Dr MusafiR BaithA 429 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next Dr MusafiR BaithA 20 Mar 2024 · 1 min read खोज सत्य की आरंभिक मनुष्य का आई क्यू काफ़ी कमज़ोर रहा होगा तभी तो उसने प्राकृतिक सत्य की थाह में अलौकिक असत्य सत्य अनेक गढ़ लिए आंधी तूफान, सर्दी गर्मी, धूप छांव, सूखा... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 55 Share Dr MusafiR BaithA 19 Mar 2024 · 1 min read शब्द और दबाव / मुसाफ़िर बैठा मौसम की नमी से मरते नहीं हैं शब्द बल्कि दब जाते हैं दबे रहने पर भी जान बची रह सकती है दबे की जिजीविषा मायने रखती है। Hindi · कविता 54 Share Dr MusafiR BaithA 19 Mar 2024 · 1 min read हरे की हार / मुसाफ़िर बैठा एक हरा पत्ता जो जानबूझकर या धोखे से झाड़ दिया गया झड़े और उम्र पा पीले पड़े पत्ते की गति पाकर अपनी उम्र ना–हक़ असमय ही हार गया। Hindi · कविता 36 Share Dr MusafiR BaithA 19 Mar 2024 · 1 min read खरोंच / मुसाफ़िर बैठा जात भात अलगाकर सदियों से अपना चूल्हा उचका अलग ऊंचा जलाकर वर्णवाद से मुटाए सवर्ण सुई और उसके जनेऊ धागे के बीच दबे हुए हैं दलित हालांकि दलित खुद करघा... Hindi · कविता 1 47 Share Dr MusafiR BaithA 18 Mar 2024 · 1 min read नित्यता सत्य की जीवन अगरचे नित्य सत्य है तो मरण भी अटल अकाट्य सत्य है आँखिन देखी को साखी लो लो अनुभव को प्रमाण तो जीवन मरण के सच से परे धर्म की... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 55 Share Dr MusafiR BaithA 18 Mar 2024 · 1 min read सच की मिर्ची सच है कि राम कृष्ण झूठ है देवी देवता झूठ है अल्ला ईश्वर झूठ है झूठ की खेती है धार्मिक विश्वास सगरे इसके नाम पर मानवी आडंबर सारे, व्यर्थ के... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता · काव्य प्रतियोगिता · सत्य की खोज 3 44 Share Dr MusafiR BaithA 25 Feb 2024 · 1 min read पूछती है कविता पूछती है मेरी यह कविता कि गोमूत पीने की भारतीय सनातनता हद से हद किस काल तक पीछे जाती है? पीछे जाती भी है कि आधुनिक काल में जन्म पाकर... Hindi · कविता 50 Share Dr MusafiR BaithA 25 Feb 2024 · 1 min read *चाचा–भतीजा* / मुसाफ़िर बैठा व्यवस्था उसकी जेब में डेलीगेटेड पड़ी है राजा का वह हमजोली मुंहबोला भतीजा है तीसरे दर्जे का सरकारी नौकर है यह भतीजा मगर दूसरे–पहले दर्जे के अफसर उसको सैल्यूट दागते... Hindi · कविता 66 Share Dr MusafiR BaithA 24 Feb 2024 · 1 min read सवर्ण और भगवा गोदी न्यूज चैनलों की तरह ही सवर्ण गोदी साहित्य सवर्ण और भगवा गोदी न्यूज चैनलों की तरह ही सवर्ण गोदी साहित्यिक दुनिया का भी अपना एक वर्ल्ड और अंडरवर्ल्ड होता है. ~ डा. मुसाफ़िर बैठा उवाच Quote Writer 67 Share Dr MusafiR BaithA 15 Feb 2024 · 1 min read पूजा का भक्त–गणित / मुसाफ़िर बैठा आज पूजित कल विसर्जित लक्ष्मी, काली, दुर्गा, सरस्वती देखा देवियो! भक्त तुम्हारे मतलबी मानुष दूध की मक्खी माना करते उपयोगिता के गणित पर कस अपने जीवन से फेंक निकाला करते... Hindi · कविता 70 Share Dr MusafiR BaithA 14 Feb 2024 · 1 min read किसी पत्थर की मूरत से आप प्यार करें, यह वाजिब है, मगर, किसी किसी पत्थर की मूरत से आप प्यार करें, यह वाजिब है, मगर, किसी जड़ मूर्ति की परस्तिश/पूजा करना मूर्खता है। Quote Writer 83 Share Dr MusafiR BaithA 14 Feb 2024 · 1 min read वेलेंटाइन / मुसाफ़िर बैठा आंबेडकरी–विचारधारा ही मेरी सर्वप्रिय मानसिक खुराक और जीवनसींचक वेलेंटाइन है। Hindi · कविता 89 Share Dr MusafiR BaithA 11 Feb 2024 · 1 min read बहुजनों के हित का प्रतिपक्ष रचता सवर्ण