष्ट्र प्रेम की गाथा गाते हर मधुवन की हरेक डाली... Poetry Writing Challenge · कविता 22 9 438 Share Dr.Pratibha Prakash 13 Jun 2023 · 2 min read गौरैया आज सुबह प्रार्थना के बाद जब विश्राम के लिये चली तो पंखुरी की चीं ची ने मुझे आवाज़ दी आँख में आँसू थे मैंने पूछा क्या हुआ ? जो उसने... Poetry Writing Challenge · कविता 17 6 250 Share Dr.Pratibha Prakash 13 Jun 2023 · 1 min read नग्नता को रोकना होगा नग्नता को रोकना होगा.......... यदि संस्कृति बचाना चाहते हो यदि भारतीयता बचाना चाहते हो तो नग्नता को रोकना होगा.......... आध्यात्म को समझना होगा समाज में सौहार्द चाहते हो परिवार में... Poetry Writing Challenge · कविता 24 5 817 Share Dr.Pratibha Prakash 12 Jun 2023 · 1 min read मेरे पिता मेरे पिता नील गगन से विशाल, हिमालय जैसा भाल सुमेरु कन्धे साधे वसुधा के जीवन की ताल मेरे पिता.... संवेदनाओं को कहां कह पाते गिरा पलक को अश्रु छिपाते मेरे... Poetry Writing Challenge · कविता 17 3 361 Share Dr.Pratibha Prakash 22 Mar 2017 · 1 min read जल जलदिवस आयोजन प्रथम प्रयास जल ईश्वर ने जब दृष्टि रची तो पंच तत्व विस्तार किया पृथ्वी के तिहाई हिस्से पर जल जीवन आधार दिया करें यदि इतिहास अवलोकन जल ने... Hindi · कविता 16 514 Share Dr.Pratibha Prakash 21 Mar 2017 · 2 min read निरीह गौरया आज सुबह प्रार्थना के बाद जब विश्राम के लिये चली तो पंखुरी की चीं ची ने मुझे आवाज़ दी आँख में आँसू थे मैंने पूछा क्या हुआ ? जो उसने... Hindi · कविता 16 372 Share Dr.Pratibha Prakash 21 Jan 2017 · 1 min read बेटियां ? जीवन को जीवन बनाती बेटियां बेटो का जीवन सजाती है बेटियां इस सृष्टि को सतत बनाती बेटियां फिर क्यों कोख में मारी जाती बेटियां घर को वास्तव घर बनाती बेटियां... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 18 1 1k Share Dr.Pratibha Prakash 20 Aug 2016 · 1 min read साक्षी और संधू हमे आप पर गर्व है साक्षी संधू हमें तुम पर गर्व है छोटे छोटे गांव से,छोटे छोटे राज्य से नारी को पुकारती,जय हो भारत माँ भारती जयति जय माँ भारती जय हो भारत भारती शक्ति... Hindi · कविता 16 1 487 Share Dr.Pratibha Prakash 14 Aug 2016 · 1 min read आओ स्वतंत्रता दिवस मनाएं आओ स्वतंत्रता दिवस मनाएंआओ स्वतंत्रता दिवस मनाएं लालकिला पर तिरंगा फहराएं मातृ भूमि पर हो गए शहीद जो वीर सपूतों की गाथा को गायें झाँसी की रानी वो मस्तानी मंगल... Hindi · कविता 15 10 476 Share Dr.Pratibha Prakash 9 Aug 2016 · 1 min read जय जवान जय किसान राष्ट्र कहे सुन ओ जवान जय जवान जय किसान हैं हिम से शीतल सूर्य समान मातृभूमि के तुम अभिमान कर्मठता 'बा'और 'भावे' की तुमसे अर्थ 'लाला' बलिदान तिलक, सुभाष,आज़ाद की... Hindi · कविता 15 2 697 Share Dr.Pratibha Prakash 9 Aug 2016 · 1 min read याद करो कुर्बानी [8/8, 6:09 PM] Dr Pratibha: आओ याद करें क़ुरबानी खोये हमने जो बलिदानी स्वप्न संजोया अखण्ड भारत ऐसे महापुरुष त्यागी ज्ञानी लड़े स्वतंत्रता की खातिर चढ़े शूली गए काला पानी... Hindi · कविता 14 3 736 Share Dr.Pratibha Prakash 2 Aug 2016 · 1 min read वो वैश्या मैंने एक वैश्या को देवी से ऊपर देखा एक पण्डित को उसके कदमो में गिरते देखा समझ न आया फिर भी लेकिन दृश्य ये देखा मैंने एक वैश्या को ............... Hindi · कविता 13 2 648 Share Dr.Pratibha Prakash 1 Aug 2016 · 1 min read घुटती सिसकियां ------ घुटती रहेंगी आखिर कब तक सिसकियाँ दरवाजो में लुटती रहेगी कब तक नारी वासना के गलियारों में भ्रूण हत्या दहेज हत्या ग्लैमर के नंगे चौबारे में राजधानी की डीलक्स... Hindi · कविता 12 3 682 Share Dr.Pratibha Prakash 31 Jul 2016 · 1 min read संगीत दिवस सारा दिन हुई योग की चर्चा आओ अब गीत शारदे गा लें संगीत की बज उठे तरंगे उमंगो में सरगम सजा लें गीतिका वरखा सुनाए साज़ बूंदों का बजा लें... Hindi · कविता 11 508 Share Dr.Pratibha Prakash 31 Jul 2016 · 1 min read झुलस धरती के झुलसते आँचल को अम्बर ने आज भिगोया है झूम उठे वायु संग तरुवर बूंदों में शीत पिरोया है ये महज़ एक झांकी है सोचो हमने क्या खोया है... Hindi · कविता 11 545 Share Dr.Pratibha Prakash 31 Jul 2016 · 1 min read अफ़सोस अफ़सोस जताने ये मन निकला क्यों ज्ञान में खोखलापन निकला हम करते रहे श्रेष्ठ सिद्ध स्वयं को मन से न अहम का घुन निकला परिवार बिना माने अबला ये कैसा... Hindi · कविता 11 2 363 Share Dr.Pratibha Prakash 29 Jul 2016 · 1 min read पतन हमारा आध्यात्म कमजोर हुआ हमारी संस्कृति अपंग होने लगी फिर सभ्यता खोने लगी नारी तब रोने लगी। पतन फिर होने लगा मार्ग पथभ्रष्ट हो गया इंसान जब बिकने लगा बेमौत... Hindi · कविता 11 572 Share