Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jun 2023 · 2 min read

गौरैया

आज सुबह प्रार्थना के बाद जब विश्राम के लिये चली तो पंखुरी की चीं ची ने मुझे आवाज़ दी आँख में आँसू थे मैंने पूछा क्या हुआ ?
जो उसने कहा सुनकर मन लज़्ज़ा और क्रंद से भर गया ।
आप भी सुनिये और कुछ करिए भी

सुन हे मनुष्य, मैं निरीह गौरया
जब से शुरू हुई आधुनिक प्रगति
कभी किसी को मेरा ख्याल न आया
अब घर में माँ भी आटे की चिड़िया नहीं बनाती
मैं गौरया हूँ सुत को नही बताती
अरे इन ऊँची ऊँची अट्टालिकाओं ने
मुझे आंगन से फुर्र कर दिया
इस आधुनिकता ने घर से आंगन हटा दिया
अब तो कुछ खलिहान बचे है
पर जीवित कैसे रहूँ मैं वहां पर भी कीटनाशक इतने है
जो भी खाती हूँ उसमें ज़हर होता है
ऐ मानव मूर्ख, तू भी फल समझ जिसे खाता है
खो रही हूँ अस्तित्व मैं धीरे-धीरे पर तेरी संस्कृति भी खो रही है
तुझे पता है तक्षशिला में मेरा उल्लेख हुआ था
नालन्दा में मैंने भी भारत का उत्कर्ष देखा है
इन कल कारखानों ने सब नष्ट कर दिया
हे प्राणी श्रेष्ठ, मेरे अस्तित्व के साथ साथ मानवता भी सिसक रही है
तुझे दिखाई नहीं देता बचपन की उत्सुकता मर रही है
हे मनुज श्रेष्ठ, मैंने ये जाना तू ईश्वर तुल्य कृति है
यदि तू चाहे तो बचा सकता है मुझे,सभ्यता को भी
गाय को भी, मेरे अन्य जीव जन्तु साथियों को भी
देख मान तुझे ही ईश्वर मैं करती हूँ प्रार्थना
बचा ले खुद को, खुद के अर्थ को, इस प्रकृति को
जो तुम्हारी है, तुम्हारे लिये है, मेरी ची चीं में बचपन है
तेरा प्यारा दर्पण है, भविष्य का चिंतन है
धन ही जीवन नहीं, ब्रांड ही पहचान नहीं है
पहचान है विचार, उनकी श्रेष्ठता, मानवता
मैं निरीह गौरया,मैं तो निरीह गौरया
करती बचपन संग मैं त थ थैया
मैं निरीह गौरया,मैं तो निरीह गौरया

Language: Hindi
17 Likes · 6 Comments · 235 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr.Pratibha Prakash
View all
You may also like:
बूँद बूँद याद
बूँद बूँद याद
Atul "Krishn"
फिरकापरस्ती
फिरकापरस्ती
Shekhar Chandra Mitra
मसरुफियत में आती है बे-हद याद तुम्हारी
मसरुफियत में आती है बे-हद याद तुम्हारी
Vishal babu (vishu)
जब से देखी है हमने उसकी वीरान सी आंखें.......
जब से देखी है हमने उसकी वीरान सी आंखें.......
कवि दीपक बवेजा
*जब तक दंश गुलामी के ,कैसे कह दूँ आजादी है 【गीत 】*
*जब तक दंश गुलामी के ,कैसे कह दूँ आजादी है 【गीत 】*
Ravi Prakash
यदि आप बार बार शिकायत करने की जगह
यदि आप बार बार शिकायत करने की जगह
Paras Nath Jha
⭕ !! आस्था !!⭕
⭕ !! आस्था !!⭕
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
इल्जाम
इल्जाम
Vandna thakur
बारिश में नहा कर
बारिश में नहा कर
A🇨🇭maanush
इतनी खुबसूरत नही होती मोहब्बत जितनी शायरो ने बना रखी है,
इतनी खुबसूरत नही होती मोहब्बत जितनी शायरो ने बना रखी है,
पूर्वार्थ
तेवरी
तेवरी
कवि रमेशराज
नजर  नहीं  आता  रास्ता
नजर नहीं आता रास्ता
Nanki Patre
लइका ल लगव नही जवान तै खाले मलाई
लइका ल लगव नही जवान तै खाले मलाई
Ranjeet kumar patre
#लघुकथा
#लघुकथा
*Author प्रणय प्रभात*
एक अच्छाई उसी तरह बुराई को मिटा
एक अच्छाई उसी तरह बुराई को मिटा
shabina. Naaz
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
कुछ तो पोशीदा दिल का हाल रहे
कुछ तो पोशीदा दिल का हाल रहे
Shweta Soni
क्या वैसी हो सच में तुम
क्या वैसी हो सच में तुम
gurudeenverma198
कि लड़का अब मैं वो नहीं
कि लड़का अब मैं वो नहीं
The_dk_poetry
माली अकेला क्या करे ?,
माली अकेला क्या करे ?,
ओनिका सेतिया 'अनु '
सधे कदम
सधे कदम
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
गल्तफ़हमी है की जहाँ सूना हो जाएगा,
गल्तफ़हमी है की जहाँ सूना हो जाएगा,
_सुलेखा.
* रेल हादसा *
* रेल हादसा *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
.
.
Amulyaa Ratan
कविता
कविता
Shiva Awasthi
मार्गदर्शन होना भाग्य की बात है
मार्गदर्शन होना भाग्य की बात है
Harminder Kaur
बाँकी अछि हमर दूधक कर्ज / मातृभाषा दिवश पर हमर एक गाेट कविता
बाँकी अछि हमर दूधक कर्ज / मातृभाषा दिवश पर हमर एक गाेट कविता
Binit Thakur (विनीत ठाकुर)
★रात की बात★
★रात की बात★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
23/112.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/112.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"असल बीमारी"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...