सौंदर्यशास्त्र : बहुजनों के हित का प्रतिपक्ष रचता सवर्ण सौंदर्यशास्त्र : अपने सुख और मौज को व्यक्त करने के लिए सवर्णों ने साहित्य में कथित सौंदर्यशास्त्र ढूंढ़ा। जबकि उनका यह सौंदर्यशास्त्र अक्सर... Quote Writer 82 Share Dr MusafiR BaithA 3 Feb 2024 · 1 min read ब्राह्मणवादी शगल के OBC - by Musafir Baitha मेरे रहवास के इलाक़े में एक मोची की कठघरे में दुकान है। कठघरा जर्जर है, किसी ने अपनी दुकान हटाई तो उसे गिफ्ट कर दिया। उसकी मरम्मत कर-करवाकर वह उसमें... Hindi · संस्मरण 64 Share Dr MusafiR BaithA 2 Feb 2024 · 1 min read सवर्ण, अवर्ण और बसंत वर्णों की इस भारतीय बेमेल दुनिया में कोई सवर्ण है तो कोई अवर्ण सवर्ण यदि बसंत है तो अवर्ण उससे छत्तीस के रिश्ते पर धकेला गया पतझड़ ऋतुओं में तो... Hindi · कविता 57 Share Dr MusafiR BaithA 1 Feb 2024 · 1 min read मुहावरे में बुरी औरत खुद को जभी आप मुहावरे में बुरी औरत कहती हैं बाय डिफॉल्ट स्वयं को इस खांचाबद्ध जाति और संप्रदाय आधारित समाज व्यवस्था में मुट्ठीभर अच्छी औरतों में गिनते हुए गर्व... Hindi · कविता 40 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी- 28 दैवी शक्ति कल्पित है जैसे वैसे ही यक्ष यक्षिणी भी है कल्पनारोपित नग्न देह यक्षिणी की पता नहीं किस जमाने में कला को प्राप्त हुई पूजी अब भी जा रही... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 87 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी- 27 यक्ष की देह को कला न पूछे क्यों न पूछे यक्षिणी देह को कला है पूजै जोर बरजोर हिसाब से बेसी क्यों पूजै है? Poetry Writing Challenge-2 · कविता 57 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी- 26 जमाना इंटरनेट से रोबोटी डॉल तक सेक्स सामग्री ले आ चुका इंटरनेट जहां उभय लिंग का सहचर है डॉल वहीं अभी महज पुरुषों के काम ही आता यक्ष के अक्ष... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 72 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी- 25 जी जिस समाज में पत्थर भी देवता है पत्थर के लिंग और भग भी देवता प्रतिनिधि समझे जाएं समझकर पूजे जाएं जहां वहां स्तन अक्ष ढूंढ़ रमे मर्द लोग तो... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 77 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-24 खुदाई में एक मूर्ति मिली मूर्ति जनानी सी बताया पारखी लोगों ने जनानी मनुष्य नहीं मनुष्येतर प्राणी वह यक्ष कोटि की देह उसकी स्त्री की देह सहज नहीं सजीली बल्कि... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 48 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी- 23 अजब कि कल वे आएंगे कमर कस कर आएंगे नया अजायबघर जाएंगे यक्षिणी के कमरे के पास जाएंगे यक्षिणी को अपनी लिप्त आंखों में कैद कर अभौतिक श्रद्धा सुमन चढ़ाएंगे... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 61 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी- 22 निबरा की घरवाली गांवभर के मर्दों की भौजाई होती है तुम्हारे रूप रस गंध से चिपके उस कवि और तुम्हारे वक्ष-अक्ष पर टिके कवि गिरोह के लोगों की मार्फ़त भी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 72 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी- 21 वे बातें कर रहे हैं यक्षिणी की मगर ब्याज में पान कर रहे हैं वे मिथक के मियां की तरह पानी डूब के यक्षिणी के रूप-यौवन का गले में कांटा... