बुला लो
जन्म जन्म की मैं हूँ प्यासी
सदा रहूँ दर्शन अभिलाषी
अपने स्नेह से किया सवेरा
जैसे मिटा हो जन्मों का फेरा
मन मन्दिर में किरण जगाई
जीवन जीने की आस जगाई
ज्ञात मुझे मैं ही अपराधी
क्षमा करो सकल गुणराशी
घट घट स्वामी अन्तर्यामी
मैं मानव रहा खल कामी
वरद हस्त आशीष छाव में
योग्य बनाओ निकट पाँव में
अब तो नाथ मुझे बुला लो
श्री चरणों में मुझे बिठा लो