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 78 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-20 यक्षिणी सवर्णघिचोरों के पल्ले पड़ गयी हो तुम सवर्णनिचोड़ हो रही है तेरी तुम्हें हिन्दू मिथक कथा की अपनी पात्र द्रौपदी बनाकर वे सब दुशासनों की तरह तुम्हें उघाड़ने में... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 43 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-19 द्विज मर्द योजित प्रगतिशील यक्षिणी-चर्चा में शिरकत किया करती हैं सवर्ण घर की अंगनाएँ भी समझ रहे हैं न गणित स्त्री मर्दन का कितना योजित हो सकता है हो सकता... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 33 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-18 जीवन और फिल्मों में कम यक्षिणी-बदन नहीं मिलती सवर्ण अंगनाएँ मगर मूर्तियां में ये मिलतीं कहां क्यों नहीं मिलतीं बताएँ यक्षिणी-ग्राही कलाकार उन्नत नग्न वक्ष के प्रगतिशील खरीदार! Poetry Writing Challenge-2 · कविता 65 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-17 कूची कलाकार की बेतरह केवल कुच पर फिरी कला सिरफिरी हरक़त हद की गिरी। Poetry Writing Challenge-2 · कविता 26 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-16 कवि सरेराह सजाई जिस्म में रखी तूने तेरी प्रशंसा प्राप्त यक्षिणी की जगह तो पुराख्याल तू! पुरख्याल हो बता तेरे अपने घर में पैसी छवि कैसी है यक्षिणी की पत्नीरूपा... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 48 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-15 तबीयत झोंक कर यक्षिणी को देना आकर बताता है यह यौन लिप्सा की कलाकारी है चुनांचे यह खुला खेल फर्रूखाबादी है। Poetry Writing Challenge-2 · कविता 26 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-14 खुलना जब सोच समझकर आता है तो समझो खोलना कलाकारी नहीं तिज़ारत बन जाता है! Poetry Writing Challenge-2 · कविता 58 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-13 एक यक्षिणी के वक्ष तेरे द्वारा खोले जाने से हट जाते हैं वस्त्र वक्ष से हर काल की हरेक युवा स्त्री के! Poetry Writing Challenge-2 · कविता 29 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-12 यक्षिणी यक्षिणी खेलते रहो खोलते रहो ख़लिश अपनी ऐ खलकामी प्रगतिशील! Poetry Writing Challenge-2 · कविता 35 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-11 धरती पर रहते हुए सेक्स को किसी इतर लोक से ले आते हो ढूंढ करते अपने मिजाज में फिट ऑफबीट बीट कवि को मात करने की कोशिश में पैदा करते... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 29 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-10 यक्षिणी को यदि जुबान होती और उसे गढ़ने वाले मर्दों से हिसाब लेने के अधिकार तो सोचो आज के रीति-मानस कवियो! तेरा क्या हाल होता? Poetry Writing Challenge-2 · कविता 36 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-9 काम का खुला शिल्प सामंती है खुला काम शिल्प नहीं हो सकता सामंत काम का शिल्पी नहीं हो सकता यक्षिणी काम की हो सकती है काम में भी हो सकती... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 42 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-8 तुम्हारे मस्तिष्क-अक्ष पर यक्षिणी-वक्ष जो ठहरा चलते इसके तुझपर काम-सनक चढ़ी है गहरी। Poetry Writing Challenge-2 · कविता 34 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-7 सुन भई, बामन वस्राभरण तूने जितने बजरिये कथा-यक्षिणी देह पर उसके सजाए उससे अधिक तो आभूषण लगाए बकिये देह को रख दिया नंगा वक्ष नंगा रखा जो उसका सच सच... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 28 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-6 यक्ष प्रश्न तूने मुहावरेदार प्रश्न बनाया यह अपने प्रश्न में तूने कथित यक्ष का जवाब भी खुद ही बनाया बता ऐ बामन उत्तर तू इस दलित प्रश्न का कि यक्ष... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 35 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-5 क्यों बे बामन मनमौजी तूने यक्षिणी बनाई यक्षिणी के डीलडौल को गढ़ने में अपनी तंग-सेक्स तबीयत लगाई यह सब धतकर्म करते तुझे अपनी और अपने घर की लुगाई क्यों याद... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 24 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-4 दीदारगंज की यक्षिणी को बनाये हुए हो तुम मशहूर परम अर्थी क्यों कोई तो बात होगी हुजूर क्यों बे गंज अगंज वासी दीदारार्थी! Poetry Writing Challenge-2 · कविता 39 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-3 यक्षिणी की भक्ति आसक्ति में अपनी एक मनुमानस-जीवी कवि ने पूरी किताब ही लिख डाली है अब ऐसी भक्ति का क्या कहिए जब कवि मनोचिकित्सा की प्रैक्टिस भी कर रहा... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 43 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी - 2 यक्ष यक्षिणी एक मिथकीय कल्पना है न जाने किस खुराफ़ाती ने सिरजा इसे किसने फिर प्रस्तर पर दिया इसे उतार उतारने में यक्ष को दिया बिसार और यक्षिणी को गहरे... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 60 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी -1 पटना के दीदारगंज की प्रसिद्ध है यक्षिणी की मूर्ति प्रसिद्ध है खास मर्दों के बीच इसकी पुष्टि को किसी मर्दमशुमारी की जरूरत नहीं उसके गदराए बदन और अधिपुष्ट उन्नत वक्ष... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 29 Share Dr MusafiR BaithA 29 Jan 2024 · 1 min read मिथकीय/काल्पनिक/गप कथाओं में अक्सर तर्क की रक्षा नहीं हो पात मिथकीय/काल्पनिक/गप कथाओं में अक्सर तर्क की रक्षा नहीं हो पाती क्योंकि ऐसी कहानियों के सर्जक अपने समय के बेवकूफ टाइप के बुद्धिमान अथवा सयाने लोग होते हैं। फिर, कालांतर में... Quote Writer 44 Share Dr MusafiR BaithA 28 Jan 2024 · 1 min read अपात्रता और कार्तव्यहीनता ही मनुष्य को धार्मिक बनाती है। अपात्रता और कार्तव्यहीनता ही मनुष्य को धार्मिक बनाती है। Quote Writer 85 Share Dr MusafiR BaithA 2 Jan 2024 · 2 min read माँ का अबोला / मुसाफ़िर बैठा याद नहीं कि माँ ने कभी अबोला किया हो मुझसे मुझसे भी यह न हुआ कभी बस एक अबोला माँ ने किया अपने जीवन की अंतिम घड़ी में और फोन... Hindi · कविता 1 1 85 Share Dr MusafiR BaithA 20 Dec 2023 · 1 min read बामन निपुन कसाई... भारत में अंग्रेजी शासन के आने से पहले ब्राह्मण लोग धरती पर देवता थे, अधिक मनुष्य बने हुए थे, ख़ुद को विशेषाधिकार ओढ़ा रखा था उन्होंने। उन्हें बड़े से बड़ा... Hindi · ब्राह्मण प्रिविलेज डिकोडेड 80 Share Dr MusafiR BaithA 18 Dec 2023 · 1 min read कोविड और आपकी नाक - परंपरा से आपकी नाक और जुबान चाहे जिस कदर की भी ऊंची रही हो, उच्चत्व में दीक्षित रही हो कोविड में उद्दाम उसे न छोड़िए नियंत्रण में रखिये रखिये मास्क... Hindi · कविता 99 Share Dr MusafiR BaithA 17 Nov 2023 · 1 min read अगड़ों की पहचान क्या है : बुद्धशरण हंस अगड़ों की पहचान क्या है? ~समाज में जिन्होंने जानलेवा वर्ण-व्यवस्था बनायी और फैलायी, आज वे अगड़े हैं। ~समाज में जिन्होंने जातिभेद फैलाया, आज वे अगड़े हैं। ~समाज में जिन्होंने ऊंचनीच... Hindi · अगड़ों की सही पहचान 135 Share Previous Page 2 Next